खेलेब, ना खेलायेब, खेलवे भांड़ देब…………………

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ना खेलेब, ना खेलायेब, खेलवे भांड़ देब- मलिकाइन लिखले बाड़ी
ना खेलेब, ना खेलायेब, खेलवे भांड़ देब- मलिकाइन लिखले बाड़ी

खेलेब ना खेलायेब, खेलवे भांड़ देब। मलिकाइन के पाती अबकियो कहाउते से शुरू भइल बा। उनकर सगरी पाती एही अंदाज में हर बेर आवेला। ऊ कवनो बात कहेली त घुरचिया के, बाकिर पूछेली एकदम कड़क सवाल। अबकी पूछले बाड़ी- ई पिरिया चौधुरी कवन हिय मलिकार। सुने में आलता, ऊ एके बेर छरक के मुखमंतरी के कुरसी पर बइठे के ठनले बिया। कहीं अइसन त नइखे मलिकार कि ऊ इहे ठान लेले बाड़ी- ना खेलेब, ना खेलायेब, खेलवे भांड़ देब। लीं, अपनियो सभे पढ़ीः

पांड़े बाबा एक दिन बतावत रहनी मलिकार कि कवनो पिरया चौधुरी उपराइल बाड़ी। अबहीं ले केहू उनकर नावें ना सुनले रहल हा। सात समुंदर पारस से परगट भइल बाड़ी। जवनी गंतिया सिनेमा में कुचकुच अन्हरिया से हीरोइन भक देना अंजोरा में आवे ली सन, ओंहीं गंतिया ऊ धीरे-धेरे डेग बढ़ावतारी। एक दिन खबर कागज में भर पन्ना के उनकर कवनो परचार आइल रहे। ओइमें लिखल रहे कि ऊ कवनो पाटी बनवले बाड़ी। अबहीं ले अपना मुलुक में कांगरेस के छोड़ के सगरी पाटी के नाम मोटामोटी देसी रहत रहला हा। ऊ अपना पाटी के नाम विलायती रखले बाड़ी।

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अबहीं ले हम इहे सुनत रहनी मलिकार कि पाटी तबे खड़ा होले, जब ओकरा लगे झंडा ढोए वाला लोग रहेला। ओही में से लोग एमएलए-एमपी बनेला। इनकरा पाटी के त नांवें केहू अबही ले नइखे सुनले। एकरा बादो ऊ एके बेर मुखमंतरी बने के ठनले बाड़ी। पांड़े बाबा बतावत रहुवीं कि मनेजरी-इंजीनियरी पढ़े वाला लोग उनका के पइसा देता। तबे नू एक दिन में करोड़न रुपिया खरचा क के ऊ खबर कागज में एतना बड़का परचार छपववले बाड़ी।

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पांड़े बाबा बतावत रहुवीं कि पहिले कारकरता लोग पाटी में होत रहल हा। उहे लोग में केहू नेता बन जात रहल हा आ बाकी कारकरता उनकर परचार करी। अइसनका सगरी पाटी में रहल हा। एने अब कारकरता के कवनो पूछे नइखे। मनेजर आ गइल बाड़े सन। उहे केहू के जितावे-हरावे के ठीका ले तारे सन। उहां के कवनो एगो नांव धरत रहवीं परसान किसोर के। कहत रहवीं कि कई जगहा पर ऊ ठीका ले के पाटी के जितवले बाड़े। अबे बंगाल में कवनो दीदी के जितावे के तेयारी में लागल बाड़े। नीतीशो कुमार उनका के बड़ा मानत रहले हां। बाकिर उनकरा आंख के पट्टर खुल गइल आ ऊ उनकरा के टरका दिहले। अब सुने में आवता कि उहो कवनो नया नौटंकी शुरू कइले बाड़े।

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एने पासवान जी के बेटा अलगे नखड़ा नधले बाड़े। ऊ घूम-घूम के नीतीशे कुमार के खोट खोज रहल बाड़े। कबो कहतारे कि अस्पताल कवनो काम के नइखे रह गइल। कबो ई कहतारे कि बिहार में कवनो तरक्की नइखे भइल। पांड़े बाबा कहत रहवीं कि पासवान जी नीतीशे कुमार के संगे बाड़े। तब अइसन नाटक-नौटंकी के कवन मतलब बा मलिकार।

हमरा त इहे बुझाता मलिकार कि ई कुल मिलल बाड़े सन। सगरी मिल के नीतीश कुमार के खेल बिगाड़े में लागत बाड़े सन। एकनी के एके गो सोच बा- ना खेलब, ना खेलायेब, खेलवे भांड़ देब। सचहूं ई नीतीश कुमार के खेल भांड़े में लागल बाड़े सन।

राउरे, मलिकाइन

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