यह सही से जांच का विषय है कि कश्मीर में समर्थन वापसी की “मास्टर की” किसके पास थी? नागपुर के पास, या फिर “7 लोक कल्याण मार्ग ” के पास? खबर है, अमित शाह जल्द जम्मू जायेंगे। किसलिए? डैमेज कंट्रोल करने? उमर अब्दुल्ला ने भी चाहा है, राष्ट्रपति शासन के बाद जल्द हो चुनाव। गवर्नर वोहरा के लिए परीक्षा की घड़ी है।
सबकुछ अचानक हुआ। वजह, बीजेपी को 2019 में जम्मू और लदाख में बची ज़मीन को सुरक्षित करना था। यह ज़मीन खिसक रही थी। बताया गया है, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले पीएम मोदी से हरी झंडी ली, फिर जम्मू-कश्मीर के सभी बीजेपी नेताओं की राय जानी और पार्टी ने सरकार से अलग होने का फैसला किया।
मामला दिल्ली में तय हुआ और राम माधव ने घोषणा कर दी। दिल्ली में बीजेपी की कोर कमिटी की बैठक में पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया। बीजेपी महासचिव राम माधव, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जम्मू बीजेपी के दूसरे नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समर्थन वापसी के फैसले का ठीकरा महबूबा मुफ्ती पर फोड़ा। बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती राज्य में हालात नहीं संभाल पाईं।
बीजेपी ने तो अपना खेल कर दिया, अब बारी महबूबा मुफ़्ती की है। पीडीपी तीन साल कैसे इनके साथ रही, उसे तो एक्सपोज़ करेगी!
- पुष्प रंजन