बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के आरोप पर भड़का वैश्य समाज

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बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल पर आरोप लगाना भारी पड़ रहा है। जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने उन पर हमला बोला
बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल पर आरोप लगाना भारी पड़ रहा है। जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने उन पर हमला बोला

पटना। बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल पर आरोप लगाना भारी पड़ रहा है। वैश्य समाज ने उनके निलंबन की मांग की है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल पर ज्ञानू ने जातिवाद के और पैसे लेकर मंत्री बनाने के आरोप लगाये हैं। इस पर वैश्य समाज भड़का हुआ है। बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने आरोप लगाया है कि पैसे लेकर और जातिवाद कर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने उन्हें मंत्री बनाने से रोक दिया। ज्ञानू ने यह धमकी भी दी है कि उनके पास पक्के सबूत हैं और वे इन सबूतों को केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने बयान जारी कर कहा है कि भाजपा के बाढ़ से विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू द्वारा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल पर जातिवाद का आरोप लगाना बिल्कुल ही उचित नहीं है। वे इस तरह का बयान देकर समाज में जातीय उन्माद फैलाना चाहते हैं।

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गुप्ता ने कहा कि एनडीए में राजपूत समाज के 16 विधायक में से 5 मंत्री बनाए गए हैं। वहीं एनडीए गठबंधन में वैश्य समाज से आने वाले 16 विधायकों में से मात्र 3 मंत्री बने हैं। पहले भी एनडीए के 11 वैश्य विधायकों में से 3, जिनमें डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी एवं दो अन्य मंत्री हुआ करते थे, जबकि आज वैश्य समाज के 16 विधायकों में मात्र तीन को मंत्री बनाए जाने पर वैश्य समाज के लोगों में आक्रोश और गुस्सा है। गुप्ता ने कहा कि ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली कहावत बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू कर रहे हैं। उनका गुस्सा अपरोक्ष रूप से भाजपा विधायक नीरज सिंह बबलू को लेकर है, जिन्हें नीतीश कैबिनेट में शामिल किया गया है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल पर बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र िसंह ज्ञानू आरोप अनुशासन के खिलाफ है।

उन्होंने बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू पर अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए विधायक पद से निलंबित करने की मांग की है। साथ ही  गुप्ता ने कहा कि अगले मंत्रिमंडल विस्तार में वैश्य समाज से आने वाले 5 में से कम से कम दो को मंत्री बनाया जाना चाहिए, तभी हमें सम्मान और उचित भागीदारी मिलेगी। गुप्ता ने कहा कि 12 विधान पार्षद, जो राज्यपाल कोटे से मनोनीत किये जा रहे हैं, उसमें कम से कम तीन वैश्य समाज के लोगों को बनाया जाए। इसके अलावा विभिन्न बोर्ड, निगमों एवं अन्य संस्थानों में वैश्य समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में देखा जा रहा है कि अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी वैश्य समाज को उचित अधिकार नहीं दिया जा रहा है, जिससे अफसरों में आक्रोश एवं गुस्सा है। गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों के सम्मान के हित को ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक आयोग का गठन व्यवसायियों की चिर-प्रतीक्षित मांग रही है, उसे जल्द से जल्द गठित किया जाए और वैश्य समाज को उचित मान-सम्मान दिया जाए।

वहींं गुप्ता ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि जदयू से एक भी मंत्री वैश्य समाज का नहीं बनाया गया, जबकि गठबंधन के नाते वैश्य समाज के लोगों ने सेंट परसेंट वोट देकर जदयू के विधायकों को भी जिताने का काम किया। जब जब हिस्सेदारी की बात होती है तो अंगूूठा दिखा दिया जाता है। गुप्ता ने आगे कहा कि सदियों से अभी तक राजपूत एवं वैश्य समाज का एक साथ संबंध बना रहा हैं। प्राचीन काल में वैश्य उत्पादन का काम करता था तो क्षत्रिय समाज रक्षा करता था। मध्य काल में अकबर के समय में भी महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध हुआ था तो दानवीर सूरवीर भामाशाह ने तिजोरी लुटा दी और महाराणा प्रताप की रक्षा की। आधुनिक काल में भी जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पेश हो रहे थे तो अंदर और बाहर से मुखर विरोध झेलना पड़ रहा था। उस समय के पीरियड में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उनका साथ दिया और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।

गुप्ता ने कहा कि 2020 के चुनाव में वैश्य और राजपूत समाज के सहयोग से मिलकर एनडीए की सरकार बनी। उस सरकार में राजपूत को मंत्री बनाकर सम्मान दिया गया, जबकि वैश्य समाज को मात्र तीन मंत्री से संतोष करना पड़ा। किस कारण ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने डॉ. संजय जयसवाल पर जातिवाद का आरोप लगाया। राजपूत एवं वैश्य का संबंध सदियों से रहा है, वे उस संबंध को विखंडित करना चाहते हैं और समाज में द्वेष फैलाना चाहते हैं। वैसे व्यक्तियों से समाज सतर्क एवं जागरूक है और इनके बहकावे में आने वाला नहीं हैं। गुप्ता ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व से मांग की है कि भाजपा के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने जो बयान दिया है, उस पर कार्रवाई करते हुए विधानसभा से निलंबित किया जाए और भाजपा पार्टी से भी उन्हें 6 वर्षों के लिए निष्कासित करे।

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