पटना। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए जितनी गंभीरता और तत्परता से बिहार में सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलायी जा रहीं हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी जितनी प्रखरता से सामने आ रहे हैं, ये निःसंदेह बिहार को इस मामले में अन्य राज्यों से अलग और विशेष स्थान पर ला खड़ा करता है।
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन के लिए मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजनान्तर्गत वर्ष 2017 से ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के आलावा मदरसा बोर्ड से फोकनिया एवं मौलवी परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं को प्रोत्साहन राशि देने का सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है। 2007-8 से ही प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अल्पसंख्यक छात्र एवं छात्राओं को दस हजार रूपये प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। वर्ष 2014 से इंटर परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण मुस्लिम छात्राओं को 15,000 रूपये प्रोत्साहन राशि डी जा रही है। 2007 में मात्र 2627 विद्यार्थी मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना का लाभ ले पाते थे, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 38 हजार 518 हो गया है।
प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक कम मिन्स छात्रवृति योजना के तहत वर्ष 2017-18 में 1,07,001 प्री-मैट्रिक, 43,612 पोस्ट मैट्रिक तथा 9,855 मेरिट –कम-मिन्स मिला के कुल 1,59,468 छात्र –छात्राओं को लाभान्वित किया गया। केंद्र सरकार की पोस्ट मैट्रिक योजना के तहत बिहार का कोटा मात्र 35,715 निर्धारित है, जबकि आवेदन करने वाले अल्पसंख्यक छात्र –छात्राओं की संख्या लगभग 1 लाख होती है। इस विषय में राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि केन्द्रीय कोटा से शेष आवेदकों को राज्य निधि कोष से लाभान्वित किया जायेगा।
राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यक्ता /तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वित्तीय सहायता प्रदान कर उन्हें आत्म निर्भर बनाने के लिए चलने वाली मुस्लिम परित्यक्ता /तलाकशुदा सहायता योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 से महिलाओं की सहायता राशि 10 हजार रूपये से बढाकर 25 हजार रुपया कर दिया गया है। वर्ष 2007 से अबतक इस योजना के तहत कुल 14 हजार मुस्लिम परित्यक्ता महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।
अल्पसंख्यक छात्रावास योजनान्तर्गत राज्य के सभी जिलों में अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण की योजना है। अब तक 37 छात्रावास निर्मित हैं तथा 13 छात्रावासों का निर्माण प्रक्रियाधीन है। छात्रावास में सभी छात्रों की सुविधा के लिए उसके रख-रखाव, फर्नीचर एवं आधुनिकीकरण मद में अलग से राशि दी जाती है। प्रत्येक छात्रावास में सम्पूर्ण सुविधायुक्त पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष के साथ–साथ सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के छात्रावासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को बेड, आलमीरा, टेबल कुर्सी, पुस्तकालय, खाना बनाने के लिए बर्तन आदि सुविधाएं दी जा रही हैं। यहाँ रहने वाले छात्र छात्राओं को मुख्यमंत्री छात्रावास अनुदान योजना के तहत प्रतिमाह एक हजार (1000) रूपये की दर से छात्रावास अनुदान दिया जा रहा है। इन छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों को प्रतिमाह छात्र-छात्राओं को 15 किलोग्राम की दर से खाद्यान्न (9 किलोग्राम चावल एवं 6 किलोग्राम गेंहू) की आपूर्ति भी की जाती है। इन छात्रावासों के रख रखाव एवं कुशल प्रबंधन के लिए