पटना। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के नेटवर्क का इस्तेमाल कर बैंकों में भीड़ से बचा जा सकता है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह अपील की है। मोदी ने बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से अपील कि है की वे बैंक की शाखाओं में भीड़ लगाने के बजाए राज्य में कार्यरत 6,728 पोस्टआॅफिस और 10,050 पोस्टमैन के विशाल नेटवर्क वाले ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक‘ के जरिए अपने गांव और दरवाजे पर ही कोरोना राहत पैकेज की राशि की निकासी करें। पोस्टआॅफिस से देश भर के 250 से ज्यादा बैंकों के खाताधारक अपने दरवाजे पर भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
बिहार व केन्द्र सरकार 12 हजार 612 करोड़ रुपये का वितरण विभिन्न योजनाओं के तहत कर रही हैं इनमें राज्य सरकार की ओर से 5,867 करोड़ व केन्द्र की ओर से 6,745 करोड़ रुपये दिए गए हैं। राज्य का एक भी ऐसा परिवार नहीं है, जिससे किसी न किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा हो।
मोदी ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की ‘आधार आधारित भुगतान व्यवस्था’ के तहत खाताधारक आधार दिखा कर या बायोमैट्रिक मशीन जिसे माइक्रो एटीएम भी कहा जाता है, में अपना अंगूठा लगा कर भुगतान ठीक उसी तरह से प्राप्त कर सकते हैं जैसे कि जन वितरण प्रणाली की दुकानों से वे राशन लेते हैं। इसके साथ ही विभिन्न बैंकों के राज्य में कार्यरत 15 हजार से ज्यादा ग्राहक सेवा केन्द्रों से भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए लाभुक अपनी राशि की निकासी कर सकते हैं।
लाक डाउन के बाद के एक महीने में बिहार में 1 लाख 38 हजार लाभार्थियों को 29.88 करोड़ और पूरे देश में करीब ढाई हजार करोड़ रुपये का भुगतान इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की ओर से किया गया है। कोई भी मशीन में लाभुक अंगूठा लगा कर अधिकतम 10 हजार रुपये तक की निकासी कर सकता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण और लाक डाउन की विषम परिस्थिति में समाज के सभी वर्गों की आत्मीय भाव के साथ नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक माननीय मोहन भागवत ने जो संदेश दिया, वह सकारात्मक और सबके लिए अनुकरणीय है। उन्होंने उन लोगों से भी द्वेष न रखने की अपील की, जो डाक्टरों-नर्सों जैसे कोरोना योद्धाओं से अनुचित व्यवहार किये या भारत के टुकड़े करने के नारे लगाये।
संघ प्रमुख का यह विचार समावेशी है कि वैश्विक संकट के समय समाज के किसी वर्ग के प्रति क्रोध या भय की प्रतिक्रिया संक्रमण के विरुद्ध हमारे अभियान को कमजोर करेगी। जो लोग राजनीतिक द्वेष के कारण संघ पर विभाजनकारी होने का मनगढंत आरोप लगाते हैं, उनके लिए डाक्टर भागवत का संबोधन आँखें खोलने वाला है।
संघ प्रमुख ने लाकडाउन में फंसे जरूरतमंद लोगों की सेवा जारी रखने का संकल्प दोहराया। उन्होंने नियमों के पालन, गांवों की आत्मनिर्भरता और बिना भीड़भाड़ के व्यापारिक गतिविधियां शुरू कर अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के प्रति आशावादी दृष्टिकोण अपनाया। यह मार्गदर्शन मानवता की सेवा में पूरे समाज का मनोबल मजबूत करने वाला है।
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