- ज्यादा सम्भावना पर टीबी के साथ कोरोना की भी कराएं जांच
- सरल उपाय अपनाएं, बीमारी से खुद बचें, दूसरों को भी बचाएं
वाराणसी। टीबी और कोरोना समान तरीके से फैलते हैं, इसलिए जांच में सावधानी बरतने की जरूरत है। दोनों के लक्षण एक जैसे दिखते हैं। इससे फर्क करना कठिन है। कोरोना वायरस (कोविड-19) और क्षय रोग यानी टीबी के संक्रमण का तरीका और लक्षण लगभग मिलते-जुलते हैं। इसलिए इनके संक्रमण की जद में आने से बचने के लिए मरीजों के साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है कि यदि कोई टीबी की जांच के लिए आता है तो वे क्या-क्या सावधानी बरतें। इसके अलावा उन्हें लगता है कि मरीज में टीबी नहीं, कोरोना के अधिक लक्षण नजर आ रहे हैं तो वे परामर्श लेकर उनकी कोरोना की भी जांच करा सकते हैं। इतना ही नहीं, टीबी की जांच में इस्तेमाल होने वाली सीबीनाट मशीन कोरोना की भी जाँच कर सकती है और वाराणसी सहित प्रदेश में कई जिलों में यह जांच हो भी रही है।
वाराणसी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राकेश कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना जहां एक वायरस (विषाणु) है तो टीबी एक बैक्टीरिया (जीवाणु) है, लेकिन दोनों ही सूक्ष्म और अदृश्य हैं। इनके संक्रमण के लक्षण भी प्रथमदृष्टया समान हैं, इसीलिए इस तरह के लक्षण वाले मरीजों के सामने आने पर उनकी बारीकी से जांच की आवश्यकता पड़ती है। यदि किसी में समान लक्षण के चलते निर्णय लेने में दिक्कत हो तो उचित परामर्श के साथ ऐसे मरीजों की टीबी और कोरोना दोनों की जांच करायी जा सकती है। इसके अलावा ऐसे मरीजों का सैम्पल लेते वक्त मास्क, ग्लब्स और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाया गया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि टीबी और कोरोना दोनों मामलों में संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदों के संपर्क में आने से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमण का शिकार हो सकता है। इसी समानता को देखते हुए कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए साबुन-पानी से 20 सेकंड तक बार-बार हाथ धोने या अल्कोहल युक्त सैनीटाइजर से साफ़ करने, एक दूसरे से कम से कम दो गज (6 फुट) की दूरी बनाये रखने, मास्क का इस्तेमाल करने और अगर बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो तो चिकित्सक से सलाह लेने और दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा जा रहा है।
दूसरी तरफ टीबी से बचने के लिए भी लगभग यही तरीके अपनाने को कहे गए हैं, जैसे- खांसने या छींकने पर अपने मुंह और नाक को अपनी मुड़ी हुई कोहनी या कपड़े से ढकें, रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने के लिए पोषक आहार का सेवन करें, उचित वायु संचार बनाये रखें और यदि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो टीबी की जाँच कराएँ। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इसीलिए टीबी रोगियों को कोरोना की जद में आने से बचने के बारे में बराबर जागरूक कर रहा है, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और कोरोना ऐसे ही लोगों को सबसे पहले अपनी चपेट में लेता है।
टीबी और कोरोना दोनों से बचाएगा मास्क
खांसने और छींकने से संपर्क में आने से दोनों के फैलने का खतरा है, इसलिए हम अगर मास्क लगाते हैं तो वह कोरोना से हमारी रक्षा करने के साथ ही टीबी से भी बचाएगा। डॉ. राकेश कुमार सिंह का कहना है कि इस बारे में जरूरी आंकड़े भी जुटाए जा रहे हैं तभी पता चल सकेगा कि इस बीच इसमें कितनी कमी आई है।
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