नीतीश ने दिल्ली के अपमान का बदला पटना में चुकाया, BJP-LJP से कोई नहीं
पटना। नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में 8 रत्न शामिल हुए। नीतीश ने दिल्ली के अपमान का बदला पटना में चुकाया, BJP-LJP से कोई सदस्य शामिल नहीं। केंद्रीय कैबिनेट में भाजपा ने जदयू को एक पद का न्यौता दिया था। नीतीश ने इस सांकेतिक सहभागिता को अस्वीकार करते हुए कहा था कि आनुपातिक दृष्टि से हिस्सा मिलना चाहिए था, जैसा कि पूर्व के एनडीए सरकारों में हुआ है। इसके बाद उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि भविष्य में जदयू कभी भी केंद्रीय कैबनेट में शामिल नहीं होगा। इसके अगले ही दिन उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार का फैसला कर लिया।
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इस विस्तार की जरूरत इसलिए महसूस की जा रही थी नीतीश मंत्रिमंडल के तीन मंत्री- ललन सिंह, दिनेश चंद्र यादव और पशुपति पारस सांसद चुन लिये गये हैं। उनके सांसद चुने जाने के बाद तीन पद वैसे ही खाली हो गये थे। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में बर्खास्त और जेल गईं पूर्व मंत्री मंजू वर्मा का पद भी खाली है। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में मंत्रियों के अभी 11 पद खाली हैं।
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आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की राज्य में दोबारा बनी सरकार का यह पहला फेरबदल और विस्तार है। माना जा रहा है कि नीतीश ने इस विस्तार के जरिए अपनी और अपने दल की ताकत को और मजबूत किया है। इसे केंद्रीय कैबिनेट में जदयू के शामिल न होने के बदले के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसलिए कि नये मंत्रियों में भाजपा का कोई सदस्य नहीं है।
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जिन लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली, उनमें अशोक चौधरी, नीरज कुमार, संजय झा, रामसेवक सिंह, नरेंद्र नारायण यादव, बीमा भारती, श्याम रजक, लक्ष्मेश्वर राय
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