हिंदी हमारी शान है हिंदी हमारी पहचान है

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रांची : स्वभाषा के माध्यम से भारत विश्वगुरु बन सकता है। स्वभाषा विकास का परिचायक है। यह भारत के स्वाभिमानी भारत बनने के मार्ग को प्रशस्त करेगा। कोई भी विकसित राष्ट्र के आगे बढ़ने का सबसे बड़ा कारण स्वभाषा है। मैं यह नहीं कहता कि अन्य भाषा का उपयोग न करें। आप उनका भी सम्मान करें। यही वजह है कि राज्य सरकार द्वार संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुरमाली, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया, मगही, भोजपुरी, मैथली आंगिक एवं भूमिज को दूसरी राजभाषा का दर्जा उनके सम्मान के लिए झारखण्ड में दिया गया है। क्योंकि भाषा सरकार एवं जनता को आपस में जोड़ती है। ये बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रोजेक्ट भवन में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी दिवस के अवसर पर मैं राज्य के लोगों से हिंदी का प्रयोग करने की अपील करता हूं।

 

तीन माह के अंदर हिंदी भवन का शिलान्यास होगा

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी प्रेमियों, साहित्यकार, रचनाकार, कवि को समर्पित हिंदी भवन का शिलान्यास तीन माह में होगा। देश भर से झारखण्ड आने वाले साहित्यकारों, रचनाकारों और कवियों को बातचीत, आयोजन व अन्य गतिविधियों के लिए एक उचित परिसर देना सरकार का उद्देश्य है। कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग अगले वर्ष से हिंदी दिवस का आयोजन संध्या बेला में मोरहाबादी मैदान में करे। जहां लोग कवि सम्मेलन का आनंद लें और युवा कवियों को सरकार एक मंच देने में सफल हो सके।

निजी क्षेत्र में हिंदी के उपयोग हेतु अनुरोध पत्र भेजें

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्वीकरण के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य का बाजारीकरण हुआ, जिससे अंग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ा। यह स्वाभाविक भी था कि इस समय सरकारी स्कूलों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। राज्य सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का कार्य कर रही है। अब हम सभी को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग एक अनुरोध पत्र सभी निजी संस्थानों को जारी करे, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हो कि वे अपने पत्राचार समेत अन्य कार्यों में हिंदी को बढ़ावा देने का प्रयास करें।

 

संविदा पर नियुक्त करें अनुवादक

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभागों से निर्गत होने वाले आदेश, परिपत्र या आदेश अगर अंग्रेजी भाषा में हो तो उसके हिंदी अनुवाद हेतु अनुवादक को संविदा या कार्य के आधार पर नियुक्त कर मानदेय दें। ताकि आम लोगों तक हिंदी में भी विभाग द्वारा निर्गत पत्र या आदेश पहुंच सके। ऐसे राज्य सरकार भरसक सभी ऐसे कार्य हिंदी के माध्यम से कर रही है लेकिन जहां जरूरत हो इसे लागू करें।

हिंदी दिवस के बहाने कुछ खरी-खरी

53 करोड़ लोग हिंदी बोलने वाले, सहज व सरल है हिंदी भाषा

सचिव कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग श्री अजय कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी सहज और सरल भाषा है। हिंदी विश्व की तीसरी बोले जाने वाली भाषा है। आज हिंदी का प्रचलन विश्व मे बढ़ता जा रहा है। देश में 43 प्रतिशत लोग यानी करीब 53 करोड़ लोग हिंदी का उपयोग करते हैं। 1949 में संविधान सभा द्वारा राजभाषा का दर्जा हिंदी को मिला। उसके बाद 1953 से लगातार हिंदी दिवस का आयोजन होता आ रहा है। अब तो 14 करोड़ लोग इंटरनेट में हिंदी का उपयोग करते हैं। 94 प्रतिशत की दर से इंटरनेट में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। सरकार के नियम, परिपत्र या आदेश राजभाषा में जारी होते हैं और आम जन तक उनकी पहुंच बनती है।

 

विश्व के 143 विश्वविद्यालय की हिंदी पढ़ाई

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. माया प्रसाद ने कहा कि हम आज हिंदी को संयोजित करने के लिए उपस्थित हुए हैं। यह वह भाषा है जो देश को एक सूत्र में बांधे रखी है। विश्व के 143 विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाई जा रही है। यह हमारे पुरखों की विरासत है। राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश के शीघ्र उन्नति के यह आवश्यक है। हिंदी हमारे राष्ट्र के अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत भी है।

 

हिंदी का फैलाव विश्वस्तर पर हो रहा है

डॉ हरेराम त्रिपाठी ‘चेतन ‘ ने कहा कि राजभाषा आज कार्यालयों में सक्रिय है। इसका बड़ा आयाम हो रहा है। विश्व स्तर पर हिंदी का फैलाव हो रहा है। हिंदी की नवीन ग्रन्थों की मांग आज विदेशों में है। लेकिन हमारे यहां हिंदी की क्या स्थिति है उसका आकलन होना चाहिए। राज्य के मुख्यमंत्री अगर एक हिंदी भवन हम साहित्यकारों, रचनाकारों को उपलब्ध करा देते तो अच्छा रहता।

 

मौके पर मुख्यमंत्री ने हिंदी हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित लघु कथा लेखन प्रतियोगिता के तहत रोशनी कुमारी, हर्षिनी शंकर और सेजल तिवारी को प्रथम, सृष्टि कुमारी, आराधना दुबे, मानस दीप्त को द्वितीय एवं मेघा कुमारी, आकृति सोरेंग एवं आर्य झा को तृतीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने निबंध लेखन प्रतियोगिता में अजय कुजूर को प्रथम, धनंजय कुमार मिश्र को द्वितीय एवं दिलीप कुमार कर्ण को तृतीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

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