पटना। बसंत में भी कांग्रेस में पतझड़-भगदड़ की स्थिति है। पुडुचेरी की तरह दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस विधायकों का पार्टी से मोहभंग तेजी से हो रहा है। यह कहना है बिहार के पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव का। वरिष्ठ भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कहा है कि कांग्रेस में बसंत ऋतु में भी पतझड़ की स्थिति है। भगदड़ मची है। चार विधायकों के इस्तीफे के बाद पुडुचेरी में नारायण सामी सरकार अल्पमत में आ गयी है।
श्री यादव ने कहा कि कांग्रेस की बसंत की यह भगदड़ थमने वाली नहीं है। बिहार सहित अन्य राज्यों में भी कांग्रेस की वैसी ही दुर्गति होने वाली है। जिस दल की न कोई नीति है और न ही अच्छी नीयत, ऐसे दलों का ऐसा ही हश्र होता है। श्री यादव ने कहा कि कांग्रेस की महारानी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता और चापलूसी पसंद युवराज को सैर-सपाटे में मन लगता है। कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की सुननेवाला कोई नहीं है। ऐसे में जनसेवा से जुड़े रहने वाले लोगों के लिए कांग्रेस को अलविदा कहने के अलावा और कोई रास्ता नहीं।
केंद्र में कर्पूरी फार्मूला लागू करने के लिए रोहिणी आयोग
पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की आरक्षण नीति में पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्गीकरण लागू करने के लिए रोहिणी आयोग का गठन किया। सभी दल इस वर्गीकरण के लिए मांग करते रहे, लेकिन आयोग बनाने की ठोस पहल पीएम मोदी ने ही की। परिवारवादी राजद ने कर्पूरी ठाकुर के विचारों से दूरी बनायी और पार्टी के पोस्टर से भी उनकी तस्वीर हटा दी, जबकि भाजपा कर्पूरी फार्मूले का दायरा केंद्र सरकार तक बढाने में लगी है।
उन्होंने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर की सरकार ने तत्कालीन जनसंघ के समर्थन से पिछडों को 26 फीसद आरक्षण दिया था। बिहार के उस आरक्षण फार्मूले में पिछडे-अतिपिछडे का वर्गीकरण किया गया, लेकिन दस साल तक यूपीए सरकार का समर्थन करने वाले लालू प्रसाद केंद्र की आरक्षण नीति में कर्पूरी फार्मूला लागू नहीं करा पाये।
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लालू प्रसाद 1990 में सामाजिक न्याय की दुहाई देकर मुख्यमंत्री बने, लेकिन अपने शासनकाल के दौरान पिछडों-अतिपिछड़ों को आरक्षण दिये बिना पंचायत चुनाव करा कर उन्होंने सामाजिक न्याय का ही गला घोंटा। जब 2005 में भाजपा-जदयू की सरकार आयी, तभी पहली बार पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किया गया।
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