नवरुणा के लापता होने का मामला सीबीआई भी नहीं सुलझा सकी

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संतोष राज पांडेय की जुबानी जानें घटना की कहानी

सार्थक समय डेस्क : अगर सरकार की विफलता की बात की जाए तो नवरुणा हत्याकांड की बात सबसे पहले होगी। जिस वक्त यह कांड मुज़फ्फरपुर में हुआ उस समय मैं सहारा समय मे उत्तर बिहार हेड था। दर्जनों बार इस कांड पर मैंने रिपोर्टिंग की, लगातार कोशिश में रहा कि मुज़फ्फरपुर की बेटी के माता पिता को न्याय मिले। पर सारी कोशिशें बेकार हुई। 84 माह बाद एक बार फिर मीडिया ने आवाज लगाई, सवाल दागे। पर गुजरे दिनों में देश की सर्वोच्च संस्था सीबीआई पर किसी ने सवाल नहीं उठाया कि इतने दिनों में वह किसी नतीजे पर क्यों नहीं पहुंची? क्या मजबूरियां रही सीबीआई की कि बेचारी नवरुणा के हत्यारा तक वह नहीं पहुंच पायी। रहस्य अभी भी बरकरार क्यों है।

18 सितंबर 2012 की रात नगर थाना के जवाहरलाल रोड स्थित आवास से सोई अवस्था में नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था। इसके ढाई माह बाद उसके घर के पास के नाले की सफाई के दौरान मानव कंकाल मिला था। डीएनए जांच में यह कंकाल नवरुणा का साबित हुआ। इस मामले में पुलिस की लापरवाही और कार्यशैली शुरू से ही संदेहास्पद रही ।पुलिस मामले को प्रेम प्रसंग बता पूरे घटना को अलग रूप देने में जुटी थी ।

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लापता होने का मामला

पुलिस द्वारा प्रेम प्रसंग बताने और परेशान करने से आजिज़ आकर जब नवरुणा के परिजनों ने एक महीने बाद भी कोई कारवाई होती नही देखी, तब उन्होंने 19 अक्टूबर, 2012 को आत्महत्या की धमकी दी थी. इस धमकी के बाद सकते में आई पुलिस ने पहली बार कोई ठोस कारवाई की और तीन संदिग्ध अपराधीयों को पकड़कर जेल में डाला, जिनसे आजतक वह कुछ उगलवा नही पाई है. कई तो इस गिरफ़्तारी पर ही सवाल खड़े करते है कि क्या बड़े लोगों को बचाने के लिए छोटी मुर्गियों को हलाल किया गया!!….पुलिस की केस डायरी भी इस बात की गवाही देते है कि 19-20 अक्टूबर से ही कुछ कारवाई होती दिखी. तबतक पुलिस 12वर्षीया नवरूणा के प्रेमी की ही तलाश में पूरी तन्मयता और बेशर्मी के साथ जुटी हुई थी! इसके बावजूद पुलिस लगातार असहयोग करने का तोहमत लगाती रही .

बिहार पुलिस की करवाई

बिहार पुलिस की कार्यशैली से ऊबकर मुज़फ़्फ़रपुर के ही एक युवा और दिल्ली में कानून की पढ़ाई कर रहे अभिषेक रंजन ने सुप्रीमकोर्ट में पीआईएल दायर के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी ।सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2014 में नवरुणा मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई ।2014 से आजतक कई लोगों की गिरफ्तारी सीबीआई द्वारा की गई और सभी कोर्ट से बेल पर बाहर निकल गए ।इनमें कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमे 90 दिनो तक आरोप पत्र समर्पित नही करने का लाभ संदेहास्पद लोगों को मिला ।

सीबीआई ने पूरे प्रकरण में शहर के कई रशुखदार और जनप्रतिनिधियों को नोटिस देकर पूछताछ की और दर्जन के करीब लोगों को संदेह के आधार पर जेल भी भेजा ।
2016 में पुनः अभिषेक रंजन ने सुप्रीमकोर्ट में यह आवेदन दिया कि सीबीआई द्वारा तय समय मे जांच पूरी नही करना कोर्ट का अवमानना है ।सुप्रीम कोर्ट ने इस आवेदन के बाद सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई ।पर लगातार टाइम पेटिंसन की मांग करनेवाली सीबीआई फिर से टाइम पेटिंसन मांग चुकी है जिसका अंतिम समय नवंबर में है ।

फिलहाल नवरुणा के पिता अतुल्य चकर्वर्ती और माता मैत्रयी चक्रवर्ती आज भी बेटी के न्याय की आशा लिए बैठे हैं । पर एक बार सीबीआई उस रिपोर्ट का अवलोकन करती जो तत्कालीन CID IGअरबिंद पांडेय ने जांच कर दी थी। आखिर उनके जांच रिपोर्ट में क्या था?
इंतजार कीजिये उस रहस्य का जिसका पर्दाफाश करने में अभी भी सीबीआई जुटी हुई है।

 

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