पटना। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव न सिर्फ अरबों की जमीन के मालिक हैं, बल्कि लोहा के बड़े कारोबारी भी बताये जा रहे हैं। तेजस्वी को लेकर यह नया खुलासा किया है उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने। सुशील मोदी की मानें तो अपने इस कारोबार की जानकारी तेजस्वी ने चुनावी शपथ पत्र में भी नहीं दी है। टैक्स रिटर्न में भी लोहे के के कारोबार से होने वाली आमदनी का जिक्र नहीं है। लालू परिवार के युवराज एक और मुसीबत में फंस सकते हैं।
तेजस्वी को लेकर ये गंभीर खुलासा डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने किया है। मोदी ने तमाम कागजात जारी करते हुए कहा है कि 2012 से ही तेजस्वी यादव जिंदल स्टील एंड पावर कंपनी के एजेंट के तौर पर लोहे का थोक कारोबार कर रहे हैं। 2012 में जिंदल स्टील ने उन्हें झारखंड के रामगढ़ और पतरातू के साथ साथ उड़ीसा के अंगुल स्टील प्लांट का हैंडलिंग एंड स्टोरेज एजेंट बनाया। 2012 से अब तक तेजस्वी लोहे का कारोबार कर रहे हैं। मोदी ने जो कागजात को पेश किये हैं, उससे साफ है कि तेजस्वी लोहे का बड़ा कारोबार कर रहे थे। उन्होंने अपने कारोबार के लिए पटना सिटी के रानीपुर खिड़की, मिरचाई रोड का पता दिया।
कागजात के मुताबिक लोहे के कारोबार के लिए तेजस्वी का टिन नंबर TIN-10062264062 है। लोहे के कारोबार के लिए उनकी कंपनी का पैन नंबर-ACSPY9993J है। रजिस्ट्रेशन के लिए जो मोबाइल नंबर दिया गया, वह भोला यादव का है, जो वह इस्तेमाल करते थे। नंबर है -9473240226. लोहे के इस कारोबार के लिए लारा एंड संस और जिंदल स्टील के बीच करार हुआ था। इसके गवाह भी भोला यादव थे। इस एग्रीमेंट पेपर पर लारा एंड संस की ओर से तेजस्वी यादव ने और जिंदल स्टील की ओर से रूपाली मेहरा ने साइन किया था। एग्रीमेंट के मुताबिक तेजस्वी यादव लोहे के कारोबार के माहिर खिलाड़ी है। इसलिए जिंदल स्टील ने उन्हें ये काम दिया था।
लोहे का कारोबार तेजस्वी यादव 255 डिसमिल जमीन पर कर रहे थे। इसके लिए जमीन पर 12 फीट ऊंची चाहरदीवारी करायी गयी थी। सुशील मोदी के मुताबिक सिर्फ चाहरदीवारी कराने में करोड़ों रूपये खर्च किये गये। कुछ दिनों पहले तक इस जमीन पर लारा एंड संस का बोर्ड लगा था और दीवार पर जिंदल स्टील लिखा था। हालांकि अब बोर्ड को हटा लिया गया है लेकिन अभी भी वहां बड़ी तादाद में लोहा पड़ा है।
सुशील मोदी ने आज जो कागजात पेश किये हैं, उससे तेजस्वी यादव बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। जिंदल स्टील से करोड़ों का कारोबार करने के बावजूद उन्होंने वैट रिटर्न जीरो दिखाया है। इसका इनकम टैक्स भी नहीं दिया गया है। अगर कागजात सही हैं तो तेजस्वी यादव पर टैक्स चोरी का बडा मामला बन सकता है.
तेजस्वी यादव ने चुनावी शपथ पत्र में लोहे के कारोबार का कोई जिक्र नहीं किया है। ऐसे में चुनाव आयोग भी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इससे पहले भी ये खुलासा हो चुका है कि तेजस्वी यादव 22 साल की उम्र में ही डिलाइट मार्केटिंग, ए बी एक्सपोर्ट, फेयरग्रो जैसी कंपनियों के मालिक बन गये थे। इन्हीं खुलासों के बाद ईडी ने पटना में अरबों की लागत से बन रहे उनके मॉल को जब्त कर लिया है।