- नवीन शर्मा
धर्मा प्रोडक्शन के संस्थापक थे करण जौहर के पिता यश जौहर। करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन हाउस ने एक से बढ़ कर एक हिट फिल्में दी हैं। कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, कल हो ना हो’ व दोस्ताना आदि। लेकिन इस प्रोडक्शन हाउस की स्थापना करण जौहर ने नहीं, बल्कि उनके पिता यश जौहर ने काफी संघर्ष के बाद की थी।
यश जौहर का जन्म 6 सितंबर 1929 को लाहौर में हुआ था। बंटवारे के बाद यश जौहर का परिवार दिल्ली आ गया। यहां आकर यश जौहर के पिता ने ‘नानकिंग स्वीट्स’ नाम से मिठाई की दुकान खोली। यश अपने 9 भाई बहनों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे। इस वजह से उनके पिता ने दुकान पर बैठा दिया, जिससे वो हिसाब किताब कर सकें, हालांकि उन्हें यह काम करना बिल्कुल पसंद नहीं था।
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यश जौहर की मां ने उनका साथ दिया और कहा कि ‘तुम मुंबई चले जाओ मिठाई की दुकान संभालने के लिए तुम बने भी नहीं हो।’ मां ने यश को मुंबई भेजने के लिए घर से गहने और पैसे गायब कर दिए। । जबकि यश की मां बेटे के लिए पैसे का जुगाड़ कर रही थीं जिससे वो मुंबई जा सके। यश मुंबई तो पहुंचे, लेकिन शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। वो वहां टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में फोटोग्राफर बनने की कोशिश कर रहे थे। उन दिनों डायरेक्टर के. आसिफ ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग कर रहे थे।
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उसी दौरान उन्होंने मधुबाला की फोटो खींची थी। मधुबाला के बारे में कहा जाता था कि वो किसी को अपनी तस्वीर खींचने नहीं देती थीं। यश जौहर उस दौर में भी अंग्रेजी बोल लेते थे और काफी पढ़े लिखे थे। जिससे इम्प्रेस होकर मधुबाला ने उन्हें तस्वीर लेने की इजाजत दे दी। बस फिर क्या था यश जब फोटो खींचकर ऑफिस पहुंचे तो उन्हें नौकरी मिल गई।
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पटकथा लेखक से फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले यश जौहर वर्ष 1962 में सुनील दत्त के प्रोडक्शन हाउस अजंता आर्ट्स से जुड़े और फिल्म मुझे जीने दो को सफलता के शिखर तक पहुँचाने में अमूल्य योगदान दिया। इसके बाद सहायक निर्माता के रूप में वह देवानंद के प्रोडक्शन हाउस नवकेतन फिल्म्स से जुड़े और गाइड, ज्वेल थीफ, प्रेम पुजारी, हरे रामा हरे कृष्णा जैसी शानदार फिल्मों को पर्दे पर लाने में अपना योगदान दिया।
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यश ने खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू किया। उसका नाम रखा धर्मा। यह नाम उन्होंने अपनी धार्मिक प्रवृत्ति के कारण रखा था। यश जौहर के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी थी लोगों का आदर करना। जब जरूरत हो, उनकी मदद करना। व्यवहार कुशल इतने कि आप उनके मुरीद हो जाएं। इसी का नतीजा था कि उनके बैनर की पहली फिल्म दोस्ताना बड़े स्टार्स को लेकर बनी अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और हेमा मालिनी लीड रोल में थे।
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फिल्म बनाने के लिए यश जौहर को काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। उस दौरान फिल्म की कास्ट में शामिल कलाकारों ने उनकी मदद की थी। इस फिल्म को समीक्षकों और लोगों का का अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। इसके बाद अग्निपथ, गुमराह और डुप्लीकेट नहीं चलीं। इसके बाद धर्मा प्रोडक्शन का सितारा गर्दिश में चला गया।
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अग्निपथ हालांकि फ्लाप फिल्म थी, लेकिन यह अमिताभ की उस दौर की बेहतरीन फिल्म थी। इसी फिल्म के लिए अमिताभ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था। अग्निपथ और दोस्ताना नाम से धर्मा प्रोडक्शन ने दो दो फिल्में बनाई। दूसरी अग्निपथ में ऋतिक रोशन थे और ये हिट रही।
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यश की इच्छा थी कि उनके बेटे करण जोहर एक्टिंग करें. मगर करण का मन फिल्में बनाने की तरफ ज्यादा था। वर्ष 1998 में करण जौहर की फिल्म कुछ-कुछ होता है के जरिए एक बार फिर धर्मा प्रोडक्शन को जबरदस्त सफलता हासिल हुई। इसके बाद लगातार कई फिल्में हिट हुईं। 26 जून 2004 को 74 साल की उम्र में यश जौहर ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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