पटना को अतिक्रमण मुक्त करने की कोशिश पर बरसे शिवानंद

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पटना। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी अतिक्रमण हटाओ अभियान पर जम कर बरसे। उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है- गरीबों के पेट पर लात मारिए और पटना को स्मार्ट बनाइए। इसी नीति पर कोड़ा लेकर प्रशासन पीठ पर खड़ा है। बिहार जैसे गरीब राज्य में शहर के सड़कों के किनारे भाँति-भाँति के काम से कितने परिवारों की रोज़ी-रोटी का जुगाड़ हो रहा है। पता नहीं, इसका कभी सर्वे हुआ है या नहीं। आँख खोलकर देखने से ही पता चल जाता है कि केवल पटना शहर में ऐसे लोगों की संख्या लाख से उपर होगी। यही लोग अपना और परिवार का पेट भरने के लिए हाईकोर्ट के अनुसार पटना को स्मार्ट बनाने की दिशा में अवरोध बने हुए हैं।

इन फुटपाथी लोगों का क़सूर क्या है। कहा जाता है कि इनकी वजह से यातायात बाधित होता है। चार चक्का वाली गाड़ियाँ इनकी वजह से सड़कों पर सर्र-सर्र दौड़ नहीं पाती हैं। इसलिए इनका शहर निकाला करना जरूरी है। गाड़ियाँ सरपट दौड़ने लगेंगी। हमारा शहर स्मार्ट हो जाएगा। जिनका शहर निकाला हो रहा है, उनकी या उनके परिवार की ज़िंदगी की गाड़ी कैसे चलेगी, इसकी चिंता में कौन अपना सर खपाए।

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सड़कों पर यातायात क्यों बाधित होता है, कभी आपने इस पर ग़ौर किया है। तो गौर कीजिए। किसी भी चौराहे पर या किसी अवरोध की वजह से रुकना पड़ा तो चार या दो चक्का वाले चालक एक क़तार में नहीं रुकते हैं। एक के बगल में दूसरा, दूसरे के बग़ल में तीसरा और दोनों ओर का आवागमन बाधित। गाड़ी या फटफटिया वाले यातायात के अनुशासन को मान लें तो कहीं जाम नहीं लगेगा।

फुटपाथ को उजाड़ देना सहज है, गाड़ीवालों को अनुशासित करना कठिन। हमारे देश का अभिजात्य वर्ग कठिन रास्ता चुनने से हमेशा बचता है। वंचित समाज के लिए उसकी संवेदना में शायद ही कभी जगह मिलती है। पता नहीं, पटना की चौड़ी सड़कों पर पैदल चलने वाले अपने को जोखिम में डालकर किस प्रकार सड़क पार करते हैं, इस पर आपकी नज़र कभी गई है या नहीं। कभी रुक कर सड़क पार करने वालों का चेहरा देखिए। आशंका, तनाव और भय का सम्मिश्रण उनके चेहरे पर दिखाई देगा। और जब सही-सलामत पार हो गए, तब चेहरा देखिए। जैसे कोई बड़ा जंग जीत लिया हो, ऐसी प्रफुल्लता उनके चेहरे पर दिखाई देगी। लेकिन यह देखने की फ़ुर्सत किसको है।  फ़ुर्सत हो भी तो चौड़ी सड़कें तो ‘स्मार्ट्नेस’ की प्रतीक हैं। मोटर गाड़ी पर सवार को पैदल चलने वालों के चेहरे पर का भाव कहाँ दिखाई देता है। उसकी गाड़ी की गति में अवरोध पैदा करने वाले उसके मन में चिढ़ पैदा करते हैं। शहर के ‘स्मार्टनेश’ में धब्बा की तरह नज़र आते हैं। इसलिए वह इन धब्बों को साफ़ कर शहर को स्मार्ट बनाने के अभियान में लगा है। बाकी के लिए उसकी संवेदना में जगह कहाँ है!

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