- सुरेंद्र किशोर
पी.एफ.आई. (पापुलर फ्रंट आफ इंडिया) पर नजर रखिए। उसके प्रकट और छिपे इरादों को समझिए। इसकी वजह समझा रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर। वह कहता हैं- रजत शर्मा वाले चैनल ने आज कुछ खुलासे किए हैं। आप अपना भी रुख तय कीजिए। इस देश के कई वोट लोलुप दल, नेता और बुद्धिजीवी इस विवादास्पद संगठन को प्रत्यक्ष-परोक्ष अपना समर्थन देते रहे हैं।
वह समय जल्दी ही आ सकता है, जब आपको यह तय करना होगा कि आप पी.एफ.आई. के साथ हैं या इस देश की एकता-अखंडता-संवैधानिकता असली धर्मनिरपेक्षता के साथ हैं। अभी तो ऊपरी तौर पर पी.एफ.आई. ने ब्राह्मणों और सुरेंद्आेर किशोर र.एस.एस. को अपने निशाने पर लिया है। किंतु उसका उद्देश्य इससे बहुत बड़ा है। सिमी के लोगों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 2006 में पी.एफ.आई. बनाया। सिमी पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया।पहले 2001 में अटल सरकार ने लगाया और बाद में मनमोहन सरकार ने उस प्रतिबंध को जारी रखा।
सन् 2012 में केरल पुलिस ने वहां के हाईकोर्ट को बताया कि ‘‘पापुलर फ्रंट आफ इंडिया, प्रतिबंधित संगठन ‘सिमी’ का ही नया रूप है।’’ केरल पुलिस चाहती थी कि पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगे। किंतु सी.पी.एम. के नेता और मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं होने दिया।
सिमी के बिहार जोन के सचिव रियाजुल मुसाहिल ने 20 सितंबर 2001 को कहा था कि ‘‘कुरान हमारा संविधान है। यदि भारतीय संविधान का कुरान से टकराव होता है तो हम संविधान से बंधे हुए नहीं हैं। हम भारत सहित पूरी दुनिया में खलीफा का शासन चाहते हैं।’’ इस बीच सिमी अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा। पी.एफ.आई. पर भी हिंसा के आरोप हैं।
जब 1986 में सिमी ने ‘इस्लाम के जरिए भारत की मुक्ति’ का नारा दिया तो ‘जमात ए इस्लामी’ ने सिमी से अपना संबंध पूरी तरह तोड़ लिया। याद रहे कि सिमी का गठन ‘जमात ए इस्लामी’ हिंद के छात्र संगठन के रूप में हुआ था। 9 अप्रैल 2008 के हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार नागौरी ने
कहा था कि हमारा लक्ष्य जेहाद के जरिए भारत में इस्लामिक शासन कायम करने का है। टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार सिमी के अहमदाबाद के जोनल सेक्रेट्री साजिद मंसूरी ने कहा था कि जब भी हम सत्ता में आएंगे तो हम इस देश के सभी मंदिरों को तोड़ देंगे और वहां मस्जिद बनवाएंगे।(.टाइम्स आफ इंडिया..30 सितंबर 2001)
पी.एफ.आई. सीएए और एनआरसी के सख्त खिलाफ है। यदि भाजपा पश्चिम बंगाल चुनाव जीत गई तो सरकार सीएए लागू करेगी। उसके बाद पी.एफ.आई. मुठभेड़ की मुद्रा में सामने आ सकता है। माना जा रहा है कि इस देश के विवेकशील मुस्लिम पी.एफ.आई.के साथ नहीं हैं। किंतु माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ ही लोग काफी होते हैं।
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