झारखंड ने 100 यूनिट फ्री बिजली का दिल्ली का आइडिया अपनाया

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झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिला अवर निबंधक, देवघर श्री राहुल चौबे को निलंबित करने से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिला अवर निबंधक, देवघर श्री राहुल चौबे को निलंबित करने से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।

RANCHI : झारखंड ने 100 यूनिट फ्री बिजली का दिल्ली सरकार का आइडिया अपनाया। हेमंत सोरेन की सरकार ने 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली का बजट में प्रावधान किया है। झारखंड सरकार ने अपने मूल मुद्दों के साथ दिल्ली माडल को अपनाने का प्रयास किया है। दिल्ली की तरह ही झारखंड में 100 मोहल्ला क्लीनिक खोलने की घोषणा की गयी है।

दिल्ली की नकल अब दूसरे राज्य भी करने लगे हैं। दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम ने दूसरे राज्यों के लिए कई नसीहतें दी हैं। खासकर उन राज्यों के लिए, जिनके यहां आने वाले समय में चुनाव होने हैं। यानी बिहार और बंगाल। बंगाल में भी 75 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की तैयारी चल रही है। झारखंड ने तो 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की घोषणा ही कर दी।

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फ्री बिजली और मोहल्ला क्लीनिकों का जो काम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में किया, वही नुस्खा अपनाने को अब दूसरे राज्य बेताब हैं। अब उसी नक्शेकदम पर दूसरे राज्य भी बढ़ने लगे हैं। दिल्ली माडल अपनाने वाला झारखंड पहला राज्य बन गया है। बंगाल में भी ममता बनर्जी की सरकार एक निश्चित यूनिट तक बिजली फ्री करने पर विचार कर रही है। बंगाल ने 75 यूनिट बिजली फ्री करने की बात कही है। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने पहले ही संकेत दे दिया था कि दिल्ली की तरह अब झारखंड में भी मोहल्ला क्लीनिक खुलेंगे। मंगलवार को बजट में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 100 मोहल्ला क्लीनिक खोलने की घोषणा कर दी।

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यानी एक बात बिल्कुल साफ हो चुकी है कि बुनियादी सुविधाएं-सहूलियतें देकर ही अब जनता का दिल जीता जा सकता है। जनता तक सीधा संपर्क बनाया जा सकता है। स्मार्ट सिटी, शौचालय जैसे काम जनता की बुनियादी जरूरतें नहीं हैं। बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी बुनियादी चीजों को जो सरकार जितनी सस्ता करेगी या उसे सुगम बनायेगी, जनता उसकी ही ओर मुखातिब होगी। केजरीवाल ने यही काम किए और अपने दम पर सर्वाधिक सीटें विधानसभा में जीतने में कामयाबी हासिल की।

झारखंड की तरह उनके पास भी आर्थिक संसाधनों का अभाव था और केंद्र सरकार असहयोग भी। फिर भी सीमित अधिकार होते हुए भी ये सारी सुविधाएं जनता को दिल्ली सरकार ने दीं। यही वजह रही कि हेमंत सोरेन की सरकार ने जनता से सीधे जुड़े मुद्दों को अपने बजट में तरजीह दी है। मसलन रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य उनके बजट की प्राथमिकता में रहे। ढांचागत सुविधाओं को प्राथमिकता सूची में हेमंत सरकार ने दरकिनार कर दिया है।

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