बंगाल असेंबली इलेक्शन में खेला होबे, ममता बनेंगी रेफरी

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बंगाल असेंबली इलेक्शन में खेला होगा और इस खेल की रेफरी होंगी ममता बनर्जी। इस बार इस बार बंगाल असेंबली इलेक्शन नारों के सहारे लड़ा जाएगा।
बंगाल असेंबली इलेक्शन में खेला होगा और इस खेल की रेफरी होंगी ममता बनर्जी। इस बार इस बार बंगाल असेंबली इलेक्शन नारों के सहारे लड़ा जाएगा।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। बंगाल असेंबली इलेक्शन में खेला होगा और इस खेल की रेफरी होंगी ममता बनर्जी। इस बार इस बार बंगाल असेंबली इलेक्शन नारों के सहारे लड़ा जाएगा। हर बार की तरह इस बार भी पार्टियां नारे गढ़ने में लगी हैं। भाजपा के जय श्रीराम का  मुकाबला करने के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले जय बांग्ला नारा दिया था, लेकिन जय बांग्ला नारा भी  जय श्रीराम के नारे को  टक्कर नहीं दे पाया। आखिर नारा गढ़ने के मास्टर तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिला अध्यक्ष अणुव्रत मंडल ने  एक नया नारा दिया है- खेला  होबे (खेल होगा)।

अणुव्रत मंडल का नारा पूरे बंगाल में कोरोना से भी  तेजी से फैलने लगा है। इस पर गाना भी बन गया है। अणुव्रत मंडल ने कहा-  बंगाल की मिट्टी शक्तिशाली मिट्टी है।  इस मिट्टी पर खेला तो होगा ही।  हम लोग खेलेंगे  और इसकी रेफरी होंगी ममता बनर्जी। आइए जानते हैं खेला होबे के बारे में। सबसे पहले जानते हैं कि इस नारे पर किसने क्या कहा।  ममता बनर्जी  ने कहा- खेला  एतो  सहज  नाईं अर्थात  खेल इतना आसान नहीं है। राज्य के विपक्षी दल  भाजपा के राज्य अध्यक्ष  दिलीप घोष का कहना है-  तोदेर खेला  शेष होय गेछे  अर्थात तुम लोगों का खेल खत्म हो गया।  इस बार हम लोग खेलेंगे। इस खेल का आखिरी मैच  मई में होगा। हम लोग खेलेंगे और तुम लोग गैलरी में बैठकर हमारा खेल देखोगे।

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इसके अलावा दिलीप घोष ने यह भी कहा कि खेल काफी भयंकर होगा। टीएमसी के  जो गुंडे हैं,  उनकी मांओं को  सचेत करते हुए कहा-  बच्चों को संभालिए,  नहीं तो बच्चे का मुंह देख नहीं पाएंगी। राजीव बनर्जी  का कहना है  खेला तो  हबे  अर्थात खेल तो होगा।  हम लोग भी कम खिलाड़ी नहीं है। दिलीप घोष ने यह भी कहा है कि  परिवर्तन यात्रा को रोकने पर  खेला हबे। बाधा पहुंचाने वालों को मार  कर  हड्डी तोड़ देंगे।

टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि बंगाल असेंबली इलेक्शन में खेला तो एखोनो शुरू होई नेई  अर्थात खेल तो अभी शुरू नहीं हुआ। चुनाव घोषणा के बाद खेल शुरू होगा। खेला हबे पर  भाजपा सांसद रूपा गांगुली का कहना है  राजनीति कोई खेल की जगह नहीं है।  खेलना है तो क्रिकेट या कबड्डी के मैदान में जाइए। सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय  ने एक रोड शो में  नारा लगाते हुए कहा- मीर जाफर राजीव बनर्जी का  हाथ तोड़ कर  खेला हबे। खेला होबे शब्द  का  डिक्शनरी में अर्थ है  खेल होगा।  लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि  असल में यह शब्द  भाषा संत्रास का शब्द है। खेल में  2 टीमें रहने के बावजूद  जो  स्पोर्टिंग और भाईचारा रहता है। इस खेल  में  आतंक-अत्याचार,  एक दूसरे के खिलाफ  डराने-धमकाने व हत्या करने की धमकी  के रूप में इसका इस्तेमाल हो रहा  है।

इस नारे का असर भी बंगाल में दिखने लगा है। कल  मीनाखा  में  भाजपा नेता  बाबू मास्टर की गाड़ी पर  जानलेवा हमला हुआ। तृणमूल के सांसद  नुसरत की सभा में  आम जनता  डीजे बजा कर  खेला हबे गाने पर  व्यापक नृत्य किया। तृणमूल नेता मदन मित्र का कहना है कि पूरे बैरकपुर में  खेला हबे। हम लोग जर्सी पहन कर खेलेंगे।  प्रधानमंत्री  के दौरे के बाद से ही  खेला शुरू होगा।  केवल धुआं दिखेगा और कुछ नहीं दिखेगा।

आज प्रेस प्रेस कांफ्रेस कर  भाजपा नेता  राहुल सिन्हा ने कहा कि खेला होने पर  पिटाई भी होगी।  उन्होंने यह भी बताया कि  यह कह कर  तृणमूल लोगों में डर पैदा करने की कोशिश कर रही है।  लोगों को अपने लोकतांत्रिक अधिकार यानी मतदान केंद्र में जाकर वोट देने के अधिकार को छीनने की कोशिश की जा रही है। माकपा नेता  सुजन चक्रवर्ती का कहना है कि पहले भाषा संत्रास के संदर्भ  में इसका इस्तेमाल होता था। अभी  भाषा संत्रास के  साथ  भाव संत्रास की भूमिका भी तौयार की जा रही है। उन्होंने पूछा कि इस शब्द का इस्तेमाल कर  तृणमूल कांग्रेस करना क्या चाहती है।

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बंगाल के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि खेला हबे शब्द को  आतंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है  ताकि राज्य में  आगामी विधानसभा चुनाव में 2018 के ग्राम पंचायत चुनाव  का रिपीट टेलीकास्ट हो। अर्थात  बंगाल असेंबली इलेक्शन में लोकतंत्र को खत्म कर, डर दिखा कर, बूथ लूट कर  चुनाव को एकतरफा किया जाए। अर्थात  बंगाल में  मध्य  युग  के  सुल्तानी अत्याचार को  वापस लाकर  किसी भी तरह सत्ता  कायम करना है। वाम शासन के समय  जैसे  धुलाई हबे, पिटाई हबे का नारा लगता था,  ताकि  गांव-गांव में  लोगों में आतंक फैलाया जाए,  उसी तरह  खेला हबे के जरिए  तृणमूल  गांव- गांव में आतंक फैलाने की कोशिश कर रही है।

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