रांची। झारखंड कंगाली के दौर से गुजर रहा है। खजाना खाली पड़ा है। ठेकेदारों के भुगतान पर रोक लगा दिये जाने के कारण निर्माण कार्य ठप पड़ने लगे हैं। कुछ ठेकेदारों ने काम रोक दिया है तो कुछ ने रोकने की चेतावनी दी है। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है कि मुख्य सचिव डीके तिवारी ने 24 दिसंबर 2019 को राज्य सरकार के सभी विभागों को निर्देश दिया था कि नई सरकार के गठन होने तक सभी प्रकार के सिविल कार्यों से संबंधित भुगतान रोक दिए जाएं।
यह महज तकनीकी वजह नहीं थी, बल्कि सरकार के खाली खजाने का असर ही था। इसलिए कि नई सरकार के गठन के बाद भी जनवरी में योजना सह वित्त विभाग के सचिव ने ट्रेजरी अफसरों को निर्देश दिया की मुख्य सचिव के आदेश को अगले आदेश तक प्रभावी रखा जाए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कबूल किया है कि राज्य का खजाना खाली है। इससे विकास कार्यों पर असर पड़ेगा। कुछ कठिन फैसले भी लेने पड़ सकते हैं।
भुगतान पर रोक संबंधी आदेश का असर राज्य में चल रहे विकास के कामों पर साफ दिखने लगा है। जहां-जहां काम चल रहे थे, वहां ठेका कंपनियों ने अपने स्टाफ कम कर दिए हैं। कुछ कंपनियां काम बंद करने की चेतावनी दे रही हैं। अनुमान के मुताबिक राज्य में तकरीबन 7000 करोड़ की योजनाएं मुख्य सचिव के आदेश से लटक गई हैं। यानी खाली खजाने का असर विकास के कामों पर दिखने लगा है।
कहा जा रहा है कि पहले से ही दैनिक कामों के लिए एक-एक पैसे का बंदोबस्त विभाग को करना पड़ रहा है और वेतन-पेंशन जैसे जरूरी काम के लिए भी पैसे जोड़ने पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में आने वाले बजट में कुछ योजनाओं को रोक दिया जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे भी मुख्यमंत्री ने यही कहा है कि कुछ गैर जरूरी योजनाओं को रोकने पर विचार किया जा सकता है।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत रांची में जो काम हो रहे थे और इस वजह से सबसे तेज काम करने वाले शहर के रूप में इसकी पहचान बनी थी, वह पिछड़ने की स्थिति में है। अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर एक तरह से विराम लग गया है। धुर्वा में बन रहे अर्बन टावर सिविक सेंटर का काम ठप पड़ा है। जलापूर्ति योजना के काम भी बंद हो गए हैं। अधिकारी भी मानते हैं कि काम की गति धीमी हुई है। हालांकि उनका दावा है कि ऐसी स्थिति ठेकेदारों द्वारा स्टाफ की संख्या घटाने के कारण पैदा हुई है। सच यह है कि निर्माण कार्यों में लगी कंपनियों ने काम के एवज में जो बिल जमा किये हैं, उनका भुगतान ही रोक दिया गया है।
जिन योजनाओं पर आर्थिक तंगी का असर पड़ा है, उनमें धनबाद जिले की 12 सौ करोड़ से अधिक की योजनाएं हैं। 29 करोड़ की लागत से निरसा-गोविंदपुर मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना और पंचेत डैम से 39 गांवों में जलापूर्ति की योजना प्रभावित हुई है। अगले ही साले इन योजनाओं का काम पूरा होना है। 74 करोड़ की बलियापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना भी ठप है। इस योजना से 44 गांवों को पानी की सप्लाई की जानी है। हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य भी अब ठप पड़ने की ओर है। इसलिए कि इनके निर्माण में लगी कंपनी ने भुगतान न होने की स्थिति में काम ठप कर देने की चेतावनी दी है।
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