कोरोना के संक्रमण को देखते हुए पैरोल पर रिहा होंगे कैदी

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कोरोना वायरस का संक्रमण
कोरोना वायरस का संक्रमण

DELHI : कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वैसे बंदियों को पैरोल पर रिहा करने को कहा है, जो सात साल से जेल में बंद हैं। ऐसे बंदियों की पहचान के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा, जो स्टेट लेवेल अथारिटी से मिल कर काम करेगी। उच्चस्तरीय कमेटी के चेयरमैन के अलावा होम सेक्रेटर्री होंगे। पैरोल की अऴधि चार से छह हफ्ते के लिए होगी। फिलहाल भारत की जेलों में अंडर ट्रायल 62 प्रतिश कैदी हैं, जबकि अंतररा,ठ्रीय मानक 16-18 प्रतिशत का है।

देश की 1339 जेलों में ऐसे कैदियों की संख्या 4 लाख 66 हजार 84 कैदी हैं। कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए अब सुनवाई के लिए दोषियों की भौतिक उपस्थिति भी रोक दी गयी है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग से ऐसे मामलों की सुनवाई होगी। कई राज्यों में कोर्ट की अऴधि में भी बदलाव किया गया है।

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इस बीच भारत के कई राज्यों ने कोणा की है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश इसमें शामिल हैं। दूसरे देशों में भी लॉकडाउन कर इस वायरस से लड़ने की कोशिश हो रही है। चीन, डेनमार्क, अल सलवाडोर, फ्रांस, आयरलैंड, इटली, न्यूजीलैंड, पोलैंड और स्पेन में लॉकडाउन जैसी स्थिति है। चीन में ही सबसे पहले कोरोनावायरस संक्रमण का मामला प्रकाश में आया था, इसलिए सबसे पहले वहां लॉकडाउन किया गया। चीन के बाद इटली सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। वहां मामला गंभीर होने के बाद प्रधानमंत्री ने पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया। उसके बाद स्पेन और फ्रांस ने भी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यह कदम उठाया।

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लॉकडाउन पहली बार अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले के बाद हुआ था। वहां तीन दिन तक लॉकडाउन किया गया था।  दिसंबर 2005 में न्यू साउथ वेल्स पुलिस फोर्स ने दंगा रोकने के लिए लॉकडाउन किया था। 19 अप्रैल, 2013 को बोस्टन शहर में आतंकियों की खोज के लिए लॉकडाउन किया गया था। नवंबर 2015 में पेरिस हमले के बाद हमलावरों को पकड़ने के लिए 2015 में ब्रुसेल्स में पूरे शहर को लॉकडाउन किया गया था।

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