छिछोरे का नाम गंदा पर मैसेज अच्छा है

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सार्थक समय डेस्क :निर्देशक नीतीश तिवारी की नई फिल्म छिछोरे इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले दोस्तों की कहानी है। फिल्म शुरू होती है अनिरुद्ध पाठक ऊर्फ अनी (सुशांत सिंह राजपूत .) और माया (श्रद्धा कपूर ) के बेटे राघव के  असफल होने पर सुसाइड अटैंप से। राघव इस असफलता से इतना आहत होता है कि फ्लैट की बॉल्कनी से कूद जाता है। इससे उसके सिर और शरीर के अन्य अंगों में बहुत ज्यादा चोट लगती है और उसकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि वो मौत के कगार पर पहुंच जाता है।

ऐसे में राघव का पिता अनी अपने कालेज के दिनों की कहानी सुना कर बेटे को ये समझाने की कोशिश करता है की जीवन में किसी परीक्षा में फेल होना बुरा नहीं होता, लूजर होना भी खराब नहीं है बस कोशिश पूरी होनी चाहिए। इसके साथ ही किसी भी परीक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण जिंदगी है निराश होकर उसे दाव पर नहीं लगाना चाहिए।

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कॉलेज की स्पोर्ट्स चैंपियनशिप की कहानी

अनी अपने होस्टल के अन्य साथियों को भी बुलाता है फिर सभी दोस्त राघव को अपनी कहानी सुनाते हैं कि वो किस तरह से वर्षों से फिसड्डी रहे होस्टल नं 4 को स्पोर्ट्स की जेनरल चैंपियनशिप में चैंपियन बनाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। सारी कहानी इसी चैंपियनशिप के स्पोर्ट्स इवेंट के इर्द-गिर्द घूमती है।

इसमें होस्टल नं 4 के लड़के अनी और डेरेक के नेतृत्व में तिकड़म और मेहनत दोनों के बल पर चैंपियनशिप में मौजूदा चैंपियन होस्टल नं 3 को कड़ी टक्कर देते हैं। आखिर में बास्केटबाल मैच के फाइनल में वे करीबी मुकाबले में हार जाते हैं और लूजर का टैग हटा नहीं पाते। वे निराश होकर कोर्ट से निकल रहे होते हैं तो होस्टल नंबर 3 का कैप्टन स्पोर्ट्समैन स्प्रिट दिखाते हुए कहता है वेल प्लेड। अपनी साथियों को भी इनके सम्मान में तालियां बजाने और हराने टीम की हौसला अफजाई करने को कहता है।

कलाकारों का चयन बढ़िया
फिल्म में कलाकारों का चयन बढ़िया हुआ है। खासकर सुशांत तो अपनी पहली ही काई पो चे से ही खिलाड़ी की भूमिका में जंचते हैं धौनी में भी वे परफेक्ट लगे थे। इस फिल्म के स्पोर्ट्स इवेंट में वे सहज लगते हैं। प्रतीक बब्बर और वरुण शर्मा ने भी अच्छा अभिनय किया है।

नई पीढ़ी की जुबान में डॉयलॉग
फिल्म के डॉयलॉग वैसे ही हैं जैसे आज के कॉलेज के युवा बात करते हैं। डॉयलॉग ने फिल्म की कहानी को रोचक बनाने और यूथ से कनेक्ट करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जो जीता वो सिकंदर व थ्री इडियट्स की याद                                                                             फिल्म देखते समय मुझे आमिर खान की दो फिल्में याद आ रहीं थीं पहली जो जीता वो सिकंदर और दूसरी थ्री इडियट्स। छिछोरे जो जीता वो सिकंदर के ज्यादा करीब लगी। लेकिन गीतों के मामले में आमिर की फिल्म ज्यादा अच्छी थी। वहीं थ्री इडियट्स की तरफ की रैगिंग और होस्टल लाइफ दिखाई गई है।

हैप्पी इंडिंग
भारतीय सिनेमा में हैप्पी इंडिंग दर्शकों को बहुत पसंद है। इसलिए छिछोरे में भी हैप्पी इंडिंग रखी गई है। सुसाइड अटैंप करने वाला राघव अपने पिता और उनके दोस्तों की कहानी सुन कर रिस्पोंड करने लगता है और वो धीरे धीरे ठीक होने लगता है। राघव को स्वस्थ होकर नए कॉलेज में प्रवेश करते हुए दिखा कर कहानी खत्म होती है।

जहां तक फिल्म के निर्देशक नीतीश तिवारी का सवाल है तो मुझे लगता है उन्होंने अब तक सबसे बेहतरीन फिल्म दंगल बनाई है उसके बाद ही छिछोरे या बरेली की बर्फी को रख सकते हैं।

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