अस्पताल में पहले जानवर सोते थे, अब आदमी को जगह नहीं मिल रहीी

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बिहार के लोग, जो बाहर फंसे हुए हैं, उनसे फीडबैक लेकर उनकी परेशानियों दूर करें। जो घर आ गये हैं, उनकी पहचान कर टेस्ट करायें और जरूरी मदद करें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थितियों की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिये।
नीतीश कुमार

पटना। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद भवन में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत 784 करोड़ रुपए की कुल 301 योजनाओं का रिमोट के जरिए शिलान्यास एवं उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि आज बहुत सारी योजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन कराया गया है। इसमें से 167 करोड़ 41 लाख रुपए की 57 योजनाओं का आज उद्घाटन कराया गया। एम0एस0डी0पी0 स्कीम के अंतर्गत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधीन दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दो अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एवं 22 स्वास्थ्य उपकेंद्रों का 17 करोड़ 18 लाख रुपए की लागत की योजनाओं का उद्घाटन कराया गया है। 616 करोड़ 66 लाख रुपए की कुल 244 योजनाओं का आज शिलान्यास कराया गया है। इसमें से एम0एस0डी0पी0 स्कीम के अंतर्गत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधीन 47 करोड़ 64 लाख रुपए के 22 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एवं 121 स्वास्थ्य उपकेंद्रों का शिलान्यास भी कराया गया है, इसके लिए मैं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भी बधाई देता हूॅ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है। हमलोगों ने जब वर्ष 2005 में सत्ता संभाला था, उस समय राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत बहुत खराब थी। जब हम सांसद थे तो बिहारषरीफ के एक अस्पताल में मरीज को देखने गये थे। मेरे सामने बेड पर कुत्ता सोया हुआ था। फरवरी 2006 में हमलोगों ने एक सर्वे कराया था, जिसमें यह जानकारी मिली कि एक महीने में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराने के लिए मात्र 39 मरीज आते हैं। हमलोगों ने स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए, इसके लिए चिकित्सकों, मेडिकल स्टाफों की उपलब्धता सुनिश्चित करायी। अगस्त 2006 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के द्वारा मुफ्त दवा वितरण की शुरुआत करायी गई। उस समय लगभग 70-80 दवाओं की उपलब्धता
सुनिष्चित की गई। इन सब कदमों के बाद नवंबर 2006 में दोबारा कराये गये सर्वे में यह
बात सामने आयी कि एक महीना में 1500 से 2000 मरीज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार
के लिए आ  रहे हैं और आज  अस्पताल पहुंचने  वाले मरीजों की संख्या  बढ़कर 10,000 से

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ज्यादा पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि इसका ये मतलब नहीं है कि राज्य में मरीजों की संख्या बढ़ गई है बल्कि लोगों का सरकारी अस्पतालों पर भरोसा बढ़ा है। जब हम सांसद थे तो एक गरीब व्यक्ति मेरे पास आया और यह कहते हुए चला गया कि सरकारी अस्पतालों की हालत ठीक कीजिए। यह बात मेरे दिमाग में बैठ गयी। जब वर्ष 2005 में एन0डी0ए0 की सरकार बनी तो उस समय से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरी के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं। पूरी सुक्ष्मता के साथ चीजों पर नजर रखी जा रही है। जिला अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र को विकसित किया जा रहा है। 06 बेडों वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उन्नयन कर 30 बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाये गये हैं। हरेक जिले में जी0एन0एम0 संस्थान, पारा मेडिकल कॉलेज, प्रत्येक अनुमंडल में ए0एन0एम0 संस्थान खोले जा रहे हैं। हरेक

मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग कॉलेज शुरु किये जा रहे हंै। आई0जी0आई0एम0एस0 में नर्सिंग
की पढ़ाई शुरु की गई है। राज्य की आबादी बढ़ रही है, उसके मुताबिक स्वास्थ्य केंद्रों पर
भी बेड बढ़ाये जा रहे हंै।
मुख्यमंत्री  ने कहा  कि  राज्य में स्थायी रुप से डाॅक्टरों की  नियुक्ति के लिए नियुक्ति

प्रक्रिया को सरलीकृत किया गया है। बिहार में पढ़े-लिखे डॉक्टरों को बाहर जाना नहीं पड़े, इसके लिये उन्हें राज्य में ही सेवा का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री एवं
प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग ने विस्तार से स्वास्थ्य क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों एवं लक्ष्यों के
बारे में विस्तार से जानकारी दी है। राज्य की पुरानी स्वास्थ्य बिल्डिंग को अपग्रेड किया जा
रहा है  और  नई  बिल्डिंग  का निर्माण  कराया  जा  रहा  है,  जिसका  जिक्र  शिलान्यास  की
योजनाओं  में  किया  गया  है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम छात्र थे, उस समय
पी0एम0सी0एच0 में पढ़ने वाले अपने मित्रों से मिलने जाया करते थे। वे लोग बताते थे कि

