बगैर इजाजत तस्वीर लेने पर नेपाल सरकार ने पाबंदी लगायी

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मलिकाइन के पाती
मलिकाइन के पाती

काठमांडू। नेपाल में पत्रकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बिना इजाजत तस्वीर लेने पर रोक लगा दी गयी है। नेपाल की केंद्रीय सरकार ने एक नया क्रिमिनिल ऐक्ट पेश किया है,  जिसमें गोपनीय सूचना को प्रकाशित करने, बगैर इजाजत के ऑडियो रिकार्ड करने या तस्वीर खींचने पर जेल की सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए इस कदम की आलोचना की है।

वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार नित्य नए- नए कानून ला कर उसका  इस्तेमाल कर जनता को परेशान कर रही है। यदि सरकार ने इस प्रकार के कानूनों को वापस नहीं लिया तो सरकार की आलोचना व विरोध किया जाएगा।

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दरअसल दो तिहाई बहुमत वाली वर्तमान कम्युनिस्ट सरकार ने असहमति के प्रति असहिष्णुता प्रदर्शित की है। नया क्रिमिनल कोड और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड देश की पुरानी विधिक प्रणाली की जगह लेगा। यह शुक्रवार से प्रभावी हो गया है। अधिवक्ता रामलाल सुतिहार ने इस कानून के पर चर्चा करते हुए कहा कि इन कानूनों का उपयोग पत्रकारों को चुप कराने और खोजी पत्रकारिता को हतोत्साहित करने में किया जा सकता है। नए कानून ने नेपाल में  प्रेस की स्वतंत्रता को दांव पर लगा दिया है।

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नेपाल प्रेस यूनियन के सदस्य मिनकुमार नबोदित श्रेष्ठ ने कहा कि यह संविधान का पूरी तरह से उल्लंघन है और इसका लक्ष्य मुक्त प्रेस को नियंत्रित करना है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है। वहीं इंटरनेशनल प्रेस क्लब के अंतरराष्ट्रीय संयोजक राजेश कुमार शर्मा ने कहा कि इस नए कानून से नेपाल में प्रेस की स्वतंत्रता पर पूर्ण विराम लग गया है। इससे खासकर खोजी पत्रकारिता, राजनीतिक दल व अधिकारियों से फ़ोन पर लिये जाने वाले बयान पर हर वक़्त संशय की स्थिति बनी रहेगी। इस नए कानून का नेपाल के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने खुल कर विरोध किया है।

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