तीन तलाक बिल पर भाजपा से जेडीयू का तीन तलाक!

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अगर काम को आधार बना कर वोट मिलते हैं तो नीतीश बिहार में सर्वाधिक वोट हासिल करने का पूरा बंदोबस्त कर चुके हैं
अगर काम को आधार बना कर वोट मिलते हैं तो नीतीश बिहार में सर्वाधिक वोट हासिल करने का पूरा बंदोबस्त कर चुके हैं

नयी दिल्ली/ पटना। तीन तलाक बिल पर भाजपा से जेडीयू का तीन तलाक हो गया। लोकसभा में पेश तीन तलाक बिल पर जेडीयू ने साथ नहीं दिया। वैसे यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। जेडीयू ने पहले ही इस मुद्दे पर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया था। धारा 370, नागरिकता कानून और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर आरंभ से ही जेडीयू का स्टैंड भाजपा से अलग रहा है। अलबत्ता अब देखना यह है कि एनडीए फोल्डर में रहने के बावजूद एनडीए सरकार के प्रस्ताव के विरोध पर जेडीयू के साथ भाजपा क्या सलूक करती है।

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इधर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले आचरण को महिला प्रताड़ना का समर्थन करने जैसी क्रूरता करार दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लंबी बहस के बाद दो साल पहले फैसला सुनाया था कि फौरी तीन तलाक इस्लाम के मूल सिद्धांतों का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसी नागरिक प्रथा है, जिसका धड़ल्ले से दुरुपयोग होना मुसलिम महिलाओं की जिंदगी को मुश्किल बना रहा है।

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उन्होंने कहा कि जो स्री-विरोधी प्रथा 20 मुसलिम देशों में प्रतिबंधित है और जिसकी आड़ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी देश की 345 महिलाओं को तलाक दिया गया, उसे रोकने वाले बिल का विरोध करना महिला-प्रताड़ना का समर्थन करने जैसी क्रूरता है।  इस कुप्रथा को रोकने के लिए कानून बनाने संबंधी अदालती निर्देश का पालन करने और मुसलिम बहनों से अपना वादा निभाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया।

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उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर रोक लगाने वाले बिल का समर्थन कर कांग्रेस 33 साल पुराने उस राजनीतिक गुनाह का प्रायश्चित कर सकती है, जो राजीव गांधी की सरकार के समय तलाकशुदा मुसलिम महिला शाहबानों को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए किया गया था। कांग्रेस को शाहबानों जैसी बेबस महिलाओं की बद्दुआ लगी। पार्टी चंद राज्यों में सिमट गई। फिर भी, जो दल वोट बैंक और तुष्टीकरण के मामले में कांग्रेसी ही बने रहना चाहते हैं, उन्हें मुसलिम बहनों को जवाब देना होगा।

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