उस समय बिहार के अलावा पी0एम0सी0एच0 में इलाज के लये उत्तर प्रदेश, नेपाल, उत्तर पूर्वी राज्यों के मरीज आते थे। हमारा शुरु से सपना रहा है पी0एम0सी0एच0 को विश्व स्तर का अस्पताल बनाया जाए। 5000 बेड की क्षमता वाले पी0एम0सी0एच0 को विश्वस्तरीय अस्पताल
बनाने को लेकर प्रजेंटेशन दिखाया गया। अभी विश्व में ऐसा कोई भी अस्पताल नहीं है। जब
हम सांसद थे, उस दौरान एक सहयोगी को सिर्फ इसलिए साथ रखते थे कि क्षेत्र से आने
वाले किसी भी मरीज का इलाज एम्स में बेहतर तरीके से कराया जा सके, यह काम बिहार
के लगभग सभी सांसद करते थे। आज राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को इतना बेहतर बना देना

है कि किसी भी मरीज को इलाज के लिए मजबूरी में बिहार से बाहर जाना नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि पी0एम0सी0एच0 के प्रजेंटेशन में डिटेल प्लानिंग बताई गई है। गंगा पथ एवं अशोक राजपथ पर बनने वाले फ्लाई ओवर पी0एम0सी0एच0 से जोड़ा जाएगा ताकि किसी भी मरीज को वहां पहुंचने में कोई कठिनाई न हो। इस अस्पताल में चिकित्सकों, विशेषज्ञों, नर्सों, पारा मेडिकल स्टॉफों के आवासन की सुविधा होगी। छात्र एवं छात्राओं के लिए बेहतर छात्रावास होगा, इसका निर्माण कार्य तीन फेज में किया जाएगा। निर्माण कार्य के दौरान अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में कोई कठिनाई नहीं होगी। ऐसे इस अस्पताल की निर्माण अवधि 8 वर्ष है लेकिन मुझे उम्मीद है कि और कम समय में ही इसको पूर्ण कर लिया जाएगा। एन0एम0सी0एच0 एवं आई0जी0आई0एम0एस0 को 2500 बेड की क्षमता वाला अस्पताल बनाना चाहते हैं। अब राज्य में 23 सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल हो जाएंगे। गैर सरकारी क्षेत्र

के अस्पताल भी बढ़ रहे हैं। इससे राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय योजना के अंतर्गत जिला, अनुमंडल में मेडिकल

संस्थान खोले जाएंगे। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में यहां के लोगों को भी काम मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने हैं, उसकी डिजाइन दिखाई गई है, उसे देखकर मुझे खुशी हुई है। अगर अस्पताल साफ सुथरा और देखने में बेहतर हो तो इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव मरीजों के इलाज पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने बॉयोमेडिकल वेस्टेज के प्रबंधन के बारे में चर्चा की है, इसे देखने के लिए हमलोग आई0जी0आई0एम0एस0 में गए थे। पर्यावरण के दृष्टिकोण से बॉयोमेडिकल वेस्टेज का प्रबंधन काफी जरुरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड के द्वारा जो भी भवन बनाए जा रहे हैं, उसमें भूकंपरोधी, अग्निरोधी चीजों का ध्यान रखा जा रहा है। मेरा सुझाव है कि उसके मेंटेनेंस एवं फर्निसिंग के लिए भी एजेंसी को पहले से ही सचेत रखने की जरुरत है। अस्पतालों की साफ सफाई एवं उसे सुसज्जित रखने की जरुरत है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर भी निरंतर सारी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करने की जरुरत है। वहां पर नर्सें रहती हैं, जरुरत पड़े तो डॉक्टर का पद सृजित किया जाए, दवा उपलब्ध रहे इन सब चीजों पर ध्यान देने की जरुरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग इलाज के साथ-साथ स्वच्छता पर भी ध्यान देते हैं। लोग स्वस्थ रहें, इसके लिए काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, राज्य में लोहिया स्वच्छता अभियान भी चलाया जा रहा है। पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर पीने का स्वच्छ पानी एवं स्वच्छता का ध्यान रखा जाए तो आज होने वाली 90 प्रतिशत बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के लिए भी प्रयास करने की जरुरत है। बीमारियों के प्रति जागरुकता के लिए पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य मेला लगाने की जरुरत है। अभी हाल ही में केरल में एक बीमारी का पता चला है, लोगों को उसके प्रति भी जागरुक रखना है। उन्होंने कहा कि राज्य के कॉरपोरेशन के द्वारा दवा वितरण का कार्य किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर जितनी दवाओं को उपलब्ध कराने का लक्ष्य है, करीब 300 ऐसी दवाएं हैं, वह जल्द ही अपनी समय सीमा के अंदर उपलब्ध करा दी जाएगी। विश्वस्तरीय पी0एम0सी0एच0 का निर्माण कार्य जल्द ही शुरु हो जाएगा। राज्य में स्वास्थ्य सेवायें काफी बेहतर हुई हैं, चिकित्सा सुविधा की और जो भी जरुरतें हैं, उनको पूरा करने के लिए हमलोग प्रयत्नशील हैं।

मुख्यमंत्री का स्वागत स्वास्थ्य मंत्री ने पुष्प-गुच्छ, प्रतीक चिन्ह एवं शॉल भेंटकर किया। पी0एम0सी0एच0 को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने पर आधारित एक लघु वृत्तचित्र भी दिखाया गया।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय, अल्पसंख्यक कल्याण एवं गन्ना उद्योग मंत्री श्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग श्री संजय कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त श्री दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय श्री अनुपम कुमार, राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक श्री लोकेश कुमार सिंह, बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री संजय कुमार सिंह, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना निदेशक सुश्री करुणा कुमारी, वरीय चिकित्सकगण एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

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