पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि देश मजबूर नहीं, मजबूत सरकार चाहिए। वैसी सरकार, जो कड़े फैसले ले सके। जनता भी अब यह बात समझ रही है। देशको चौधरी चरण सिंह, चन्द्रशेखर, देवगौड़ा और गुजराल जैसी कुछ महीने चलने वाली कमजोर और मजबूर नहीं, बल्कि नरेन्द्र मोदी जैसी देशहित में युगांतकारी-परिवर्तनकारी सख्त निर्णय लेने वाली मजबूत सरकार चाहिए। जो दुनिया में भारत को गौरव तो दिलाये ही, देश के विकास को तीव्र गति देने और सीमा को सुरक्षित रखने में सक्षम हो।
देश की जनता अनेक बार कमजोर और कांग्रेस की बैसाखी पर चलने वाली सरकार के अंजाम को भुगत चुकी है। 28 जुलाई, 1979 में प्रधानमंत्री बने चौधरी चरण सिंह की सरकार को कांग्रेस ने एक महीना भी नहीं चलने दिया और नतीजतन लोकसभा का सामना किए बिना ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस की दगाबाजी की वजह से मात्र 7 महीने तक चली चन्द्रशेखर और 10 महीने तक चली देवगौड़ा की सरकार का हस्र भी देश देख चुका है। अल्पमत की इंदर कुमार गुजराल की सरकार भी अपना एक साल पूरा नहीं कर पाई।
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ऐसी कमजोर, अल्पमत की सरकारों के दौर में न केवल देश का आर्थिक विकास बाधित रहा, बल्कि देश के रिजर्व सोना तक को गिरवी रखने की नौबत आई। देश को असमय चुनाव में जाना पड़ा, जिसके कारण न केवल हजारों करोड़ रुपये का अपव्यय हुआ बल्कि एक अनिश्चितता का माहौल भी बना रहा।
ऐसे में जनता क्या चाहेगी कि नरेन्द्र मोदी जैसी प्रचंड बहुमत की मजबूत निर्णयकारी सरकार की जगह एक अस्थिर, अल्पमत की कमजोर सरकार बने, ताकि देश अनिश्चितता के दौर में चला जाए?
सुशील मोदी के ट्वीट
- कांग्रेस के लोग जब नेहरू-गांधी परिवार को देश का प्रथम परिवार बताते हैं, तब वे डा. अम्बेडकर, सरदार पटेल और डा. राजेंद्र प्रसाद जैसे महान नेताओं के योगदान का अपमान करते हैं। डा. लोहिया के गैरकांग्रेसवाद को भुलाने वाले राजद के लिए तो चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद का परिवार ही बिहार का प्रथम परिवार है। दोनों दलों की राजनीति के लिए परिवार ही प्रथम है। ये लोग केवल धोखे से सत्ता पाने के लिए गरीबों, पिछड़ों-अतिपिछड़ों का नाम लेते हैं।
- हाल में बांग्लादेश के दो लोग जब आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पटना में पकड़े गए, तब राजद ने उनका मजहब देख कर बचाव करते हुए उनके अपराध को “मामूली” बताने की कोशिश की और एनआईए की कार्रवाई पर संदेह जताया। राजद के विधायक अब अजहर मसूद को “साहब” कह कर संबोधित कर रहे हैं। ये लोग केवल वोट के लिए पूरी कौम को आतंकवाद समर्थक साबित कर उसे बदनाम करने पर तुले हैं।