टिड्डी दल से बचाव के लिए किसानों को कीटनाशकों की जानकारी दें

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साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे? अगर संवेदना साहित्य की आत्मा है तो निश्चत ही इस पर विचार होना चाहिए।
साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे? अगर संवेदना साहित्य की आत्मा है तो निश्चत ही इस पर विचार होना चाहिए।
  • टिड्डी दल के हमले की आशंका को ले बैठक
  • उपविकास आयुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक
  • कृषि विभाग को सजग सक्रिय रहने के निर्देश
  • जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण कार्यदल का गठन

रांची। टिड्डी दल के हमले से बचाव के लिए किसानों को कीटनाशकों की जानकारी दें। यह निर्देश टिड्डी दल के हमले की आशंका के मद्देनजर रांची के उप विकास आयुक्त ने दिया है। टिड्डी दल के हमले की आशंका को देखते हुए आज उप विकास आयुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में विकास भवन साभगार में बैठक हई। बैठक में अनुमंडल  पदाधिकारी, बुंडू, जिला कृषि पदाधिकारी, रांची, वन प्रमंडल पदाधिकारी, ज़िला उद्यान पदाधिकारी, ज़िला स्तरीय अग्निशमन विभाग के पदाधिकारी, ज़िला जनसम्पर्क पदाधिकरी, कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी, प्रधान सह वरीय वैज्ञानिक, दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र, मोरहाबादी रांची उपास्थित थे।

बैठक के दौरान उप विकास आयुक्त ने कहा कि जिले में टिड्डियों के आक्रमण से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है कि किसानों को टिड्डियों के आक्रमण तथा इसके बचाव हेतु जागरूक किया जाए। इस दौरान जिला स्तर पर टिड्डी नियंत्रण हेतु कार्य दल के कार्य एवं दायित्वों के सम्बंध में विस्तार से चर्चा की गयी।

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बैठक में डीडीसी ने जिले में टिड्डियों के आक्रमण की तैयारी हेतु पर्याप्त मात्रा में कीटनाशक के भंडारण तथा पर्याप्त मात्रा में इन रसायनों की उपलब्धि सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोगी हाईस्पीड/ लोवॉल्यूम स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, गटोर स्प्रेयर, नैप सैक स्प्रेयर, वाहन पर प्रतिष्ठापित किए जाने वाले स्प्रेयर आदि की उपलब्धता की जानकारी ली। उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों को इन स्प्रेयर के विक्रेताओं एवं किसानों से सम्पर्क कर समन्वय बनाए रखने का निर्देश दिया, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी मदद ली जा सके।

बैठक में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण कार्यदल के सदस्यों को जिले के अग्निशमन विभाग/ कार्यालय के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें संवेदनशील बनाने की बात कही, ताकि जरूरत पड़ने टिड्डी दल पर दवा का त्वरित छिड़काव किया जा सके। बैठक में डीडीसी ने प्रखण्ड स्तर पर टिड्डी नियंत्रण कार्य दल के सक्रिय रहने को लेकर निदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में सभी प्रखण्ड में बैठक आयोजित कर आवश्यक कार्य योजना बनाई जाए।

कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार (कृषि प्रभाग) के आदेश के आलोक में जिले में टिड्डी नियंत्रण हेतु उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण कार्यदल का गठन किया गया है। टीम के संयोजक जिला कृषि पदाधिकारी होंगे। इस कार्यदल में बतौर सदस्य वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी, जिलास्तरीय अग्नि शमन विभाग के पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी तथा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।

बैठक में उप विकास आयुक्त द्वारा कृषि विभाग को सजग और सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया। उन्होंने टिड्डी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इसकी लगातार निगरानी करने का निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिया है। साथ हीं कृषि वैज्ञानिक केन्द्र के वैज्ञानिकों व अधिकारियों को आपसी समन्वय स्थापित करते हुए इससे निपटने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। बैठक में खेतों में टिड्डी दल के हमलें को रोकने हेतु उपाय पर भी चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि टिड्डी दल के हमले से बचने के लिए खेतों में धुआँ किया जाए। इससे टिड्डी रुकते नहीं है। खेत में पानी भरने से भी टिड्डी बैठ नहीं पाती। सुबह पांच बजे से आठ बजे के बीच कलोरपाईरीफोस 20 प्रतिशत ई०सी० या लम्बडा, साईहसोथरीन पांच प्रतिशत ईसी के छिड़काव भी किया जा सकता है। इसके अलावा किसान सामूहिक रूप से गांव व क्षेत्र में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग कर भगा सकते हैं। साथ हीं आग जलाने, पटाखे फोडने, थाली, टीन पीटने, ढोल व नगाड़े बजाने से भी ये भाग जाते हैं। तेज ध्वनि को ये कीट बर्दाश्त नहीं कर पाते।

इन रसायनों का कर सकते है छिड़काव

फसलों में यदि टिड्डियों को प्रकोप बढ़ गया हो तो कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके भी इनकों मारा जा सकता है। टिड्डी प्रबंधन हेतु फसलों पर नीम के बीजों का पाउडर बनाकर 40 ग्राम पाउडर प्रति लीटर पानी में घोल कर उसका छिड़काव किया जाय तो दो-तीन सप्ताह तक फसल सुरक्षित रहती है। इसके अलावा बेन्डियोकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्राम या क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50 प्रतिशत ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25 प्रतिशत एससी 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी 200 ग्राम को 500-600 लीटर पानी मे घोल कर प्रति हैक्टेयर अर्थात 2.5 एकड़ खेत मे छिड़काव करना होगा। इसके अलावे इनसे जुड़ी किसी प्रकार की जानकारी एवं सहायता के लिए किसान काल सेंटर टोल फ्री नंबर -18001801551 पर काल कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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