आदिवासियों को अब कोई गुमराह नहीं कर सकताः रघुवर

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  • आदिवासियों के जीवन में बदलाव की बुनियाद सरकार ने रखी
  • युवा राष्ट्र की शक्ति, राज्य और देश में बदलाव ला सकते हैं 

रांची। 9 अगस्त के दिन सन् 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ करो या मरो का नारा दिया था। हम भी आज संकल्प लें कि हम अपने जीवन से गरीबी, बेरोजगारी, अभावग्रस्त जीवन को दूर भगाएंगे।  2022 तक नए झारखंड का निर्माण करेंगे, जिसमें कोई भी बेघर ना और बेरोजगार ना रहे। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि अब कोई अपने भाषणों से आदिवासियों को गुमराह करने के मुगालते में ना रहे।

आज आदिवासी समाज जाग चुका है वह विकास में भागीदारी चाहता है। आदिवासियों के लिए 67 सालों से भाषण की राजनीति के बाद आदिवासियों के जीवन में बदलाव की बुनियाद रखी है हमारी सरकार ने।  आज हमारी सरकार आदिवासियों के सशक्तीकरण और उनके जीवन में बदलाव के लिए कार्य कर रही है। 15वें वित्त आयोग से राज्य के 26 प्रतिशत जनजातीय आबादी के समग्र विकास के लिए हमने अधिक धनराशि की मांग की है। मुख्यमंत्री  ने आज रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में समाज कल्याण विभाग द्वारा झारखंड आदिवासी सशक्तीकरण एवं आजीविका परियोजना के तहत आयोजित युवा समूह सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 32 प्रतिशत आबादी युवा है। युवाशक्ति अगर बदलाव का संकल्प लेते विकास की  सिद्धि अवश्य प्राप्त होगी। हमारे प्रधानमंत्री संकल्प से सिद्धि का नारा दिया है और वह नारा हमारी युवा शक्ति साकार कर सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय के 669 युवा समूह का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य है युवाओं को संगठित करना और एक सूत्र में पिरोना। उनके बीच सीड कैपिटल के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। ये समूह सरकारी योजनाओं की जानकारी के साथ खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री ने अपने विवेकाधीन फंड से 669 युवा समूहों को 25-25 हजार अर्थात एक करोड़ सड़सठ लाख पच्चीस हजार देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय के सामुदायिक सशक्तीकरण के तहत 1254 गांव के लिए ग्रामसभा परियोजना कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है तथा कुल 1254 समितियों के ग्राम विकास कोष में 17.90 करोड़ उपलब्ध कराई गई है। इस परियोजना के तहत 5360 महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया, जिसमें 64332 महिला शामिल हैं। 4999 महिला स्वयं सहायता समूह का बैंक खाता भी खुलवा या गया और उसमें 5.52 करोड़ रुपया सीड कैपिटल उपलब्ध कराई गई है।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि गांव के विकास के लिए हम छोटे छोटे प्रयास कर सकते हैं, जैसे डेरी फार्म मुर्गी पालन के शेड लगा सकते हैं, गांव में एकत्र होने वाले गोबर से गोबर बैंक तैयार कर सकते हैं और इन सब चीजों से छोटे-छोटे बदलावों से बड़े बदलाव हो सकते हैं।

समाज कल्याण मंत्री डा. लुईस मराण्डी ने कहा कि राज्य के 14 टीएसपी जिलों के 32 प्रखंडों 175 पंचायतों के 1790 गांव के 21 5839 परिवारों, जिनमें कुल 178 अति कमजोर जनजातीय समूह बहुल गांव हैं, इस परियोजना का कार्य क्षेत्र है। वैसे ही प्रखंडों को ही इसमें प्राथमिकता से सम्मिलित किया गया है, जिसमें अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत या इससे अधिक है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जनजातीय समुदाय के भूमि एवं जल प्रबंधन के द्वारा उनके कृषि की पैदावार को बढ़ाने के साथ बाजार केंद्रीय उत्पादन प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। पशुपालन और उसके द्वारा आय में वृद्धि करते हुए आजीविका के अन्य स्रोतों को बढ़ावा दे रही है।

स्वागत संबोधन करते हुए समाज कल्याण सचिव श्रीमती हिमानी पाण्डेय ने कहा कि  इस परियोजना की अवधि 2013 से 2021 है, परंतु झारखंड में यह परियोजना अप्रैल 2015 से लागू की गई है। परियोजना का उद्देश्य सामान्यतः आदिवासी एवं विशेष रूप से आदिम जनजाति परिवारों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाना है। इस परियोजना के कुल लागत 635.75 करोड़ है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 218 युवा समूहों को 43.60 लाख सीड कैपिटल तथा 40 ग्राम सभा परियोजना क्रियान्वयन समितियों को 1.66 करोड़ रूपये का चेक दिया। साथ ही 10 पशु मित्रों को पशु चिकित्सा किट भी दिया गया। मुख्यमंत्री ने 1.01 करोड़ रूपये की लागत से 12 किसान सेवा केन्द्रों का उद्घाटन किया तथा 38.80 करोड़ के लागत से 5983 परिवारों के बीच 2304 बकरी शेेड, 2682 मुर्गी शेेड, 997 सूकर शेड का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने 49.50 लाख रूपये के लागत से 11 गांवों के 11 समूहों के लिए 11 सूकर प्रजनन केन्द्रों का भी उद्घाटन किया।

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कार्यक्रम में युवा समूहों के प्रतिनिधियों गुमला की अनिता कुजूर एवं सीदीय कयाम, प0सिंहभूम के हिन्दूराम हांसदा, सरायकेला-खरसांवा के सुरेश दांगिल, रांची के गंभीर मुण्डा तथा गोड्डा सुंदर पहाड़ी की सुनीता मुर्मू ने अपने अनुभव साझा किये।

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