(अखिलेश मयंक के लखनऊ पर आधारित शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास का एक अंश)
यार शीरीन ! दुनिया में क्या ऐसा कोई तरीका नहीं कि मेरा सांवला रंग तेरे जैसा गोरा-गोरा दूध जैसा हो जाए?
शीरीन गंभीर हो गई। वह जानती थी कि रागिनी अपने डार्क कलर की वजह से कभी-कभी बहुत परेशान हो जाती है। हॉस्टल में कुछ लड़कियां उसे पीठ पीछे व्यंग्य में नंदिता दास कहती हैं। रूम पार्टनर और अच्छी दोस्त होने की वजह से वह रागिनी को दूसरी लड़कियों से ज्यादा समझती थी। वह जानती थी कि अपने सांवले रंग को लेकर वह कभी-कभी बहुत दुखी हो जाती है।
शीरीन गंभीर होकर बोली-कोई भी अपने कलर नहीं, कामों से जाना जाता है रागिनी। अगर तुमने अपने जीवन में सक्सेज को अचीव कर लिया तो बाकी चीजें कोई नहीं देखेगा। कहते हैं कि तुम्हारे भगवान श्रीकृष्ण भी सांवले थे। उन्होंने तो पांडवों को महाभारत जैसा बड़ा युद्ध बहुत कम रिसोर्सेज में जितवा दिया था। उनके समय में उनके जितना बड़ा कोई डिप्लोमैट नहीं हुआ।
वह तो ठीक है यार..। कृष्ण के अलावा हमारे कई दूसरे भगवान भी सांवले हैं। लड़कों का सांवला होना धड़ल्ले से चलता है। दिक्कत लड़कियों के साथ है। सांवली लड़की केवल अपने रंग की वजह से अच्छे-खासे पढ़े-लिखे और ऊंची-ऊंची बातें करने वालों को एक्सेप्ट नहीं होती।
हमारे यहां तमाम सेलीब्रिटीज सांवली हैं। कई एक्जाम्पल्स हैं मैडम…। एक-दो नहीं, कई…। रेखा, शबाना आजमी, नंदिता दास ये सब सांवली हैं। इनके लाखों फैन हैं, क्योंकि इन्होंने सक्सेस को अचीव किया है। इनके अंदर टैलेंट है। इन्होंने उसको टाइम के हिसाब से सही फोरम पर उपयोग किया और परिणाम सामने है। ये सफल हैं, खूब सफल हैं। अब जमाना बहुत आगे बढ़ चुका है। आज के समय में कौन गोरी-सांवली जैसी बातें करता है रागिनी। तुम अपने दिमाग से इस काम्पलैक्स को जितना जल्दी हो पाए, निकाल दो। शीरीन उसके शोल्डर को थपथपाते हुए बोली।
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अरे शीरीन, ये बुराई समाज में किस तरह लोगों के दिमाग में बैठी हुई है, तुम नहीं जानती। अपने डार्क कलर की वजह से मुझे कई मौकों पर क्या-क्या नहीं सुनना पड़ा है। तुम्हें ऊपरवाले ने गोरी-चिट्टी बनाया है। तुम्हारा गांव-देहात से कोई मतलब नहीं है। ऐसे में तुम्हें इस बारे में कुछ नहीं पता। कभी गांवों में जाकर देखो..।… कभी बनारस चलना मेरे साथ..। मैं तुम्हें अपने गांव भी ले जाऊंगी। फिर देखना सोसाइटी की मेंटलिटी को..। गांवों में ऐसे लोग ज्यादा हैं, जो गोरी बहू चाहते हैं। वे चाहते हैं कि बहू पढ़ी-लिखी हो। कमाती हो। पैरों पर खड़ी हो पर साथ ही यह भी चाहते हैं कि गोरे रंग की भी हो।
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रागिनी, शहर की बात करूं तो आज की तारीख में कौन ऐसा लड़का है जो यह चाहता है कि उसकी होने वाली वाइफ अनिवार्य रूप से गोरी हो। शहर के लड़कों में रंग को लेकर कोई खास क्रेज नहीं है। वे यही चाहते हैं कि जिससे उनकी शादी हो वह अच्छा कमाती हो, ताकि वे दोनों मिलकर अच्छे से घर को चला सकें। सोसाइटी में एक बेहतर लाइफ जी सकें। शीरीन बोली।
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