बंगाल चुनाव में पंजा कटवाने से लेकर गोली मारो के चर्चे

0
65
बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। बंगाल विधानसभा चुनाव की घोषणा में तकरीबन माह भर बाकी है, लेकिन जुबानी जंग तीखी हो गयी है। गोली मारो से लेकर पंजा कटवाने की बातें होने लगी है। सभाओं-जुलूसों पर हमले-रोड़ेबाजी तो आम बात हो गयी है। ज्यादातर मामलों में निशाने पर बीजेपी के नेता हैं। राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मानते हैं कि रक्तपात हीन चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है।

बंगाल विधानसभा चुनाव में वाक् युद्ध इस स्तर पर जा पहुंचा है कि जो शब्द कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ इस्तेमाल किये जाते थे, वे अभी बंगाल के चुनावी रण में प्रयोग किये जा रहे हैं। राज्य के पूर्व मंत्री व विधायक मदन मित्र ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- बंगाल मांगने से चीर देंगे। ठीक कुछ ही घंटों बाद इसके जवाब में बीजेपी ने कहा कि तीन महीने बाद कौन किसे चीरेगा, देखा जाएगा। केवल यही नहीं, दो दिन पहले कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की एक रैली  से यह नारा लगाया गया- बंगाल के गद्दारों को गोली मारो।

- Advertisement -

यह भी पढ़ेंः बंगाल में ममता की TMC की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं(Opens in a new browser tab)

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि टीएमसी गद्दार उन नेताओं को कह कर निशाना साध रही है, जो तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। इस भाषा पर बीजेपी की ओर से शमिक भट्टाचार्य ने कड़ी आपत्ति जतायी। बाद में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने खेद प्रकट किया और कहा कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। एक दिन बाद ही चंदननगर की रैली में बीजेपी के युवा नेता ने यही नारा लगाया- देश के गद्दारों को गोली मारो। इस घटना के बाद यह सवाल जरूर मन में पैदा होगा कि कोई भी दल अपने निचले स्तर के कार्यकर्ताओं पर पकड़ नहीं बना पा रही है। पार्टियां भी जान-बूझकर इसकी अनदेखी कर रही हैं। शुभेंदु अधिकारी की सभा में गोली मारने वाला नारा लगाने वाले बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

यह भी पढ़ेंः Bengal BJP में CM Face को लेकर एक अनार, सौ बीमार की स्थिति(Opens in a new browser tab)

इतना ही नहीं, गोली मारो का नारा लगाने वाले नेताओं के अलावा राजनीति से संन्यास लेने व पंजा कटवाने के वादे करने वाले भी कई नेता भी हैं। शुरुआत मदन मित्र ने ही की थी। बैरकपुर से चुनाव हारने पर राजनीति छोड़ने की बात मदन मित्रा व अभिषेक बनर्जी दोनों ने की थी। नन्दीग्राम की सभा में ममता बनर्जी ने नन्दीग्राम से ही चुनाव लड़ने की घोषमा की तो शुभेन्दु अधिकारी ने कोलकाता की सभा में दीदी को नन्दीग्राम से 50 हजार मतों से हराने की चुनौती दे डाली। वादा पूरा नहीं करने पर उन्होंने भी राजनीति छोड़ने की घोषणा की। दूसरी ओर नन्दीग्राम से ममता बनर्जी के चुनाव हारने पर मदन मित्र ने अपना पंजा काटने की जवाबी चुनौती दी है।

बंगाल विधानसभा चुनाव में जुबानी जंग केवल यहीं तक सीमित नहीं है। पुरुलिया की जनसभा में तो ममता बनर्जी ने बीजेपी को माओवादी से भी ज्यादा खतरनाक बता कर लोगों में फिर से माओवाद के भयंकर दिन याद दिलाने की कोशिश की। लेकिन भाजपा के नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस के नेता छत्रधर महतो को ही माओवादी बता दिया।

यह भी पढ़ेंः बंगाल असेंबली इलेक्शन के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त पहुंचे(Opens in a new browser tab)

- Advertisement -