बिहार में काष्ठ उद्योग औद्योगिक नीति में शामिल होगा

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मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था।
मातृभाषा में प्रायोगिक आधार पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर सरकार विचार कर रही है। सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था।

पटना। बिहार में काष्ठ आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इसे औद्योगिक नीति की प्राथमिकता सूची में शामिल किया जायेगा। उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने यह जानकारी दी। इसके लिए इसी चलते सत्र में बिहार राज्य काष्ठ आधारित उद्योग स्थापना व विनिमयन विघेयक पारित किया जायेगा। उपमुख्यमंत्री मोदी ने बिहार विधान परिषद में वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के बजट पर हुए वाद-विवाद के बाद सरकार की ओर से जवाब के क्रम में यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि जमुई-चकाई-देवधर मार्ग पर देवघर मार्ग पर अवस्थित माधोपुर में 110 एकड़ में जैव विविधता उद्यान का अगले महीने अप्रैल में उद्घाटन किया जायेगा। इस उद्यान में कार्बन फारेस्ट, अशोक वाटिका वन, कल्प वृक्ष वन व रूद्र वन विकसित किए गए हैं। इसके अलावा पाम आईलैंड विकसित किया जा रहा है। करीब 2.5 लाख वर्गफीट में घास का मैदान व जल संग्रहण के लिए चैक डैम का निर्माण कराया गया है।

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वर्ष 2020-21 में 9 अगस्त को एक ही दिन 2.51 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे, जिसमें  लगभग 60 लाख पौधे मनरेगा के माध्यम से, अवकृष्ट वनों के पुनर्वास में 92.79 लाख पौधे तथा शेष सार्वजनिक भूमि एवं निजी भूमि में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं, जीविका समूहों तथा किसानों के माध्यम से लगाये जायेंगे। पूर्व की स्थायी पौधशालाओं एवं 74 निजी पौधशालाओं के अलावा 119 अन्य पौधशाला स्थापित किए गए हैं तथा पिछले वर्ष तक पौधों की उपलब्धता 1.5-02 करोड़ को बढा़ कर वर्ष 2020 में 8 करोड़ करने का लक्ष्य है। तृतीय कृषि रोड मैप 2017-22 मे तहत वन क्षेत्रों के बाहर वन आवरण में 2 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2019-20 में वन विभाग द्वारा 74.34 लाख पौधों का रोपण एवं मनरेगा योजना के तहत 45 लाख पौधों का रोपण किया गया। इसके अलावा जनवरी-फरवरी में कृषि वानिकी के अन्तर्गत पापलर के 1.39 लाख एवं राष्ट्रीय कृषि वानिकी योजना के तहत 2.55 लाख पौधों का वृक्षारोपण किसानों की भूमि पर किया गया है।

वर्ष 2018-19 में वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष में पर्यटकों की संख्या अप्रैल, 2018 से जनवरी, 2019 तक 74,998 थी जो अप्रैल, 2019 से जनवरी, 2020 तक दोगुना बढ़ कर 1.50 लाख हो गयी है। वहां अनेक सुविधाएं विकसित की गयी हैं। राजगीर में 472 एकड़ क्षेत्रफल में 176.18 करोड़ रुपये की लागत से जू-सफारी का निर्माण कराया जा रहा है, जो अगस्त 2020 तक पूरा हो जायेगा। इसमें पांच प्रकार के वन्यप्राणी हिरण, भालू, तेंदुआ, बाघ व शेर के लिए पांच बड़े इन्क्लोजर बनाए गए हैं। इसके अलावा यहां उच्च स्तर के एवियरी यानी पक्षी व बटरफ्लाई पार्क, थ्री-डी थियेटर, इन्टरप्रेटेशन सेंटर, ओरियेन्टेशन सेंटर, ओपेन एयर थियेटर का निर्माण भी कराया जा रहा है।

राजगीर जू सफारी से लगभग 2 किमी दूर सोनभंडार से जेठियन सम्पर्क पर पर सुरक्षित वन क्षेत्र में 1,250 एकड़ में 19.29 करोड़ की लागत से राजगीर में नेचर सफारी का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें वाक का ट्रैक, कैनोपी वाक, साइकिल ट्रैक, राक क्लाइबिंग, जीन लाइन आदि एडवेंचर स्र्पोट्स की सुविधा उपलब्ध कराने के अतिरिक्त नेचर कैम्प, रात्रि विश्रामगृह, वाॅच टावर तथा नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर आदि की स्थापना करायी जायेगी।

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संजय गांधी जैविक उद्यान में वर्ष 2018-19 में दर्शकों की संख्या 24.48 लाख तथा वर्ष 2019-20 में जनवरी तक 18.55 लाख थी। यहां 5.38 करोड़ की लागत से राईनो प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है जिसमें इसी माह राईनों को स्थानान्तरित कर दिया जायेगा। इस केन्द्र के बाहर टीवी स्क्रीन लगाए जायेंगे ताकि दर्शन राईनों की गतिविधियों को बाहर से देख सकें। संजय गांधी जैविक उद्यान में 11.0 करोड़ की लागत से निर्मित थ्री-डी थियेटर में इसी महीने से दर्शकों को निःशुल्क मूवी देखने की सुविधा प्रदान की जायेगी। मुंगेर जिलान्तर्गत भीमबांध, नवादा जिला अन्तर्गत ककोलत एवं कैमूर में करकटगढ़ को आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया गया है। भीमबांध में जनवरी, 2020 तक 1,55,000 पर्यटकों ने भ्रमण किया।

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बांस की खेती के लिए राज्य के 50 किसानों को प्रशिक्षण के लिए त्रिपुरा में भेजा जायेगा। राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत कुल 516.67 लाख की स्वीकृति दी गयी है। 60 पौधशाला के स्थापना कार्य, 4 बांस ट्रीटमेंट व सिजनिंग प्लांट की स्थापना तिरहुत, अररिया,पूर्णिया व बांका वन प्रमंडल में, अररिया वन प्रमंडल में एक काॅमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना तथा 48 हजार पौधों के रोपण का कार्य विभिन्न वन प्रमंडलों में किया जा रहा है।

राज्य में पक्षियों के संरक्षण हेतु बांबे नेचुरल हिस्टरी सोसायटी के साथ समझौता किया गया है जिसके तहत भागलपुर में प्रवासी पक्षियों की ट्रैकिंग करने तथा उनकी रिंगिंग करने के लिए एक स्टेशन स्थापित किया जा रहा है। यह बिहार का प्रथम रिंगिंग स्टेशन होगा।

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