कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के बहाने में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी ने अपनी-अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। लगा ही नहीं कि यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 जयंती का ऐतिहासिक कार्यक्रम है, जिसे केंद्र सरकार ने आयोजित किया है। पूरा कार्यक्रम चुनावी चर्चा को समर्पित दिखा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित सभा में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मंच पर बैठा कर अपनी उपलब्धियों का बखान किया। कोरोना टीका, रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक मिसाइलों के आविष्कार, रफाल जैसे अत्याधुनिक युद्धक विमानों को सेना में शामिल करने जैसे कई मुद्दों पर पीएम मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। इस चुनावी मौसम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का कौन कितना बड़ा भक्त है, यह दिखाने में दिनभर जुटे रहे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फर्क सिर्फ इतना ही था कि जहां ममता बनर्जी सीधे-सीधे केंद्र पर हमलावर थीं, वहां मोदी ने इतराते दिखे कि निर्मल भारत को देखकर आज नेताजी सुभाष बोस कितना खुश होते।
इसी मंच से चुनावी बिगुल फूंकते हुए मोदी ने कहा- आत्मनिर्भर भारत के गठन में आत्मनिर्भर बांग्ला व सोनार बांग्ला का योगदान सबसे ज्यादा होगा। बंगाली सेंटीमेंट व अस्मिता को छूते हुए नेता जी के जीवन की कई घटनाओं का उन्होंने स्मरण भी किया। आजादी मांग के नहीं, छीन के लेनी होगी- नेताजी की इस बात को दोहराते हुए मोदी ने कहा कि इससे जीवन में प्रेरणा मिलती है। इसी मंत्र से चीन और पाकिस्तान को ललकारते हुए उन्होंने कहा कि एलएसी से एलओसी तक देश की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश का भारत मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
कोलकाता एयरपोर्ट उतरते ही पीएम सीधे एलगिन रोड स्थित नेताजी वास भवन पहुंचे। वहां सजाए रखे नेताजी की धरोहर को नजदीक से देखा। नेताजी पर लगाई गई चित्र प्रदर्शनी को देखकर मुग्ध हुए। इसके बाद नेताजी की वह नीली गाड़ी देखी, जिसमें चढ़कर सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंकते हुए गोमो तक पहुंचे। उस गाड़ी को गौर से देखा। वहां से निकलते समय उनको देखने के लिए जुटी भीड़ का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। इसके बाद वे सीधे नेशनल लाइब्रेरी पहुंचे। वहां नेता जी के चरणों पर पुष्प अर्पण कर विक्टोरिया मेमोरियल पहुंचे।
विक्टोरिया मेमोरियल में राजस्थानी संगीत व बांग्ला के ढाक की आवाज से प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया। साथ में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व राज्यपाल जगदीप धनखड़ उपस्थित थे। उन्होंने मेमोरियल में लगी प्रदर्शनी घूम-घूम कर देखी और नेताजी पर आयोजित रंगारंग कार्यक्रम में भाग लिया। नेताजी पर कई गाने गाय गए। प्रधानमंत्री ममता बनर्जी से औपचारिक बातें भी कीं। राज्यपाल को कई बार ममता से बात करते देखे गया।
सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक ममता को भाषण देने का आह्वान हुआ। वह उठीं, लेकिन दर्शक दीर्घा से जय श्रीराम के नारे लगने लगे। ममता बनर्जी गुस्से से लाल हो गईं और कार्यक्रम की लय भी टूटने लगी। उन्हें बुला कर अपमानित किया गया, इसका हवाला देते हुए ममता बनर्जी ने भाषण देने से मना कर दिया। जय हिंद, जय बांग्ला बोल कर वह अपनी कुर्सी पर बैठ गईं। बाद में वहां से निकलते समय भी लोगों ने जय श्रीराम का नारा लगाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष बोस पर लिखी गई एक किताब का विमोचन किया। उनके नाम पर सिक्का भी जारी किया गया। उन्होंने कालका मेल का नाम बदल कर सुभाष बोस के नाम करने का जिक्र अपने भाषण में किया।
