- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। बंगाल में अगर शांति से रहना है तो फिर से तृणमूल को ही सत्ता में लाना होगा। बीजेपी सत्ता में आई तो लोगों का शांति-चैन छिन जाएगा। दूसरे भाजपा शासित राज्यों में लोगों से शांति और चैन छिन गये हैं। किसानों से जमीन, मजदूरों से मजदूरी, शिक्षा, स्वास्थ्य सब कुछ छिन गया। उसी तरह बंगाल में भी छिन जाएगा। यह सलाह बंगाल के लोगों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दी है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलना में आयोजित तृणमूल की सभा में भाजपा को वोट न देने की अपील की। उन्होंने यहां भी किसान सम्मान निधि योजना का मामला उठाया। उन्होंने मंच से प्रधानमंत्री की मंशा में ही खोट बता दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तो किसानों के नाम भेज दिये हैं। अप प्रधानमंत्री रुपये देकर तो दिखाएं।
पार्टी छोड़ने वाले तृणमूल विधायक और नेताओं के प्रति जहर उगलते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी में रह कर पार्टी को खत्म करने से अच्छा है कि ऐसे लोग पार्टी छोड़ दें। ममता ने कहा कि पार्टी में रह कर अगर कोई भूल करता है तो मैं उसे थप्पड मारती हूं और टिकट भी नहीं देती। जो छोड़ कर चले गए हैं, उनको मार खाने का डर था। टिकट न मिलने का डर था। उसी कारण से तृणमूल छोड़ वे भाजपा में चले गए।
उन्होंने फिर भाजपा को एक बार बाहरी पार्टी बताते हुए कहा कि उसके नेता विद्यासागर, प्रभु चैतन्य, विवेकानंद से शुरू कर किसी के बारे में कुछ नहीं जानते। यहां तक कि वह हिंदू धर्म के बारे में भी वे कुछ नहीं जानते। केवल लोगों को आपस में लड़ाना जानते हैं। उन्होंने लोगों से वादा किया कि आगे के दिन में भी लोगों को राशन में मुफ्त अनाज दिया जाएगा।
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मुख्यमंत्री ने प्रतीक सभा की तरह इस सभा में भी स्वास्थ्य, शिक्षा का जोर शोर से प्रचार किया। सभी भाषाओं के लोगों को खुश रखने के लिए आदिवासी, राजवंशी समेत हर भाषाओं के लिए अलग-अलग स्कूल खोलने की बात कही। ममता ने वादा किया उनकी सरकार 12 और भाषाओं को सरकारी मान्यता प्रदान करेगी। आबादी 10 प्रतिशत से अधिक होने पर ब्लॉक, जिलों में तेलगु भाषा को भी सरकारी भाषा की मान्यता मिलेगी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है पिछले लोकसभा चुनाव में जहां-जहां भाजपा शक्तिशाली बन कर उभरी थी, खासकर उत्तर बंगाल में राजबंशियों के लिए, आदिवासी इलाकों में ऑल चिकी स्कूल खोलने का वादा कर वहां के लोगों को लुभाने की ममता कोशिश कर रही हैं।
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