पावं लागी मलिकार। रउरा त मने मन रिसियाइल-खिसियाइल होखेब कि केतना दिन से हम रउरा के पाती ना पठवनी। सांच के आंच कइसन। रउरा के सांच बताईं मलिकार, अब कवनो छवारी (युवा) लिखे के तेयारे नइखन सन। पंद्रह दिन से पिठियवला के बाद परसों मामी के मौसी के बड़कू बहनोई के बेटिया भेंटाइल त ओकरे से कहनी- ए बबुनी, ढेर दिन भइल उहां के पाती पठवले। पांच मिनिट के टाइम निकाल के एगो पाती लिख दे। रउरा त जानते होखेब, उहो त घींच घांच के बलुआ पर के इस्कूल से आगे न पढ़ पवलस। लिखावट में कवनो गड़बड़ी होखे त ओकरा ओर से हमहीं माफी मांग ले तानी।
रउरा त मालूमे होई मलिकार, एह घरी अपना बिहार में केतना धूमगज्जड़ मचल बा। एह घरी पांड़े बाबा के बइठका में लोग के भीड़ जमल रहत बा। उहां के घरे लोग खबर जाने-सुने खातिर त पहिलहूं आवत रहल हा, बाकिर एह घरी जुटान बढ़ गइल बा। मुजफ्परपुर में कवनो कांड हो गइल बा। दिन भर लोग एही बतकही में लागल रहता। पांड़े बाबा, हप्ता भर पहिले एगो खबर पढ़ के सुनावत रहनी। उहां के जेतना पढ़ के सुनाईं, बीच-बीच में ओतने गरियाईं। रउरा त जनबे करीले कि हमहूं फजीर होते दोगहा में जम जाइले आ उउहां के बोल-बोल के खबरिया पढ़लका सुनीले। ओह दिन अइसन उहां के रूप आ मुंह से गारी एतना दिन अइले हमरा हो गइल, बाकिर कबो ना देखले-सुनले रहनी हां।
घर से भागल, भुलाइल, हेराइल लड़किन के राखे खातिर सरकार कवनो घर बनवले बिया मुजफ्फरपुर में। ओकर देखरेख करे वाला आदमी के मेहरारू मंतरी बनल बिया। खबरिया में रहे कि सात साल के छोट से लेके बड़की लड़किन तक के रहे-खाये आ पहिरे-ओढ़े के सगरी इंतजाम सरकार के पइसा से होला। ओकर रखवइया एतना नीच निकलल कि ओकर करनी कहे में पाप लागत बा। खबरिया में लिखल रहे कि नीन के दवाई खिया के बेहोशी में ओकनी के संगे रोजे कुकरम होत रहल हा। मदद खातिर मतारी अइसन ओइजा राखल मेहररुओ ओकनी के बाहर से आइल मरदवन के संगे सुता देत रहली हा सन। सबेरे जब ओकनी के होश आई त बेचारी लाचार लड़की अपना के उघार पावत रहली हा सन। ओकनी के नोचाइल-खसोटाइल अपना के पावल रहली हा सन। कई गो त कहवां मर-खप गइली सन, एकर कवनो हिसाबे नइखे।
बूझ जाईं मलिकार कि अबहीं ले हमरा नीतीशवा खातिर मन में बड़ा आदर रहल हा। जब इस्कूल जाये वाली लड़किन के साइकिल आ पोशाक ऊ बंटलस त बुझाइल कि चिंता करे वाला असली बाप उहे बा। बाकिर अब त हमार मन ओकरा से एतना घिनाइल बा कि ओकर नाम सुनते मुंह से चोता भर थूक निकल जाता। सांच कहीं त ओहू बेरा हम भरमे में रह गइनी। सांच बात त ई रहे कि गांवागाईं दारू के दोकान खोलवा के ऊ लोग के पहिले पियक्कड़ बनवलस। ओही दारू के कमाई से लड़किन के साइकिल आ पोशाक बंटववलस। हमनी त जनाना जात ठहरनी सन। हमनी के बुझाइल कि ई त भगवान बन के आइल बा। बाकिर ओकर असली रूप त अब सामने आइल बा। राह चलत लड़किन के उठा लिहल आ कुकरम कइला के बाद मुआ दिहल एह घरी साधारन बात हो गइल बा। कुकरमी घूमत-फिरत बाड़े सन आ एकर पुलिस खाली दारू धरे के फेर में परल रहतिया।
ए मलिकार, रउरा त बेसी समझदार बानी। हमरा के दू गो बात के जवाब देके समझा दीहीं। पहिलका ई कि लालू के बेटवा के खिलाफ ओकरा कुकरम के आरोप लागल आ जांच शुरू भइल त ई नीतीशवा कहलस कि जा के जनता के बताव कि तूं पाक-साफ बाड़। ओह घरी से लेके अबहीं ले हमरा ना बुझाइल कि जनता के जरी नेता लोग चुनाव के पहिलहूं सफाई देला का। सफाई देइओ देव त का ओइसे ओकर गुनाह माफ हो जाई। नेता लोग के अइसन कवनो छूट कानून में मिलल बा का। अबहीं ले त हम इहे जानत रहनी हां कि जनता केहू के माफ करी कि सजा दी, एकर फैसला त ऊ चुनावे में करे ले। एही पर ऊ सरकार से लालू के पाटी के भगा दिहले। जेकरा के हीक भर चुनाव में नीतीश गरियवले, ओकरे संगे सरकार बना लिहले। अब उनकरा मंत्री के भतार पर मोटामोटी तीन दर्जन लड़किन के संगे कुकरम के आरोप लागल बा त ओह मंतरी के काहें ढोअत बाड़े नीतीश। उनकरा आंख के पानी मरा गइल बा का। एतना पाक-साफ बने ले त ओकरा के हटा दीते आ कहिते कि जनता में जा के सफाई द। ई काहें के, एतना हुड़दंग के बादो ओह मंतरी के संगे फोटो खिंचवावत फिरत बाड़े। दोसरका सवाल ई बा मलिकार कि जब साल-छह महीना पहिले कवनो जांच करे वाला दल ई रिपोट दिहलस कि ओह घर में लड़किन के संगे कुकरम होता, त नीतीश के आंख के पट्टर एतना दिन बाद काहें खुलल।
लोग कहत बा कि नीतीश त कवन एगो बड़का पुलिस सीबाई (मलिकाइन सीबीआई के सीबाई लिखले बाड़ी) से जांच करावत बाड़े। उहो तब कइले, जब उनकर देश-दुनिया में थूकम-फजीहत होखे लागल। हमरा त बुझाता मलिकार कि एगो गीतवा अपना इहां ना गावल जाला- हाथी के दांत दूगो, खाये के दोसर आ देखावे के दोसर- नीतीश ओही हाथी खानी हो गइल बाड़े।
ए मलिकार, मन बड़ा दुखाइल बा। जब हम आपन सात साल के नन्हकी के देखत बानी आ पांड़े बाबा के खबरिया पढ़लका कान में गूंजत बा कि सात साल के लड़की के कुकरमिया ना छोड़ले सन, त छाती फाटे लागत बा। मतारी नू हईं मलिकार। परसवती के पीड़ा मतारी से बेसी केहू का समझी। कुकुरो बाड़े सन नू त ऊ आपन एह कुल काम खातिर सीजन बनवले बाड़े सन। आदमी ओह कुकुरनो से बढ़ गइल बा।
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जाये दीं, आज एतने। मन घिना गइल बा। फेर कबो। रउरा ठीक से रहेब।
राउरे,
मलिकाइन