और वेस्ट इंडीज का मुकाबला जिसने भी देखा, वह धन्य हो गया 

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  • वीर विनोद छाबड़ा 

अगर कल इंडिया-अफगानिस्तान के रोमांचक नजदीकी मुक़ाबले के बाद वेस्ट इंडीज का मुक़ाबला जिस किसी ने देखा होगा तो धन्य हो गया होगा। वाकई कमाल की क्रिकेट हुई, मज़ेदार। नेल बाइटिंग फिनिश। पहले न्यूज़ीलैंड ने कमाल दिखाया। सात रन पर दो विकेट की बेहद ख़राब शुरुआत के बाद उन्होंने 291 रन बना दिए। धन्यवाद के पात्र रहे केन विल्लियम्सन कि रॉस टेलर (69) के आउट होने के बाद अकेले ही मोर्चा संभाले रहे और 148 रन बना डाले। बैक टू बैक दूसरी सेंचुरी। इसे कहते हैं कप्तान ने फ्रंट से लीड किया।

जवाब में वेस्ट इंडीज़ की स्थिति एक समय बहुत अच्छी थी, 142 रन पर 2 विकेट। मगर कुछ ही देर बाद 164 रन पर 7 विकेट हो गए। इसमें 87 तूफानी रन बनाने वाले क्रिस गेल का विकेट भी शामिल रहा। यानी 22 रन के भीतर पांच विकेट गंवा दिए। श्रद्धांजलि लिखी जाने लगी। क्रीज़ पर उस समय छह नंबर के बल्लेबाज़ कार्लोस ब्रैथवेट थे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उनके हिस्से में परफॉरमेंस से ज्यादा नाकामियां आयी हैं। वर्ल्ड कप की फ्लाइट में उन्हें देख कर कई को ताज्जुब भी हुआ था। मगर क्रिकेट में कौन कब क्या कर बैठे, मालूम नहीं। किसी एक की चमकदार इंनिग टीम का मुकद्दर बदल देती है।

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कल ब्रैथवेट के साथ यही हुआ। अचानक बल्ले से रनों की बौछार होने लगी। न्यूज़ीलैंडर हक्का-बक्का रह गए। उनकी जान में जान तब आयी जब 249 रन पर इंडीज़ का नौवां विकेट गिरा। तब तक 45 ओवर ख़त्म हो चुके थे। यानी जीत के लिए इंडीज़ को 30 गेंदों में 47 रनों की दरकार। एक स्वर में सब बोले, नामुमकिन। विकेट ही नहीं बचे हैं। न्यूज़ीलैंडर उछलने-कूदने लगे। वे भूल गए कि अभी ब्रैथवेट खड़े हैं। रनों की बरसात फिर शुरू हो गयी….अब 12 गेंदों में 8 रन। ब्रैथवेट दो रन लेकर 99 से 101 पर पहुंचे। सेंचुरी पूरी हुई। सबने खड़े होकर उनका अभिनंदन किया।

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न्यूज़ीलैंडर को विलियम्सन की सेंचुरी व्यर्थ होती दिखी। इधर ब्रैथवेट को इंतज़ार था, एक ऐसी लूज गेंद का, जिस पर छक्का लगा कर शानदार जीत दर्ज की जा सके। और उन्होंने लगभग ऐसा कर भी दिया। जेम्स नीशम के ओवर की आख़िरी गेंद पर उन्होंने ज़ोरदार ऊंचा हिट लगाया। मगर बॉउंड्री के ठीक अंदर ट्रेंट बोल्ट ने उन्हें कैच कर लिया। सुंदर सपना टूट गया, बेदर्द ज़माना जीत गया। इंडीज़ का वर्ल्ड कप में सफर ख़त्म ही समझो। सफलता के इतने पास आकर भी विफल हो जाना इंसान को निराश ही नहीं बेदम भी कर देता है। जश्न मना रहे न्यूज़ीलैंडर्स ने ब्रैथवेट को सांत्वना दी, पीठ थपथपाई, वेल प्लेड मैन। और मैच का ये आखिरी लम्हा सबसे अच्छा रहा।

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