महात्मा गांधी के जितने प्रशंसक हैं, उससे कम आलोचक भी नहीं

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महात्मा गांधी
महात्मा गांधी

महात्मा गांधी के जितने प्रशंसक हैं, उससे कम आलोचक भी नहीं। कल तक बड़ी तादाद वैसे लोगों की थी, जो महात्मा गांधी के हत्यारे गोड्से को कोसते थे। आज गोड्से के पौरोकार बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद गांधी के प्रशंसकों की कमी नहीं। गांधी में ऐसी क्या खासियत थी, जिसकी वजह से वे आज भी प्रासंगिक हैं। यह अलग बात गांधी का ज्यादातर इस्तेमाल वोट के लिए राजनीतिक दलों ने किया। विस्तार से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं

  • डा. राजेंद्र नाथ त्रिपाठी

यह भारत का दुर्भाग्य है कि उसने सच्चे अर्थों में गाँधी को आजतक नहीं पहचाना है।कांग्रेसी उनका वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे।संघी उनसे घृणा करते रहे और गाँधी के साथ बार-बार भगत सिंह, आज़ाद आदि की तुलना करते रहे।गाँधी ने भारत को आज़ादी दिलाने का दावा कभी नहीं किया अपितु उन्हें तो यह आज़ादी झूठी लगती थी।

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आज का भारत गाँधी का भारत नहीं है।यह नेहरू का भारत है।जब नेहरू जी अपना प्रसिद्ध भाषण दे रहे थे उसदिन गाँधी जी दिल्ली के बाहर बंगाल के नोवाखाली में थे और 9 बजे ही सोने चले गए थे। उन्होंने कोशिश की कि दुबारा भारत का पुनर्निमाण हो। वे ज़िन्ना से बात भी करना चाहते थे, लेकिन तबतक उनकी हत्या हो गई।

कुछ लोग गाँधी का भारत नहीं चाहते थे। न संघी और न ही नेहरू!गाँधी एक विचार है। और यह दुनिया देर-सबेर गाँधी के ही विचारों पर चलेगी क्योंकि गाँधी ही विश्व के समक्ष एकमात्र विकल्प हैं। सत्य, अहिंसा और शांति तथा भाईचारे के मार्ग पर दुनिया को लौटना ही होगा।यह मानना ही होगा कि “ईश्वर अल्ला तेरे नाम!”आपलोग गाँधी के विचारों को पढ़ें।ख़ुद निर्णय लें। उन्हें दूसरों के चश्मे से न देखें।

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ख़ुद सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह भी गाँधी का सम्मान करते थे। गोड्से ने उनके पाँव छूकर ही उन्हें गोली मारी थी। गाँधी ने एक विदेशी पत्रकार से कहा भी था कि वे अब जीना नहीं चाहते हैं। भारत उनका भारत नहीं है और यह आज़ादी भी झूठी है।

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