सोमनाथ चटर्जी का निधन, जयशंकर गुप्त ने इस तरह दी श्रद्धांजलि

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लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी सोमवार को भूतपूर्व हो गये। उनके निधन की सूचना आंख खोलने के साथ ही पूरी दुनिया को मिली। सोमनाथ दा की लोकसभा में भूमिका संसदीय इतिहास में सर्वदा यादगार रहेगा। अपनी ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का ख्याल किये बगैर उनकी लोकसभा में रूलिंग को भी नहीं भूल सकते। स्पीकर की भूमिका का जितना सम्यक ढंग से उन्होंने निर्वाह किया, वह अब तक के संसदीय इतिहास का यादगार काल है। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त की टिप्पणीः

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष एवं 89 वर्षीय पूर्व मार्क्सवादी कम्युनिस्ट सोमनाथ चटर्जी नहीं रहे। आज सुबह कोलकाता में उन्होंने अंतिम सांस ली। पश्चिम बंगाल के विभिन्न संसदीय क्षेत्रों से लोकसभा में दस बार माकपा का प्रतिनिधित्व करनेवाले सोमनाथ बाबू देश के सर्वश्रेष्ठ सांसदों में गिने जाते थे।

उनके साथ हमारा करीब का संबंध था। हम 2004 के लोकसभा चुनाव की कवरेज के सिलसिले में पूरा पश्चिम बंगाल घूमते हुए उनके चुनाव क्षेत्र बोलपुर (शांतिनिकेतन) गए थे। उनके साथ पूरा एक दिन बोलपुर के ग्रामीण, आदिवासी इलाकों में भ्रमण किया था। कार में और उनके निवास पर भी बहुत सारी बातें खुलकर हुई थीं। उन्होंने राज्य में और देश में भी माकपा, वामपंथी राजनीति के भविष्य आदि के बारे में बहुत सारी बातें की थीं, खुले दिमाग से। चुनाव के बाद वह लोकसभाध्यक्ष बने थे।

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लोकसभाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने एक आदर्श पीठासीन अधिकारी के मानदंड कायम किए थे। यह साबित किया था कि सदन के अध्यक्ष, सभापति जैसे संवैधानिक पदों पर बैठने के बाद कोई व्यक्ति किस तरह से दलगत सीमाओं से ऊपर उठ जाता है। इस क्रम में उन्हें अपनी पार्टी से निष्कासन भी झेलना पड़ा था। आज वाम राजनीति की दशा दिशा के मद्देनज़र उनकी वे बातें याद आ रही हैं। वह सही मायने में राजनेता थे। सोमनाथ दा को सादर नमन। भींगी पलकों से विनम्र श्रद्धांजलि।

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