अर्जुन मुंडा अब आदिवासियों के लिए कुछ कर दिखाएं

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
  • सत्येंद्र कुमार 

अर्जुन मुंडा अब आदिवासियों के लिए कुछ कर दिखाएं। जिस तरह लालू बिहार में पिछड़ों के विश्वस्त नेता रहे हैं, उसी तरह अर्जुन झारखण्ड में आदिवासियों के। आदिवासी इन्हें बहुत मानते हैं। मुंडा एक गरीब परिवार में पैदा हुए और अब एलिट क्लास के मेंबर हैं। तीर-धनुष से निशाना साधने की जगह जमशेदपुर के नीलडीह गोल्फ मैदान में कॉर्पोरेट और बिज़नेस दिगज्जों के साथ गोल्फ खेलते हैं।

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मुंडा में सबसे सकारात्मक बात यह है कि वे आज भी बहुत ही अध्ययन करते हैं। 2014 से पांच वर्ष के राजनीतिक वनवास के दौरान अर्जुन मुंडा ने कुंठित होने की जगह अपने को अध्ययन, आत्मावलोकन  और गोल्फ में व्यस्त कर लिया। आदिवासी समाज की परंपरा, समस्याओं और चुनौतियों पर आप उनसे घंटों बात कर सकते हैं।

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भारत सरकार में जनजातीय मंत्रालय में अभी तक शो पीस टाइप आदिवासी नेताओं को ही मंत्री बनाया जाता रहा है। काम धाम की जगह ऐसे शो पीस टाइप आदिवासी नेता लाल बत्ती वाली गाड़ी और हवाई जहाज में घूम कर ही संतुष्ट रहे हैं। काम न काज के, खर्च हज़ार के।

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अर्जुन मुंडा के सामने एक बहुत ही अच्छा अवसर पीएम नरेंद्र भाई मोदी ने अपनी क्षमता दिखाने के लिए दिया है। मुंडा में आदिवासी समाज की बेहतर समझ के साथ लम्बा प्रशासनिक अनुभव भी है। पहली बार किसी पूर्व सीएम को केंद्र में जनजातीय मंत्री बनाया गया है। मंत्रालय को इसका लाभ मिलना चाहिए और आदिवासी समाज को भी। उनके पास आदिवासी समाज के एजेंडे को अड्रेस करने का सुनहरा अवसर मिला है।

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अर्जुन मुंडा के कॉर्पोरेट वर्ल्ड से मधुर संबंध आदिवासियों से छुपा नहीं है। मुंडा इसे छुपाते भी नहीं हैं। मोदी कैबिनेट में शपथ लेने के बाद अर्जुन मुंडा पीएम और वरिष्ठ नेताओं से मिलने के बाद सीधे रतन टाटा, टाटा संस के चेयरमैन येन चंद्रशेखरन और मुकेश अम्बानी जैसे देश के नामी उद्योगपतियों से काफी विनम्रता से मिले। यह मुलाकात टीवी पर आदिवासी समाज ने भी देखा। देश के दिगज उद्योगपतियों पर आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर पैसे के बूते कब्जा का आरोप आदिवासी समाज लगाता रहा है। ऐसे संदेही माहौल में अर्जुन मुंडा का दिग्गज उद्योगपतियों से आत्मीयता और विनम्रता से खुद जाकर मिलना आदिवासी समाज को नहीं भाया होगा। यह देखना रोचक होगा कि अर्जुन मुंडा आदिवासी एजेंडे को कितनी चतुरता से मोदी सरकार में अड्रेस कर पाते हैं।

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अर्जुन मुंडा को मैं करीब 28 साल से जनता हूं। वे चतुर, दूरदर्शी और हवा के रुख को भांपने वाले नेता रहे हैं। जेएमएम  से बीजेपी में आकर कुछ ही साल में सीएम बन जाना, वह भी तीन-तीन बार, खेल नहीं है। लेकिन मुंडा की असली परीक्षा रायसीना हिल में होनी है। बहुत बड़ा जोखिम है यहाँ के खेल में। जीते तो सिकंदर, नहीं तो….।

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