रांची/ कोलकाता। झारखंड व बंगाल में राज्यसभा चुनाव के लिए घमासान मचा है। पड़ोस के ही बिहार में राज्यसभा का चुनाव सुगमता से होता दिख रहा है। झारखंड में कांग्रेस 18 विधायकों में 17 की सिफारिश के बावजूद राज्यसभा का टिकट फुरकान अंसारी की जगह पार्टी ने शाहजादा अनवर को दे दिया। इससे झारखंड कांग्रेस में भारी तूफान खड़ा हुआ है। वैसे तीसरे उम्मीदवार के पक्ष में जीत का कोई गणित नहीं बैठता, लेकिन इतना तय है कि मुकाबला दिलचस्प हो गया है। झारखंड का जो इतिहास रहा है, उसमें कुछ कहना मुश्किल है। सनद रहे कि जिस गठबंधन की सरकार राज्य में है, उसमें जेएमएम ने अपने सुप्रीमो शिबू सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने दीपक प्रकाश को मैदान में उतारा है। राज्य से 2 सीटें ही खाली हो रही हैं।
कोलकाता से अशोक सिंह की रिपोर्ट है कि वहां भी अंतिम वक्त में एक उम्मीदवार के आ जाने मुकाबला रोजक हो गया है। उन्होंने लिखा है- टेलीविजन के पर्दे पर इसके पहले ऐसा दृश्य नहीं देखा गया। तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विधायक दिनेश बजाज विधानसभा के गलियारे में दौड़ रहे थे। राज्यसभा के लिए नामांकन जमा करने का समय तीन बजे तक निर्धारित था। घड़ी में तीन बजने में कुछ सेकेंड ही बचे थे, तभी विधानसभा के रिटर्निंग अफसर के कमरे में हाथ में फाइल लिए दिनेश बजाज ने प्रवेश किया और निर्दल उम्मीदवार के रूप में नामांकन जमा किया।
दिनेश बजाज ने एक दिन पहले West Bengal Transport Infrastructure Development Corporation के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। राज्यसभा में पश्चिम बंगाल से खाली हुई पाँच सीटों के लिए दिनेश बजाज को लेकर कुल 6 उम्मीदवार हो गये हैं। नामांकन के आखिरी दिन दोपहर तक तृणमूल कांग्रेस के दो उम्मीदवारों मौसम बेनजीर नूर और अर्पिता घोष ने नामांकन जमा किया था। चार सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के चार निश्चित जीतने वाले उम्मीदवार हैं- सुब्रत बक्शी, दिनेश त्रिवेदी, मौसम बेनजीर नूर और अर्पिता घोष। सुब्रत बक्शी को छोड़कर तीनों लोकसभा चुनाव में हार गये थे।
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वाम मोर्चा और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार हैं विकास रंजन भट्टाचार्य। शारदा चिटफंड मामले में विकास रंजन भट्टाचार्य शुरू से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इससे तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों में बौखलाहट है। दिनेश बजाज के निर्दलीय उम्मीदवार होने के बावजूद उनके दस प्रस्तावक तृणमूल कांग्रेस के मंत्री और विधायक हैं। स्क्रूटनी के बाद अगर किसी ने नामांकन वापस नहीं लिया तो पाँचवें स्थान के लिए चुनाव अनिवार्य है। इसमें भाजपा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है। पहले दिन नामांकन फार्म लेने के बावजूद भाजपा ने नामांकन जमा नहीं किया।
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विधानसभा में पार्टियों की शक्ति के हिसाब से तृणमूल कांग्रेस के चार उम्मीदवारों की जीत निश्चित है। राज्यसभा में जीत के लिए एक उम्मीदवार को 49 वोटों की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के 207 विधायक हैं। उसके अतिरिक्त 11 गठबंधन के गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा के, 2 वाममोर्चा और कांग्रेस से तृणमूल में गये 17 को मिलाकर 30 होते हैं। भाजपा में शामिल तृणमूल कांग्रेस के 7 विधायकों को जोड़ने से कुल संख्या 37 होती है। कुल मिलाकर राज्यसभा के पाँचवें उम्मीदवार का चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है।
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