भाजपा के अन्य नेताओं को प्रधानमंत्री के साथ नेताजी भवन में जाने से रोक दिया गया। पीएम के साथ में कैलाश विजयवर्गीय समेत कई अन्य भाजपा नेताओं के रहने की खबर थी। यह खबर मिलते ही नेताजी रिसर्च ब्यूरो के चेयर पर्सन ने कहा कि चुनावी मौसम में किसी राजनीतिक दल को नेताजी भवन से माइलेज लेने की कोशिश को वे कामयाब होने नहीं देंगे। मोदी जी प्रधानमंत्री के नाते नेताजी भवन का दौरा कर सकते हैं। बाकी किसी भी भाजपा नेता को वे नेताजी भवन में आने से रोकेंगे। यह खबर मिलते ही प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में संशोधन किया गया। कैलाश विजयवर्गीय समेत अन्य नेताओं को नेताजी भवन आने से रोका गया।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में विक्टोरिया मेमोरियल पहुंचते ही भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रधानमंत्री का चरण छूकर प्रणाम किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें गले लगा लिया। प्रधानमंत्री ने उनसे कहा- तुम अच्छा काम कर रहे हो, लगे रहो। उस समय कुछ मीटर दूरी पर खड़ी ममता बनर्जी ने भी यह दृश्य देखा। शुभेंदु ने शोभन चटर्जी का प्रधानमंत्री से परिचय कराया। इससे पहले टीएमसी के एक और बागी नेता इंद्रनील घोष ने प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी ली। बांग्ला कलाकार प्रसन्नजीत चटर्जी व इंद्राणी हलदर ने प्रधानमंत्री से भेंट की। उस समय राज्य भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष उपस्थित थे।
नेताजी की 125 वीं जयंती जब देशभर में पराक्रम दिवस के रूप में मनायी जा रही थी, उसी समय ममता बनर्जी की सरकार ने इसे देश नायक दिवस के रूप से मनाया। केंद्र के विरोध में पहले से ही ममता बनर्जी ने देश नायक दिवस की तैयारी कर ली थी। सुबह श्याम बाजार से रेड रोड स्थित नेता जी मूर्ति तक 9 किलोमीटर की एक पदयात्रा निकाली गयी। ममता ने इस पदयात्रा की अगुवाई करते हुए टॉलीवुड के कलाकार गायक के साथ रेड रोड पहुंचीं। इसके पहले ममता ने ट्वीट कर राज वासियों से अपील की कि ठीक 12 बजे नेता जी की जयंती पर लोग शंख बजाएं। श्याम बाजार में पदयात्रा शुरू करने से पहले मनसे और शंख बजाकर यात्रा की शुरुआत की। एक ही दिन में ममता बनर्जी की पदयात्रा व प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। कई रूट पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गयी तो कुछ का मार्ग बदल दिया गया।
यह भी पढ़ेंः भारतीय जनता पार्टी को ममता बनर्जी ने भारतीय जंक पार्टी कहा(Opens in a new browser tab)
पदयात्रा रेड रोड पहुंचते ही ममता बनर्जी ने नेताजी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। नेताजी पर रचे गये कई गाने गाए गए। अपने भाषण में ममता बनर्जी ने पराक्रम नाम को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उनसे पूछ कर यह नाम तय करना चाहिए था। क्योंकि सुभाष चंद्र बोस बंगाल के सपूत थे। ममता बनर्जी ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि नेताजी की सेना में सभी धर्मों के लोग थे। इससे केंद्र सरकार को शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने जय हिंद वाहिनी के गठन की घोषणा की। फिर एक बार केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को राष्ट्रीय छुट्टी की घोषणा करनी चाहिए। कई बार कहने के बावजूद केंद्र सरकार सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर छुट्टी की घोषणा नहीं कर रही है।
यह भी पढ़ेंः नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंगाल में सियासत के हाट केक बन गये हैं(Opens in a new browser tab)