नेताजी सुभाष चंद्र बोस पत्रकार भी थे, न जानते हों तो पढ़ लीजिए

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस पत्रकार भी थे। यह बात नयी पीढ़ी के पत्रकारों को शायद मालूम न हो। नेताजी ने साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’  का संपादन किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पत्रकार भी थे। यह बात नयी पीढ़ी के पत्रकारों को शायद मालूम न हो। नेताजी ने साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’  का संपादन किया।
  • कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पत्रकार भी थे। यह बात नयी पीढ़ी के पत्रकारों को शायद मालूम न हो। नेताजी ने साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’  का संपादन किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा संपादित साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’ के सभी अंकों का अध्ययन करने का अवसर मुझे डॉ. अनिर्बाण घोष के सौजन्य से मिला। नेताजी ने 5 अगस्त 1939 को अंग्रेजी साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’ निकाला और एक जून 1940 तक उसका संपादन किया। वह बीस पृष्ठों का अखबार था।

पहले पृष्ठ पर अखबार का नाम, संपादक का नाम, वर्ष तथा अंक की सूचना और विज्ञापन छपते थे। दूसरे पृष्ठ पर विज्ञापन के अलावा अनुक्रम छपता था, जिसमें यह जानकारी दी जाती थी कि किस पृष्ठ पर क्या सामग्री छपी है। तीसरे पृष्ठ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की लिखी संपादकीय टिप्पणी छपती थी। शेष पृष्ठों पर समाचार, सामयिक लेख, टिप्पणियां, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और साहित्यिक विषयों पर लेख, पुस्तक समीक्षा और संपादक के नाम पत्र स्तंभ छपते थे। एक अंक की कीमत एक आना थी। रवींद्रनाथ ठाकुर, नंदलाल बोस, सहजानंद सरस्वती, मनमथ नाथ गुप्त जैसे दिग्गज उसमें लिखते थे। कहने को तो ‘फारवर्ड ब्लाक’ राजनीतिक समाचार पत्र था किंतु साहित्य-कला-संस्कृति, शिक्षा, कृषि, उद्योग, विदेशी मामलों पर भी उसमें नियमित लेख छपते थे। जीवन का कोई क्षेत्र उससे अछूता न था, इस नाते उसे सर्वांगीण अखबार मानना चाहिए।

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देश की पल-पल की राजनीतिक गतिविधि पर सुभाषचंद्र बोस सतर्क नजर रखते थे। उन्होंने ‘फारवर्ड ब्लाक’ के 30 सितंबर 1939 की ‘नेशनल डिमांड’ शीर्षक संपादकीय में लिखा था कि राष्ट्रपति की वायसराय के साथ होनेवाली बैठक में लोकतंत्र की स्थापना को राष्ट्रीय मांग के रूप में उठाया जाना चाहिए। सुभाषचंद्र बोस सत्याग्रह की विधि से पूर्ण स्वराज हासिल करना चाहते थे। उन्होंने 2 मार्च 1940 की ‘द वे टू स्वराज’ शीर्षक संपादकीय टिप्पणी में कहा था, “हमें स्वराज के लिए लड़ना होगा। पूर्ण स्वराज हमारा उद्देश्य है। सत्याग्रह हमारी विधि है।” 16 दिसंबर 1939 की ‘ए रिमाइंडर’ शीर्षक संपादकीय टिप्पणी में नेताजी ने तीन उद्देश्यों की याद दिलाई थी-वाम समन्वय, कांग्रेस में एकता और स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन।

सुभाषचंद्र बोस की आकांक्षा थी कि कांग्रेस का वाम धड़ा स्वाधीनता संग्राम में नेतृत्वकारी भूमिका निभाए। इसी आशय का आह्वान करते हुए उन्होंने ‘फारवर्ड ब्लाक’ के 2 दिसंबर 1939 के अंक में ‘एटेनमेंट आफ इंडियाज फ्रीडमः लेफ्ट टू गिव लीड’ शीर्षक लेख लिखा था।  सुभाष चंद्र बोस ने ‘फारवर्ड ब्लाक’ में ‘इंडियाज डिमांड’, ‘द न्यू इंडिया’, ‘द नीड आफ द आवर’, ‘द करेक्ट लाइन’, ‘लूकिंग बैक’,  ‘व्हूम दे फाइट’, ‘डेंजर अहेड’, ‘द फ्रेंड्स वायस’, ‘लीड फ्राम वर्धा’, ‘आफ द मैरो’, ‘वार ऐंड साइंस’, ‘इफ ब्रिटेन ग्रांटेड’, ‘व्हेदर हाईकमांड’, ‘आवर वर्किंग कमेटी’, ‘लीडर मिसलीडिंग’, ‘रामगढ़’, ‘आवर प्राब्लेम’, ‘आवर गोल’, ‘द बेंगाल कांग्रेस’, ‘स्टेम द राट’, ‘द बेंगाल टैंगल’, ‘टूवार्ड्स कम्युनल यूनिटी’, ‘एंटी कम्प्रोमाइज कान्फ्रेंस’, ‘कांग्रेस एड्रेसेज’, ‘द काल आफ रामगढ़’, ‘द कैनवस मार्चेज’, ‘स्वामीजीज मैसेज’, ‘आवर आफ ट्रायल’ और ‘फारवर्ड बंगाल’ शीर्षक लंबी संपादकीय टिप्पणियां भी लिखीं। फोटो : राजदीप राठौर

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