कोरोना महामारी के मद्देनजर बिहार सरकार ने बड़ी रकम मुहैया करायी

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मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था।
मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था।

पटना। कोरोना महामारी के मद्देनजर बिहार सरकार ने पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों को बड़ी रकम मुहैया करायी है, ताकि आपात स्थिति में उपयोग हो सके। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि पंचम वित्त आयोग की अनुशंसा पर पंचायती राज संस्थाओं को वर्ष 2019-20 की दूसरी किस्त के तौर पर 1401.17 करोड़ रुपये निर्गत करने पर वित्त विभाग ने अपनी सहमति दे दी है। वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर विशेष परिस्थिति में इसमें से अनुदान राशि के एक हिस्से को ग्राम पंचायतें, पंचायत समितियां व जिला परिषद संक्रमण से बचाव व सुरक्षा पर खर्च कर पायेंगे।

श्री मोदी ने बताया कि अनुदान की राशि 562.04 करोड़ में से ग्राम पंचायतों को 375.28 करोड़, पंचायत समितियों को 53.60 करोड़ व जिला परिषदों को 92.19 करोड़ रुपये निर्गत किए गए हैं जिन्हें ई-गवर्नेंस, क्षमतावर्द्धन व प्रशिक्षण आदि पर खर्च करना था। मगर महामारी से उत्पन्न विशेष परिस्थिति में पंचायती राज संस्थाएं जनप्रतिनिधियों, स्वास्थ्य कर्मियों व अन्य सरकारी कर्मियों के बचाव व सुरक्षा आदि के लिए मास्क, गलब्स, सेनेटाइजर, साबुन आदि की खरीद पर खर्च कर सकते हैं। परंतु ग्राम पंचायतें उपरोक्त खरीद के साथ स्वच्छता आदि के लिए गांवों में ब्लिचिंग पावडर के छिड़काव व क्वोरेंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों की सुरक्षा आदि पर भी व्यय करेंगे।

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शेष 839.13 करोड़ रुपये डिवोलूशन (Devolution) के तौर पर ग्राम पंचायतों को निर्गत किया जा रहा है। ग्राम पंचायतें इसके 528.66 करोड़ की 90 प्रतिशत राशि सात निश्चय की नल-जल व अन्य योजनाओं पर खर्च करेंगी।

सोनिया गांदी की सलाह को अव्यावहारिक बताया

मोदी ने सोनिया गांधी ने कोरोना संक्रमण के समय अखबार और समाचार चैनलों के विज्ञापन बंद करने की जो सलाह दी है, वह न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाने की कांग्रेस की मानसिकता का प्रमाण है। मीडिया जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने और प्रमाणिक समाचार देने का विश्वसनीय माध्यम होता है। कांग्रेस देश में आपातकाल जैसा वातावरण बनाना चाहती है। महागठबंधन के दलों को बताना चाहिए कि क्या वे मीडिया को दबाने वाली सलाह का समर्थन करेंगे?

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उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से निपटने के लिए सांसदों के वेतन में कटौती और सांसद निधि स्थगित रखने का केंद्र सरकार का निर्णय एक ऐसा आपतधर्म है, जिसका सबको स्वागत करना चाहिए। इससे संचित निधि में 7900 करोड़ रुपये आएंगे। जो लोग रोज सलाह देते हैं कि क्या-क्या मुफ्त देना चाहिए, वे संसाधन जुटाने के इस फैसले का ऐसे विरोध कर रहे हैं, जैसे उनकी जेब से पैसे निकाले जा रहे हैं।

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