पचास हजार जेब में हों, तभी शराब को हाथ लगाइएगा

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पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 33 एजेंडों पर मुहर लगी। कैबिनेट की बैठक में शराबबंदी कानून में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर किया गया। शराबबंदी के सख्त कानून को लचीला किया गया है। सामूहिक जुर्माना को खत्म किया गया है। शराब या मादक पदार्थ रखकर फ़ंसाने वाली सजा को विलोपित किया गया है। शराबबन्दी कानून को लचीला बनाया गया है। कड़े प्रावधान को खत्म किया गया है, साथ ही 3 साल की सजा पूरा कर चुके लोग बाहर निकलेंगे। जमीन, घर और गाड़ी सीज करने के प्रावधानों में नरमी की गई है। इतना ही नहीं, शराबबंदी कानून में संशोधित प्रावधान के मुताबिक पहली बार कोई शराब पीते पकड़ा गया तो 50 हजार रुपये जुर्माने पर वह छूट सकता है या फिर तीन महीने की जेल की सजा के लिए उसे तैयार रहना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली सप्लाई के लिए ग्रिड बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई। सुल्तानगंज के श्रावणी मेले को राजकीय मेले का दर्जा दिया गया है।

कैबिनेट के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मद्य निषेध कानून में संशोधन के प्रस्ताव को विधानमंडल में पेश करने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, लेकिन इसमें क्या सुधार किया जाएगा, इसको अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

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नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून में बदलाव कर के शराबियों को बड़ी राहत दे दी है। राज्य सरकार के शराबबंदी कानून में संशोधन का विधेयक आज कैबिनेट से पास हो गया। सरकार के पुराने कानून को तुगलकी फरमान कहा जा रहा था। अब उसमें काफी फेरबदल किया गया है। संशोधन विधेयक के मुताबिक अब अगर कोई व्यक्ति शराब के नशे में पकड़ा जाता है या फिर उसके पास शराब बरामद होती है तो उसे 50 हजार रुपये जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा। जुर्माना नहीं देने पर उसे तीन महीने की सजा होगी। पहली बार के बाद अगर वह फिर पकड़ा जाता है तो पांच साल तक की सजा और एक लाख रुपया जुर्माना भरना पड़ सकता है।

सरकार ने शराब पीकर उत्पात मचाने वालों को ज्यादा राहत नहीं दी है। नशे में हंगामा करने वाले को पांच से दस साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना भरना होगा। हालांकि पहले नशे में हंगामा करने की सजा उम्र कैद रखी गयी थी।

शराबबंदी संशोधन विधेयक में सरकार ने कई तब्दीलियां की हैं। पहले शराब का कारोबार होने पर पूरे गांव और मोहल्ले को सजा देने का प्रावधान था। अब इसे खत्म कर दिया गया है। अब पूरे गांव या मुहल्ले का सजा नहीं मिलेगी। सरकार ने पहले किसी घर में शराब बरामद होने पर पूरे परिवार को जेल भेज देने का प्रावधान किया था। संशोधन विधेयक में इसे भी खत्म कर दिया गया है।

फिलहाल कैबिनेट ने संशोधन विधेयक को पास किया है, लेकिन इसे अमल में लाने के लिए विधानमंडल से पारित कराना होगा और फिर राज्यपाल से मंजूरी लेनी होगी।

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