छात्रावास प्रबंधक के 37 पदों का सृजन किए जाने की योजना है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के 6-10 आयुवर्ग के विद्यालय से बाहर के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तालीमी मरकज वर्ष 2008-9 से लेकर दिसंबर 2012 तक संचालित किया गया। वर्ष 2012-13 में बिहार सरकार के खर्चे पर 10 हजार तालीमी मरकज के शिक्षा स्वयंसेवी नियोजित हुए। तालीमी मरकज के शिक्षा स्वयंसेवी द्वारा अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग के बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के साथ असाक्षर अल्पसंख्यक महिलाओं को साक्षर बनाया जाता है एवं विकास योजना से परिचित कराया जाता है। ये स्वयंसेवक सरकार के सामाजिक सुधार के कार्यक्रमों जैसे– नशाबंदी, बाल-विवाह उन्मूलन, दहेज़ प्रथा की समाप्ति तथा गाँधी विचार को घर–घर पहुँचाने से उत्प्रेरक का काम करते हैं। इनके द्वारा अबतक 25 लाख अल्पसंख्यक महिलाओं को साक्षर बनाया गया है।
बिहार राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगम को सुदृढ़ करने के लिए वर्ष 2017-18 से इसका हिस्सापूंजी 40 करोड़ रूपये से बढाकर 80 करोड़ रूपये करने का सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 से अल्पसंख्यक युवक /युवतियों को अधिकाधिक रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 25 करोड़ रूपये के स्थान पर 100 करोड़ रूपये करने की स्वीकृति प्रदान की गयी है। वर्ष 2012 -13 से लागू इस योजना का उद्देश्य बेरोजगार युवकों को 5 प्रतिशत साधारण ब्याज दर पर अधिकतम 5 लाख रूपये तक का ऋण देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना है। अब तक 9,626 अल्पसंख्यक लाभुकों को स्वरोजगार के लिए 104 करोड़ रूपये का वितरण किया गया है।
अल्पसंख्यकों के संस्थागत सुधार के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं। बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड का वार्षिक अनुदान 20 लाख रूपये से बढाकर 2 करोड़ रूपये किया गया। बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड का अनुदान 7.50 लाख रूपये से बढ़ा कर 80 लाख रु. किया गया। अंजुमन इस्लामियाँ हॉल, पटना के पुनर्निर्माण हेतु 35 करोड़ 18 लाख रूपये की स्वीकृति दी गयी है।
बिहार राज्य हज समिति का वार्षिक अनुदान 10 लाख रूपये से बढाकर 60 लाख रुपया किया गया है। राज्य सरकार द्वारा हज यात्रियों की सहायता के लिए खादिमुल हुज्जाज को भेजने के लिए प्रति वर्ष अलग से राशि देने की व्यवस्था है। राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के महान विभूतियों के नाम जैसे स्वर्गीय मौलाना मजहरुल हक़ ,स्वर्गीय अब्दुल कययूम अंसारी एवं स्वर्गीय गुलाम सर्वर भवन का निर्माण कार्य कुल 13 करोड़ रूपये की लागत से पूर्ण और लोकार्पित किया गया है।
अल्पसंख्यक कल्याण के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण नई पहल प्रस्तावित है। बिहार राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों में शैक्षणिक सुधार के लिए राज्य निधि से मूलभूत सुविधाओं जैसे – क्लास रूम ,पुस्तकालय ,उपस्कर ,पेयजल ,शौचालय आदि की व्यवस्था के लिए नई योजनाएं लाने की प्रक्रिया चल रही है।
जिला स्तर पर वक्फ की भूमि पर बहुउद्देशीय भवन के निर्माण की योजना है जिसमे वक्फ बोर्ड कमिटी का कार्यालय ,पुस्तकालय ,ऑडिटोरियम ,कौशल विकास केंद्र ,कोचिंग सेंटर आदि की व्यवस्था होगी। जिलों में अल्पसंख्यक आवासीय विद्द्यालयों का निर्माण किया जायेगा साथ ही साथ धुनिया ,रंगरेज ,दर्जी समूह के कल्याण के लिए विशेष योजना लायी जा रही है।
अल्पसंख्यकों के कल्याण और विकास के लिए सरकार द्वारा उठाये गए सकारात्मक और ठोस कदम से निःसंदेह आज समाज में इनकी स्थिति बेहतर हुई है और विकास की मुख्यधारा में इनकी सशक्त भागीदारी और उपस्थिति दर्ज हो रही है।