पटना। एईएस व जेई के प्रति जागरूक करने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने एईएस एवं जेई की रोकथाम को लेकर किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आशा एवं आँगनबाड़ी कर्मियों निर्देश दिया है कि वे घर-घर जाकर लोगों को एईएस के प्रति जागरूक करें। घर-घर जाकर लोगों को यह जरूर बतायें कि एईएस के लक्षण दिखने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जायें। बीमारी के संबंध में लोगों को जागरूक करना नितांत आवश्यक है। आशा एवं आँगनबाड़ी कर्मी बच्चों के माता-पिता को बतायें कि बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाना है।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दिया कि मुजफ्फरपुर में पीआईसीयू शीघ्र प्रारंभ हो एवं संबंधित जिलों में पैडियाट्रिक वार्ड में पूर्ण तैयारी रखी जाये। वायरल रिसर्च डायग्नोस्टिक लैब की सुविधा एसकेएमसीएच के अतिरिक्त अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी स्थापित की जाये। अस्पतालों में चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी 24×7 उपलब्ध रहें तथा अस्पतालों में पूर्ण साफ-सफाई एवं अन्य सुविधाओं पर विशेष निगरानी रखी जाये। एसओपी के अनुसार सारी व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।
कोराना संक्रमण को लेकर चलाये जा रहे डोर टू डोर कैम्पेन में एईएस एवं जेई के संबंध में भी जानकारी ली जाये। जेई का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित कराया जाये। वाहनों की गांव वार टैगिंग करें तथा अस्पताल पहुंचने पर उनके तत्काल भुगतान की व्यवस्था की जाये, ताकि एईएस एवं जेई पीड़ित मरीजों को ससमय अस्पताल पहुंचने में कठिनाई न हो। शिक्षा विभाग एईएस से ज्यादा प्रभावित मुजफ्फरपुर के पांच प्रखण्डों में मध्याह्न भोजन योजनान्तर्गत आच्छादित स्कूलों के बच्चों को 200 ग्राम दूध पाउडर उपलब्ध कराये। सभी विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर एईएस एवं जेई की रोकथाम के लिये काम करें।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग एवं संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के साथ एईएस एवं जेई की रोकथाम को लेकर किये जा रहे कार्यों की उच्चस्तरीय समीक्षा की। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में इन तीन वर्षों 2012, 2014 एवं 2019 में एईएस के ज्यादा मामले सामने आए। उनके आकलन के आधार पर एईएस से बचाव के लिए एसओपी बनाकर उसकी तैयारी की गई है। बूढ़ी गंडक नदी के निकटवर्ती जिलों में विशेषकर एईएस के मामले ज्यादा पाए जाते हैं। मुजफ्फरपुर में 60 प्रतिशत एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) एवं बाकी 40 प्रतिशत एईएस के केस अन्य 16 जिलों में मिलते हैं। गया के आसपास के जिलों में जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) के केस पाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल तक एसकेएमसीएच में 65 बेड का एईएस वार्ड तैयार हो जाएगा। 100 बेड का अलग से बनने वाला पीकू (पेडियाट्रिक इन्टेन्सिव केयर यूनिट) में लगभग 70 बेड इस माह के अंत तक पूर्ण होने की स्थिति में हैं। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने एईएस एवं जेई के लिए की जा रही तैयारियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 8 जिलों में पीएमसीएच पटना, एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर, एएनएमसीएच गया, डीएमसीएच दरभंगा, एसएच अस्पताल हाजीपुर, एसडीएएच रजौली (नवादा), मोतिहारी में पीकू का निर्माण पूर्ण हो चुका है। बाकी के 7 जिलों में पीकू का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। उन्होंने उपचार हेतु की जा रही तैयारियों, उपकरणों, रेफरल ट्रांसपोर्टेशन एवं इन बीमारियों से बचाव के लिए लोगों के बीच में प्रचार प्रसार के लिए किए जा रहे कार्यों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
पिछले वर्ष एईएस प्रभावित मुजफ्फरपुर जिले के 5 प्रखंडों कांटी, बोचहा, मीनापुर, मोतीपुर, मुसहरी में सोशियो इकोनॉमिक सर्वे कराया गया था। इस सर्वे के आधार पर कई निर्णय लिए गए थे, जिसे विभिन्न विभागों द्वारा क्रियान्वित किया गया है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि 303 अतिरिक्त आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित कर संचालित किए गए हैं। इस प्रकार मुजफ्फरपुर में कुल 1896 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहारों के अलावा दूध का पैकेट भी वितरित किया जा रहा है।
ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के अंतर्गत शौचालय के निर्माण एवं 29 हजार 589 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत आवास की स्वीकृति दी गई है और आवास के लिए भूमिहीनों को भी मुख्यमंत्री वास क्रय स्थल योजना के तहत पैसे दिए जा रहे हैं। उन्होंने अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के संबंध में जानकारी दी। जीविका के कार्यपालक निदेशक बाला मुरुगन डी ने बताया कि 7082 परिवारों को जीविका से जोड़ दिया गया है और 2587 परिवारों को सतत जीविकोपार्जन योजना का लाभ दिया जा रहा है। जीविका मित्रों को ट्रेनिंग देकर उनके माध्यम से एईएस से बचाव के संबंध में उन्हें जागरूक किया जा रहा है।
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने बताया कि मुजफ्फरपुर जिले के 5 प्रखंडों में 29 हजार 360 परिवार चिन्हित किए गए हैं। 15 हजार 85 परिवारों का राशन कार्ड के संबंध में सर्वेक्षण कराया गया, जिनमें से 8700 को नया राशन कार्ड उपलब्ध करा दिया गया है। इनमें से शेष का राशन कार्ड पहले से ही उपलब्ध है। 14 हजार 275 राशन कार्ड के लिए आवेदन आए हैं। उनमें से 11,468 परिवारों को नया राशन कार्ड निर्गत करा दिया गया है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने बताया कि 14 मार्च 2020 से 3 मई 2020 तक मध्याह्न भोजन के समतुल्य राशि 1 करोड़ 15 लाख बच्चों को उनके खाते में 218 करोड़ 51 लाख रूपये अंतरित कर दी गयी है, जबकि 15 अप्रैल 2020 से 03 मई 2020 तक की अवधि का कुल 160 करोड़ 19 लाख रूपये की राशि हस्तांतरण की प्रक्रिया में है। उन्होंने बताया कि एईएस प्रभावित मुजफ्फरपुर जिले के 5 प्रखंडों में भी लॉक डाउन के दौरान मध्याह्न भोजन योजनान्तर्गत आच्छादित स्कूली बच्चों/अभिभावकों के खाते में राशि अंतरित की जा चुकी है।
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