अपहरण उद्योग को बढ़ावा देने वाले ही पलायन के दोषीः मोदी

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आरक्षण विरोधी कांग्रेस से दोस्ती करने वालों ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्श मिट्टी में मिला दिये। सांसद सुशील कुमार मोदी ने यह आरोप लगाया है।
आरक्षण विरोधी कांग्रेस से दोस्ती करने वालों ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्श मिट्टी में मिला दिये। सांसद सुशील कुमार मोदी ने यह आरोप लगाया है।

पटना। अपहरण उद्योग को बढ़ावा देने वाले ही पलायन के असली दोषी हैं। आरजेडी पर यह आरोप लगाया है बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने। उनका इशारा आरजेडी के तरफ है, जिसके राज में लोग अपहरण को उद्योग मानने लगे थे और उस राज को जंगल राज की संज्ञा दी थी।

उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित पंजाब और राजस्थान से पैदल घर लौटने वाले मजदूरों के लिए बस का इंतजाम तो नहीं किया, लेकिन फुटपाथ उनसे बात करने का वीडियो बनवाकर सिम्पैथी ब्रांडिंग खूब करायी। राहुल गांधी के परिवार के 60 साल के राज में यदि गांव-कस्बों में रोजगार पैदा करने की चिंता की गई होती, तो लाखों मजदूरों को  महानगरों में रोजी-रोटी कमाने जाना ही नहीं पड़ता।

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उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने “गरीबी हटाओ” के नारे पर चुनाव जीता, लेकिन कांग्रेस शासन में गरीबी-बेरोजगारी बढ़ती ही गई। जिनकी पार्टी का लंबा कुशासन गांव की बदहाली और  मजदूरों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है, वे ही हमदर्दी का नाटक कर रहे हैं।

आरजेडी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लोहिया के गैर कांग्रेसवाद को कूड़ेदान में डालकर लालू प्रसाद ने उसी कांग्रेस से हाथ मिला लिया, जिसके भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलता के खिलाफ जेपी को आंदोलन करना पड़ा था। लालू प्रसाद की पार्टी ने उसी कांग्रेस के सभी विधायकों को मंत्री बना कर वर्षों तक राज किया। उनके शासन काल में जूट उद्योग खत्म हुआ। चीनी मिलें बंद हुईं और रोहतास का सीमेंट कारखाना तबाह हुआ। जिनके राज में  गांव अंधेरे में डूबे रहे, सड़कें जर्जर थीं और केवल अपहरण उद्योग फला-फूला, वे किस मुंह से दूसरों की उपलब्धियों का हिसाब मांग रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राजद-कांग्रेस ने बिहार को उद्योगों का रेगिस्तान बना कर लाखों मजदूरों को रोजी-रोटी के लिए पलायन को मजबूर किया। लाकडाउन के समय किसी ने बस भेजने की राजनीति की, तो कोई क्वारंटाइन केंद्रों में गडबड़ी करने में लगा है। एनडीए सरकार अबतक 805 ट्रेनो के जरिये 10.38 लाख मजदूरों को वापस लाकर उनकी असली मददगार साबित हुई।

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