पहले 39 मरीज आते थे, अब 10 हजार से अधिक आते हैं

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पटना। राज्य सरकार हर क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर रही है। सूबे में स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग काफी सक्रिय है। वर्ष 2005 में एक महीना में एक प्राथमिक स्वस्थ केंद्र पर मात्र 39 मरीज ही जाते थे। वर्तमान में सरकार ने कई योजनाओं को शुरू करवाया, जिसका परिणाम है कि आज 10 हजार से ज्यादा मरीज प्राथमिक स्वस्थ केंद्र पहुंचने लगे हैं और लोगों का भरोसा सरकारी अस्पताल पर बढ़ा है।सरकार माइक्रो लेबल पर ध्यान रखकर सारी कमियों को दूर कर रही है। पीएमसीएच को वर्ल्ड क्लास बनाने के तहत यह अस्पताल 5 हजार बेड का बनेगा। दुनिया के किसी भी देश में अभी5 हजार बेड का अस्पताल नहीं है।बनने वाले इस वर्ल्ड क्लास अस्पताल में सभी अस्पतालकर्मियों के रहने का भी इंतजाम होगा। इसका निर्माण कार्य तीन फेज में पूरा होगा जो 5 या सात वर्ष में बनकर तैयार हो जायेग। आई.जी.आई.एम.एस. एवं नालन्दा मेडिकल कालेज अस्पताल को भी ढाई हज़ार बेड वाले अस्पताल के रूप में परिवर्तित करने की योजना है। बिहार में अब मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़कर 23 हो जाएगी।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छे से काम हो इसे लेकर हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत 784 करोड़ की लागत से 301 योजनाओं का  उद्घाटन और शिलान्यास किया गया  है। विकसित बिहार सात निश्चय के अंतर्गत मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में बी.एस.सी. नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थान सह छात्रावास भवन का निर्माण कार्य शुरु किया गया। यह भवन भूंकपरोधी, अग्निरोधी एवं आंतरिक सुसज्जिकृत होगा। नालंदा चिकित्सा महाविद्यालय, पटना में निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है जबकि सात चिकित्सा महाविद्यालयों में निर्माण कार्य़ जारी है। ग्रेड-ए नर्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु जी.एन.एम. प्रशिक्षण संस्थान सह छात्रावास भवन का निर्माण कार्य 23 जिलों में प्रस्तावित है जबकि शेष जिलों में पूर्व से ही स्वीकृत है। पारा मेडिकल प्रशिक्षण सह छात्रावास भवन का 33 जिलों में निर्माण प्रस्तावित है जबकि शेष जिलों में पूर्व से स्वीकृत है। ग्रेड-बी नर्स की अपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ए.एन.एम. प्रशिक्षण सह छात्रावास भवन 54 अनुमंडलों में निर्माण प्रस्तावित है जबकि शेष अनुमंडलों में पूर्व से ही निजी/ सरकारी स्वीकृत है। राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से गैर आच्छादित अनुमंडल में अनुमडलीय अस्पताल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह ग्रीन बिल्डिंग प्रथम चरण 50 शैय्या का अस्पताल होगा जिसे 100 शैय्या तक विस्तार किया जाएगा। राज्य की जनता को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आच्छादित प्रखंड मुख्यालय में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उत्क्रमित कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कार्य किया जा रहा है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चिकित्सा महाविद्यालयों एवं कुछ सदर अस्पतालों में मातृ शिशु अस्पताल प्रस्तावित है। इसके द्वारा संस्थागत प्रसव के साथ मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। प्रखंड मुख्यालय के अतिरिक्त बड़े पंचायत मुख्यालय में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जा रही है। राज्य के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रमों की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लगभग 3000 से 5000 की आबादी पर स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थापना की जा रही है।इस क्षेत्र में जरूरत के अनुसार मैन पॉवर को बढ़ाने का भी काम किया जा रहा है। आम लोगों को सरकारी अस्पतालों में  समुचित दवाइयां उपलब्ध हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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आने वाले समय में जो डॉक्टरों की कमी है  उसे भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही सरकार बड़े पैमाने पर डॉक्टरों की  बहाली प्रक्रिया भी शुरू करेगी, जिससे सरकारी अस्पतालों  में डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी और आमलोग सरकारी अस्पतालों में सुविधानुसार इलाज करा पाएंगे।किसी भी अस्पताल में एक डॉक्टर के ऊपर तीन नर्सों की जरूरत होती है और पहले केरल के नर्सों पर आश्रित होना पड़ता था जबकि बिहार में नर्सिंग कॉलेज खुलने से आज सुरत बदल चुकी है। लोगों से आंख दान करने की प्रवृति को विकसित करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

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