कोरोना से दुनिया भर में 22 हजार मौतें, आप भी रहें अलर्ट

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कोरोना काल में ऐसी खबरें, जो भारत की ताकत का एहसास कराती हैं
कोरोना काल में ऐसी खबरें, जो भारत की ताकत का एहसास कराती हैं

कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया भर में कुल 22,070 लोगों की प्रमाणित तौर पर मौत चुकी है और फिलहाल 3,48,750 लोग इससे ग्रस्त हैं। सुकून की बात यह कि 1,17,604 लोग पूरी तरह से ठीक भी हो गए हैं।

इस बीमारी का सर्वाधिक खतरा उन्हें है, जिन्हें किसी प्रकार की दिल की बीमारी है, diabetes (शुगर) है, साँस लेने की बीमारी है, कैंसर है, या हाइपर टेंशन है। उनको संक्रमण होने का खतरा किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति से कई गुना ज्यादा है। अगर आंकड़ों की बात करें तो जो लोग इन बीमारियों से ग्रस्त नहीं हैं, उनके कोरोना संक्रमण से मरने की सम्भावना औसतन 1 प्रतिशत से भी कम है। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप परहेज़ नहीं करेंगे तो आपको कुछ नहीं होगा या यह आपके एवं आपके परिवार के सदस्यों के लिए यह जीवन घातक नहीं हो सकता है। इसका विवरण पोस्ट के साथ संलग्न चार्ट में देख सकते हैं।

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कई लोग राहत कोष में नेताओं के द्वारा पैसे दिए जाने की बात कर रहे हैं या अपने अपने इलाके में मास्क या साबुन वितरण की कोशिश कर रहे हैं। आप सभी का प्रयास सराहनीय है मगर एक बात समझना जरुरी है कि कोरोना संक्रमण के उपचार या बचाव के लिए पैसों की कमी नहीं है। दुनिया भर की सरकारों के पास अथाह पैसा है मगर जिन चीज़ों की इसके रोकथाम और इलाज के लिए जरुरत है वह तत्कालिक रूप से फिलहाल पैसों से नहीं खरीदी जा सकती जैसे डॉक्टर, नर्स, अस्पताल, वेंटीलेटर इत्यादि। यह कुछ ऐसी चीज़ें थी जिसका इंतेज़ाम सालों पहले किया जाना चाहिए था।

विकसीत राज्यों और देशों में जहाँ के राजनेता और अधिकारी ईमानदार थे, वहां स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बेहतर हैं, और बिहार जैसे घुस केंद्रित राज्य में जहाँ नेता से लेकर आम लोग घुस को लेकर सहज हैं, वहाँ स्तिथि भयावह है और स्वास्थ्य सुविधायें न के बराबर हैं।

इसलिए इस गफलत में मत पड़िये की कौन क्या योगदान दे रहा है, सबसे बड़ा योगदान वही लोग कर रहे हैं जो सभी लोगों से दुरी बनाकर घर में रह रहे हैं। ये बाढ़ राहत का वितरण नहीं है जो आप नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपेक्षा रखे। साबुन-मास्क वितरण करने वाला अगर एक व्यक्ति भी संक्रमित हो गया तो वह अपने साथ कई हज़ार लोगों को बीमार कर देगा इसलिए कृपया पूर्ण रूप से घर में रहिये और किसी से कुछ मत लीजिये।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा घोषित देश-व्यापी बंदी (जो की बहुत जरुरी है और इसका पूर्णतः पालन होना चाहिए ) का भारी असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और इससे उबरने में एक – आध साल तक लग सकते हैं। इस दौरान लोगों की नौकरी जाने से लेकर बुनियादी जीवन-यापन के लिए पैसों रुपयों की भारी किल्लत हो सकती है। शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को संभवतः बेहतर स्तिथि में रहेंगे क्योंकि ग्रामीण इलाकों में कम से कम खाने पीने और रहने के संसाधन बहुत आसानी से और कम खर्च पर उपलब्ध हैं और हो सकते हैं।

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अगर आप ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे हैं तो कम से कम घर के खान-पान के लिए छोटे से छोटे ज़मीन-बाड़ी में  सब्जियों की खेती कर दीजिये, ताकि अगर अगले कुछ महीनों में बहुत महंगाई हो गयी तो कम से कम आप कम कीमत पर पौष्टिक भोजन कर सकेंगे। जहां तक हो सके दाल-चावल-आटा का इंतज़ाम कर लीजिए। साथ ही, अगले कुछ महीनों के लिए जहाँ तक हो सके खर्चों में कटौती कर दीजिये, ताकि आपात स्थिति से निबटने के लिए आपके पास पैसों की कमी न हो।

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अपने आप पर और घर के सभी सदस्यों के स्वास्थय पर विशेष ध्यान दीजिये। यह सुनिश्चित कीजिये की घर की सभी बहु, बेटी, और महिलाएं हरी सब्ज़ी खा रही हैं, क्योंकि कई दफा हमारे जैसे पुरुष प्रधान समाज में घर की महिलाओं को पुरुषों के सामानांतर पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। अगर आपके बच्चे शहरी क्षेत्र में रहकर किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो जहाँ तक हो सके उनके खाते में कुछ और पैसे डाल दीजिये इस हिदायत के साथ की वह अनावश्यक खर्च न करें।

जहाँ तक हो सके घर पर ठीक ठाक अनुपात में कॅश रखे। इमरजेंसी के समय बैंक से पैसे निकालने में मुश्किल हो सकती है। घर के शौचालय और नहाने के जगह को विशेष रूप से साफ़ रखें। गन्दगी में संक्रमण और भी ज्यादा तेजी से फैलता है। और आखिरी बात नेताओं का मूल्यांकन उनकी बौद्धिकता और सामाजिक चेतना बढ़ाने के प्रयासों से कीजिये न की इस बात से की कौन क्या मुफ्त में बांट रहा है। अगले कुछ हफ्ते-महीने मुश्किल हो सकते हैं, इसलिए हौसला बनाये रखिये।

  • शाश्वत गौतम

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