पटना। नीतीश कुमार की नींद आखिर कुमार खुली। घर लौटे प्रवासी मजदूरों और छात्रों को अब ट्रेन किराये के पैसे और राह में हुए खर्च लौटाने को तैयार हो गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार आने वाले सभी प्रवासी मजदूर 21 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर में रहेंगे और जब वहां से 21 दिन के बाद निकलेंगे तो जहां वे जिस राज्य में फंसे हुए थे, उनको वहां से यहां तक आने में जितना भी पैसा लगा है, चाहे रेल का भाड़ा हो या अन्य प्रकार से कोई उनका पैसा लगा हो, उसके अलावा 500 रुपये राज्य सरकार और उन्हें देगी। जो भी बाहर से आए हैं हर व्यक्ति को न्यूनतम 1000 रुपये दिये जायेंगे।
नीतीश कुमार ने कहा हमलोगों ने जान-बूझ कर कोई घोषणा इस संबंध में नहीं की है, क्योंकि हमारी सरकार का विश्वास बोलने में नहीं, बल्कि सिर्फ काम करने में है। उन्होंने कहा कि कोटा से जो ट्रेन आनी शुरु हुई है, उसमें जो छात्र-छात्राएं आ रहे हैं, उनको कोई रेल का भाड़ा नहीं देना होगा। इसके लिए राज्य सरकार रेलवे को पैसा दे रही है। उन्होंने कहा कि बिहार के जो भी लोग बाहर मजदूर के रुप में काम करते हैं या अन्य प्रकार से बाहर फंसे हुए हैं, उनके वापस आने के संबंध में केंद्र सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 के अंतर्गत गाइडलाइन जारी की है। उस गाइडलाइन में स्पष्ट तौर पर सारी बातें कह दी गयी हैं कि कौन लोग आएंगे, किस तरह से आएंगे। इसके बारे में हमारे अधिकारियों ने भी विस्तृत जानकारी दे दी है। किसी प्रकार का कोई कन्फ्यूजन नहीं रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग भी यहां आएंगे और जिस स्टेशन पर रेलगाड़ी आएगी, वहां से उनको जांच करने के पश्चात वे जहां के निवासी हैं, उन्हें उनके प्रखंड मुख्यालय तक ले जाया जाएगा। वहां उनके लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है और वहां सारे इंतजाम किए गए हैं। वहां उनको 21 दिनों तक रहना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने क्वारंटाइन सेंटर में सब तरह का इंतजाम किया है, चाहे उनके रहने का हो, भोजन का, आवासन का, चिकित्सा का या उनकी देखरेख का हो। जहां-जहां भी क्वारंटाइन सेंटर बनाये गये हैं, हमलोगों ने सारे इंतजाम किए हैं। उन्होंने कहा कि हमने निर्देश दिया है कि वहां लोगों के स्नान के लिए, शौचालय के लिए एवं सभी प्रकार के बेहतर इंतजाम किए जाएं। वहां भोजन, शुद्ध पेयजल के साथ-साथ अन्य प्रकार की सुविधा भी वहां उपलब्ध करायी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बिहार के लोग जो बिहार के बाहर फंसे थे, उनको हमलोगों ने 1000 रुपये देने का निर्णय किया और जो भी उनके आवेदन आये, उन पर विचार करते हुए लगभग 19 लाख लोगों के खाते में राशि अंतरित की जा चुकी है। अब जिन कुछ लोगों का आवेदन बचा हुआ है, उसकी जांचोपरांत शीघ्र ही राशि अंतरित कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमलोग जो भी काम करते हैं, लोगों के हित में करते हैं और चाहते हैं कि ये काम हो। उन्होंने कहा कि हमने सोचा था कि लोगों को लाभ मिलता तो वे अपने आप बताते, लेकिन इधर काफी बयानबाजी हो रही है तो इसको देखते हुए हमने सोचा कि इन सब बातों की जानकारी साझा करना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमलोगों ने यह निर्णय करके सब कुछ तय कर दिया है। इसका अनुपालन भी शुरु हो गया है। हम इस बात की जानकारी देना चाहते हैं कि कोटा से जो हमारे विद्यार्थी आ रहे हैं उनके लिए भी यह व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हम सबलोगों से यही आग्रह करेंगे कि जो लोग भी बाहर से आ रहे हैं उनको क्वारंटाइन सेंटर में रहने के लिए प्रेरित करिएगा यह सबके लिए उपयोगी है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि लाक डाउन लागू किया गया है। इसमें बिहार के अधिकतर लोग नियमों का पालन कर रहे हैं। लोगों को इस बात के लिए हम अभिनंदन करते हैं कि हमारे बिहारवासी इक्का-दुक्का को छोड़कर सभी इसका पालन कर रहे हैं। यही कारण है कि बिहार को उस तरह की परेशानी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले कुछ व्यक्तियों के कारण कई लोगों में संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ा है। लेकिन कुल मिलाकर यहां लोगों में जो जागृति है, उसके कारण कम से कम लोगों पर बीमारी का असर पड़ा है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि ये जो कोरोना वायरस है उस पर हमलोग कामयाबी हासिल करेंगे। हम सबलोगों को सचेत रहना है। मैं सबलोगों से पुनः अपील करुंगा कि भयभीत होने की जरुरत नहीं है, सजग रहने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अंततोगत्वा आप जान रहे हैं कि ये पूरी दुनिया में फैल रहा है, ये सिर्फ हमलोगों के यहां की बात नहीं है। दुनिया के सबसे विकसित देश अमेरिका में सबसे ज्यादा इसका असर देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों से यह अपील है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जो कुछ भी किया जा रहा है इसका अनुपालन करें। यही जनहित में है, यही सबलोगों के हित में है।
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