- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। नंदीग्राम के हालात जान कर समझ जाएंगे, परिणाम कैसा होगा। अंग्रेजी में एक कहावत है कि मॉर्निंग शोज द डे। सुबह देख पूरे दिन का अंदाल लगाना। नंदीग्राम में कल ऐसा ही दिखा। कल सुबह 5:00 बजे जब हाई वोल्टेज केंद्र नंदीग्राम के भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी नहा-धोकर एक मोटरसाइकिल के पीछे बैठकर एक मतदान केंद्र से दूसरे मतदान केंद्र तक जिस तरह दौड़ लगा रहे थे, मतदान केंद्र पर मौजूद समर्थकों का मनोबल जिस तरह बढ़ा रहे थे, उसे देख कर तभी लग गया था कि दिन का अंत शुभेंदु के नाम ही होने वाला है। दूसरी ओर तृणमूल की उम्मीदवार राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तब नींद से भी नहीं उठी होंगी और उनके सेनापति मुख्य चुनाव एजेंट शेख सुफियान सुबह 7:30 बजे ही नंदीग्राम थाना के सामने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को मतदान केंद्रों से तृणमूल कांग्रेस के एजेंटों को निकाल देने की शिकायत दर्ज करा रहे थे। उससे भी अनमान लग गया कि रैली में भाषण देना और चुनाव के वन डे गेम को प्लानिंग के अनुसार चलाना हर कप्तान के लिए संभव नहीं है। वोट तो पिछले मुकाबले ज्यादा नहीं पड़े, लेकिन वोट एकतरफा होने के सबूत ममता और शुभेंदु के बयानों से मिले। 2016 में नंदीग्राम में 87.8 प्रतिशत वोट पड़े थे, इस बार 88.01 प्रतिशत वोटिंग हुई है।
कल दिन भर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के मुख्य एजेंट द्वारा कुल मिलाकर 75 शिकायतें चुनाव आयोग के पास जमा की गयीं। इसका आंकड़ा खुद ममता बनर्जी ने ही दी। उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से ज्यादातर शिकायतें मतदान केंद्रों में तृणमूल कांग्रेस के एजेंट के न होने, उन्हें डराने, यहां तक कि बूथ कैपचरिंग की शिकायतें भी हैं। इनमें बयाल का 7 नंबर बूथ भी शामिल है।
ममता बनर्जी के मुख्य चुनावी एजेंट सुफियान और बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी खुद बता रहे हैं कि नंदीग्राम के 355 में से लगभग 80 बूथ पर तृणमूल कांग्रेस के एजेंट नहीं बैठ सके। सुफियान ने बताया कि रात भर शुभेंदु के लोगों ने उनके एजेंटों को इतना डराया कि उन्होंने एजेंट बनने से इनकार कर दिया। इस पर शुभेंदु का कहना था कि तृणमूल के पास लोग ही नहीं हैं।
राज्य की सत्ताधारी पार्टी और उसकी मुख्यमंत्री खुद अगर मान रही हैं कि पार्टी एजेंट नहीं दे पायी तो इससे नंदीग्राम के परिणाम का अंदाज लगाया जा सकता है। कल दोपहर 1:30 बजे के बाद ममता अपने अस्थायी कैंप से निकल कर जब बयान जीपी के 7 नंबर बूथ के लिए रवाना हुईं, तब उनके चेहरे की भाषा ही बता रही थी कि नंदीग्राम में वह मुसीबत में हैं। इसके अलावा वह पत्रकारों पर जिस तरह गुस्सा हो रही थीं और जिस तरह कह रही थीं- डोंट डिस्टर्ब मी- उससे उनकी हार की गंध जरूर आ रही थी।
नंदीग्राम का चुनाव खत्म होते ही बंगाल की राजनीति में एक खबर काफी चर्चा में आ गई कि ममता बनर्जी छठे या सातवें चरण में किसी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ेंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने तंज भी कसा कि दीदी दूसरे क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि तृणमूल की ओर से बाद में इसे नकार दिया गया। ममता ने भी स्पष्ट कर दिया कि वह और किसी क्षेत्र से चुनाव नहीं ल़ड़ेंगी। लेकिन शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि बीरभूम के मुरारी सीट से ममता बनर्जी जरूर चुनाव लड़ेंगी। नंदीग्राम विधानसभा के अधीन 17 ग्राम पंचायतें हैं। इन 17 ग्राम पंचायतों में से लगभग 11 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जो शुभेंदु अधिकारी के दबदबे वाली मानी जाती हैं। उन इलाकों में खासकर बांसुरी चौक, राम चौक, गेंदा मारी, बयाल, पिंगुआ, सोनाचूड़ा समेत नंदीग्राम के विशाल इलाके में कल 12:09 बजते बजते ही 60 से 65% मतदान हो गया था और इन बूथों में शाम ढलते-ढलते 90 प्रतिशत के आसपास मतदान हुआ। इससे साफ जाहिर होता है कि शुभेंदु अधिकारी के बूथ मैनेजमेंट के सामने सुफियान और समद पोल कराने की मशीनरी फेल हो गई। एक चीज और देखने लायक थी कि हिंदू बहुल इलाकों में जिस तरह लोग भोर 5:00 बजे से ही लाइन में लग गए थे और जय श्रीराम के नारे के साथ उनके चेहरे पर एक प्रतिशोध की भावना झलक रही थी, उससे साफ हो जाता है कि दीदी का नाराज होना जायज है। शुभेंदु अधिकारी जिस कॉन्फिडेंस के साथ विक्ट्री साइन दिखाते हुए कह रहे थे- हारेगी.. हारेगी… हारेगी और एक समय के राजनीतिक गुरु को जिस तरह आंटी पुकारते हुए दिमाग ठंडा रखने की सलाह दे रहे थे, वह काफी कुछ बयान कर देता है।
दूसरी ओर ममता बनर्जी और उनकी टीम पूरे दिन निर्वाचन आयोग को शिकायत करने में लगी रही। उनके एजेंट सुफियान को बार-बार गुस्से में आपा खोते देखा गया। टीएमसी की बूथ मैनेजमेंट के नाम पर एक दूसरे के साथ समन्वयहीनता की छवि स्पष्ट नजर आयी। इसके अलावा एक बात और नजर आयी कि टीएमसी के बूथ ऑफिस में लोग नहीं आये। जो आये भी वे दोपहर होते ही वोटर स्लिप देने के लिए उपलब्ध नहीं थे।