झाड़ग्राम समेत जंगलमहल में अपनी अपनी जीत के दावे, वोटर खामोश

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बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दो दिनों से हिंसा का दौर आज भी जारी रहा। इस हिंसा में अब तक भाजपा समर्थक 6 लोगों की जान जा चुकी है।
बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दो दिनों से हिंसा का दौर आज भी जारी रहा। इस हिंसा में अब तक भाजपा समर्थक 6 लोगों की जान जा चुकी है।
  • डी. कृष्ण राव

झाड़ग्राम (बंगाल)। झाड़ग्राम समेत जंगलमहल में अपनी अपनी जीत के दावे तर्कों के साथ सभी कर रहे हैं, पर वोटर मुंह नहीं खोल रहे। माओवादी नेता अब तृणमूल के साथ हैं। एक दशक पहले भी माओवादियों का एपिक सेंटर था। किशनजी इलाके के  बेताज बादशाह थे। उनके शिष्य आज भी झाड़ग्राम के आसपास के इलाके  लालगढ़, ग्वालतोड़,  दीनपुर  विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वे आम आदिवासी लोगों को  शोषण मुक्त समाज का सपना दिखाकर  लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ  पहले  भड़का कर  हथियार थमा देते थे। साथ में शुरू होता थी आम आदमी से लूट, लेकिन सेंट्रल फोर्स की बदौलत  ममता बनर्जी की  सरकार की कोशिश से जंगलमहल से  माओवादियों का दबदबा खत्म हो गया।

ममता बनर्जी हमेशा कहा करती थीं-  मेरा जंगलमहल  फिर से हंस रहा है। जंगलमहल में  सड़कों और पानी की व्यवस्था,  राशन की सुविधा  जरूर हो गयी है, लेकिन  जो माओवादी पहले किशनजी के इशारे पर नाचते थे, वही अब सत्ताधारी पार्टी यानी तृणमूल कांग्रेस के नेता बन गए हैं।सरकारी सुविधा पाने से लेकर छोटा-मोटा आपराधिक कृत्य भी करते हैं। रंगदारी जरूर  वसूलते हैं।

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जंगलमहल में एक दिन  का सफर  उन आंखों को जरूर पढ़ पाया। कोई मुंह खोलना नहीं चाह रहा। दुलाल टूडू जैसे कुछ लोग  मुंह खोल भी रहे तो  आसपास के लोगों से बच के कहीं दूर सन्नाटे में जाकर। इतना डर किस बात का, पूछने पर टुडू बताते हैं- जंगलमहल में पहले  माओवादी के नाम पर लूट हो रही थी। वही लोग अभी  सत्ताधारी पार्टी के नाम पर लूट रहे हैं। यहां के गरीब लोग दिन भर मेहनत-मजदूरी कर तेंदूपत्ता चुनते हैं। पेड़ के पत्तों का दोना बना कर  अपना परिवार पालते हैं। वे भला इनका मुकाबला कैसे करें। टुडू का कहना है कि मुकाबला हम जरूर करेंगे, अगर मतदान केंद्रों तक पहुंच पाए तो।

एक समय जंगलमहल में  लोगों को पुलिस के अत्याचार से बचाने के लिए जनसाधारण की कमेटी बनी थी, जो कि माओवादियों के इशारे पर चलती थी। उसके नेता थे छात्रधर महतो। ममता बनर्जी की सरकार ने उसे काफी दिनों तक जेल में भी रखा था।  अभी वही जंगलमहल में तृणमूल का बड़ा चेहरा है। जंगलमहल में  लकड़ी की तस्करी  होती है। नदी से  अवैज्ञानिक और  गैरकानूनी तरीके से बालू  निकाला जाता है। इसके कारण वर्षा के समय बाढ़ हजारों लोगों को बेघर  करती है। इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। फिर यह कैसे होता है, इस सवाल का कोई जवाब देने को तैयार नहीं।

लैंडमाइंस विस्फोट, गोली, हत्या, अगवा और बंद जैसे शब्द  अभी झाड़ग्राम के जंगल महल में सुनाई नहीं देते। 32 माओवादी नेताओं को  होमगार्ड की नौकरी मिल चुकी है। इनमें से एक समय के माओवादी झाड़ग्राम के एरिया कमांडर जयंतो उर्फ साहिब राम मुर्मू भी शामिल है। लेकिन उन परिवारों का क्या, जिन परिवारों की कोई न कोई सदस्य  माओवादियों के हाथ में  दम तोड़ दिया।

नाम बताने से परहेज करते हुए ऐसे ही एक परिवार के मुखिया का कहना है- जरूर बदले में ₹400000 और एक नौकरी मिली है, लेकिन बेटा तो गया। और उन्हीं माओवादी नेताओं को  तृणमूल का स्थानीय नेता बनते देख  लोगों में तो गुस्सा जरूर है।

झाड़ग्राम शहर विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल उम्मीदवार  फिल्म अभिनेत्री  बीरबहा हरदा का कहना  है कि ममता बनर्जी के विकास का मुद्दा  और माओवादी मुक्त जंगलमहल ही इस बार सबसे बड़ा नारा है, लेकिन कोई यह मानने के लिए तैयार नहीं है। भाजपा के उम्मीदवार  सुखमय सत्पथी का कहना है कि ममता बनर्जी ने उन लोगों के लिए पैकेज की घोषणा कर दी, जिन लोगों ने आम लोगों को मारा है, पर उनके लिए कुछ नहीं  किया, जो माओवाद0यों के हाथों मारे गये। इस बार सबसे मुद्दा यही है। उनका कहना है कि ममता बनर्जी  माओवादी लौट जाएंगे का भय दिखा कर लोगों का विश्वास जीतना चाहती हैं, लेकिन लोग समझ चुके हैं कि उनके हक का सरकारी पैसा किनके  पास जा रहा है। यहां की सीपीएम उम्मीदवार मधुजा सेनराय  अपने  बचे खुचे कुछ समर्थकों को लेकर  झाड़ग्राम शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक  दौड़ रही हैं, लेकिन  किसी का वोट काट कर दूसरे को  जिताना ही उनका काम होगा। क्योंकि 34 साल का शासन  भूल कर लोग कतई माकपा को यहां  नहीं जिताएंगे।

झाड़ग्राम से सटा हुआ विधानसभा क्षेत्र गोपीबल्लभपुर  है। यहां के भाजपा उम्मीदवार  संजीत महतो का कहना है कि  झाड़ग्राम शहर और गोपीबल्लभपुर का  मुद्दा लगभग एक है, लेकिन तृणमूल के  स्थानीय नेताओं की आर्थिक धांधली ही  इस बार उनके लिए  आशीर्वाद बनती दिख रही है। गोपीबल्लभपुर के  टीएमसी नेता  योगेंद्र नाथ महतो का कहना है कि लोकसभा में वह थोड़ा पीछे चल रहे थे, लेकिन विधानसभा सीट उनकी ही है। इस सीट पर संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार  तृणमूल का कितना वोट काटता है, खेल उस पर ही निर्भर कर रहा है।

झाड़ग्राम में 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को यहां से 55528 वोटों की बढ़त थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 1643 वोटों की बढ़त मिली। गोपीबल्लभपुर में 2016 के विधानसभा चुनाव में चीएमसी को 49558 वोटों की बढ़त मिली थी, पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 6129 वोटों की बढ़त हासिल हुई।

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