देवघर। डिप्टी कमिश्नर नैंसी सहाय देवघर में पोस्टेड हैं। कई मौकों पर उनका मानवीय चेहरा उजागर हुआ है। इस बार बंदरों की चिंता से वे परेशान हैं। बंदरों के उत्पात से नहीं, बल्कि लॉक डाउन के कारण उनके भूख की चिंता से। तीर्थस्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों से मिले खाने की चीजों से बंदर पेट पालते हैं। लाकडाउन में पर्यटकों-श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद है। ऐसे में बिलबिलाते बंदरों की उन्हें सुध आई। प्रशासनिक सेवा का विरला ही कोई अधिकारी इतना संवेदनशील होता है। आइए जानते हैं कि इस और मिट गई है भूख अपनी दिशा में उन्होंने क्या कियाः
करुण दृष्टि पड़ी इधर/ बन गया इंसान “मानव”/ बांध कर ऋण से हमें.”…डिप्टी कमिश्नर (उपायुक्त) नैंसी सहाय की पहल पर देवघर में युवाओं की एक टोली ने यह बीड़ा अपने कंधों पर बखूबी उठाया है। कोरोना वायरस का असर उन पशु-पक्षियों पर अधिक है, जो मानव के भरोसे रहने के आदी बन चुके हैं। तपोवन पहाड़ और त्रिकुट पर्वत पर हज़ारों की संख्या में बंदर लंगूरों का बसेरा है।
सामान्य दिनों में हर दिन इन दोनों जगहों पर हज़ारों पर्यटक और भक्त आते हैं। साथ में चना, केला, खीरा, बिस्कुट और अन्य खाद्य सामग्री लाते हैं। कोरोना के लॉक डाउन से यहां सन्नाटा पसरा है। बंदरों, लंगूरों की टोली भूखे पेट पर्यटकों को तलाश रहीं थी। त्रिकुट पर्वत और तपोवन में वन कम, चट्टानें अधिक हैं। वन के पेड़ भी पतझड़ में वीरान पड़े हैं।
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गौरतलब यह भी है कि यह समय उनके मेटिंग और प्रजनन का होता है। भरपेट खाना मादा के लिए अति आवश्यक होता है गर्भ के शिशु बानर के लिए। ना वन में कुछ है और ना पर्यटकों- भक्तों का मेला-रेला है। कोरोना का कहर बानरों पर भी बरसने लगा। उपायुक्त नैंसी सहाय ने देवघर के युवाओं से अपील-आग्रह किया।
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रोहित विद्यार्थी के साथ कुमार समीर, रघु झा, अभिषेक चौधरी, सुभाष यादव सहित कई युवा इस काम में शामिल हो गए। इस पुण्य अभियान में केला, खीरा, चना, बिस्कुट लेकर वे रोज पहुंचते हैं तपोवन और त्रिकुट पर्वत। बानरों की टोली अधीरता से उनकी बाट जोहती रहती है और खाद्य सामग्री पर उनका झपटना अद्भुत आनंद देता है। उपायुक्त नैंसी सहाय ने देवघर के युवाओं की टोली के प्रति बहुत आभार जताया है और कहा है कि इस अभियान में प्रशासन की ओर से हर मदद दी जाएगी। इसे कहते हैं मानवता और संवेदनशीलता!
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