- कृपाशंकर सिंह
पटना। बिहार असेंबली बार-बार शर्मसार हो रही है। मारपीट के बाद अब असेंबली के स्पीकर विजय सिन्हा निशाने पर हैं। इसके बाद कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। हालांकि माफी मांगने के बाद दोबारा कार्यवाही सुचारू चली। असेंबली के चल रहे सत्र में दो ऐसे मौके आये, जब स्पीकर पर सत्ता पक्ष के लोगों ने ही सवाल उठा दिये। पहले उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने यह कहा कि स्पीकर केवल सत्ता पक्ष को ही बोलने से रोकते हैं। विपक्ष के साथ ऐसा नहीं करते। बुधवार को मंत्री सम्राट चौधरी ने स्पीकर को कह दिया- इतना व्याकुल न हों, सदन ऐसे नहीं चलता। इस पर स्पीकर ने आसन छोड़ दिया और कार्यवाही स्थगित हो गयी। इसके पहले विपक्ष ने सदन में स्पीकर के सामने हाथापायी और गाली गलौज की थी। तब भई स्पीकर को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी और हुड़दंग मचा रहे विधायकों को मार्शल के सहारे बाहर निकालना पड़ा।
सदन की भाषा की बात करें तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग इस कदर टकराते हैं कि बाहर फरियाने की चुनौती दे देते हैं। बिहार विधानसभा में पहली बार ऐसा हो रहा है। इसके पहले दूसरे राज्यों में ही मारपीट की नौबत आयी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक मंत्री पर यहां तक तंज कस दिया था कि कैसे-कैसे लोगों को मंत्री बना देते हैं, जवाब देने भी ठीक से नहीं आता। उन्होंने यह टिप्पणी तब की थी, जब गन्ना मंत्री बोल रहे थे।
जहां तक मारपीट की बात है तो ऐसी घटनाएं दूसरे राज्यों की असेंबली में पहले भी हो चुकी हैं। तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र इसके उदाहरण हैं। तमिलनाडु में कुर्सियां, चप्पलें तक चलीं तो उत्तर प्रदेश में विधायकों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया था।
भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक विधानसभा में अगर मारपीट, तोड़फोड़, और बदतमीजी जैसी चीजें होने लगें तो लोकतंत्र के इस स्तम्भ की बुनियाद हिलने लगती है। बिहार विधानसभा में पिछले शनिवार को जो हुआ, अकल्पनीय था। धक्कामुक्की और गाली-गलौज सब हुआ। देख लेने की धमकी तक दी गई। उस दिन सुबह से ही मुजफ्फरपुर शराब मामले को लेकर विपक्ष तेवर दिखा रहा था। भू-राजस्व मंत्री रामसूरत राय से इस्तीफे की मांग पर अड़े विपक्ष ने सदन में जबर्दस्त हंगामा किया। मामला अभी गरम ही था कि दूसरी पाली में स्वास्थ्य विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अचानक फिर से शराबबंदी पर बात शुरू की। इस पर टोकाटोकी शुरू हो गई। तेजस्वी ने कह दिया कि नेता प्रतिपक्ष का पद संवैधानिक होता है। मगर उप मुख्यमंत्री का पद संवैधानिक नहीं होता है।
इस पर सत्तारूढ़ दल के विधायक भड़क गए। बीजेपी विधायक संजय सरावगी और मंत्री जनक राम ने कड़ी आपत्ति जताई। उसके बाद तेजस्वी के बड़े भाई और विधायक तेज प्रताप यादव ने सत्तारूढ़ दल के विधायकों की ओर अंगुली दिखाकर कुछ ऐसी बातें कह दीं, जो नागवार गुजरीं। इससे दोनों तरफ के विधायक आमने-सामने आ गए। आपस में गाली-गलौज करते हुए भिड़ गए। तेजस्वी भी बोलते जा रहे थे। उन्होंने कह दिया कि मेरे मुंह खोलते ही सत्तारूढ़ दल कांपने लगता है। देखते ही देखते मिनटों में और बवाल मच गया। बात इतनी बढ़ी कि मार्शल ने विधायकों को अलग किया।
हालात इतने खराब हो गए कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को सख्त और गंभीर लहजे में कहना पड़ा कि जो विधानसभा में हुआ, वह नहीं होना चाहिए। कार्यवाही में इस तरह की चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उस दिन बिहार असेंबली में जो हुआ, वह पहला मौका नहीं था, जब संसदीय प्रणाली शर्मसार हुई हो। इससे पहले भी कई बार संसदीय प्रणाली शर्मसार हुई है। इसमें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र समेत कई राज्य शामिल हैं।
22 अक्टूबर 1997 यूपी विधानसभा: यूपी विधानसभा के लिए 22 अक्टूबर 1997 का दिन भी विधानसभा में हुई हिंसा के नाम दर्ज हो गया। उस वक्त कल्याण सिंह को विश्वासमत हासिल करना था। इस दौरान विधानसभा में जमकर जूते चले और माइक फेंके गए। विधायकों के बीच हुई हिंसा इस कदर बढ़ी कि कई विधायक घायल भी हुए।
10 नवंबर 2009 महाराष्ट्र विधानसभा: इस दिन विधायकों के शपथ ग्रहण के लिए बैठक बुलाई गई थी। इस दौरान सपा के विधायक अबु आजमी ने हिंदी में शपथ ली तो एमएनएस के चार विधायक हिंसक हो गए। इसके बाद चार साल तक इन विधायकों को सस्पेंड किया गया।
1 जनवरी 1988 तमिलनाडु विधानसभा : 1988 का ये दिन भी तमिलनाडु विधानसभा के लिए काला दिन साबित हुआ। इस दिन जानकी रामचंद्रन ने विश्वास मत के लिए विशेष सत्र बुलाया था। अपने पति एमजीआर के निधन के बाद वो सीएम बनीं थीं, लेकिन ज्यादातर विधायक जयललिता के साथ थे। इस दौरान सियासी गठजोड़ के बीच विधानसभा की बैठक में माइक तोड़े गये और जूते चले। सदन में लाठीचार्ज भी करना पड़ा। बाद में जानकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।
25 मार्च 1989 तमिलनाडु विधानसभा : बजट पेश करने के दौरान तमिलनाडु असेंबली में जमकर हंगामा हुआ। डीएमके और एडीएमके विधायकों के बीच हिंसा इस कदर बढ़ी कि वहां दंगे जैसे हालात पैदा हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान दुर्गा मुरुगन ने जयललिता की साड़ी फाड़ने की कोशिश की। अपने साथ हुई बदसलूकी के बाद जयललिता ने कसम खाई कि वो मुख्यमंत्री बनकर ही लौटेंगी।
13 मार्च 2015 केरल विधानसभा : केरल विधानसभा में तत्कालीन वित्तमंत्री केएम मणि ने मार्शलों के घेरे में बजट पढ़ा। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। बजट पेश करने के दौरान विपक्षी दलों ने हंगामा करते हुए हाथपाई शुरु कर दी। इस दौरान दो विधायक घायल हो गए।
इसके अलावा 18 फरवरी 2017 को तमिलनाडु में तात्कालीन मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के विश्वास मत के दौरान जोरदार हंगामा हुआ जो काफी शर्मनाक रहा था। वहीं 23 अगस्त 2016 को यूपी विधानसभा में बसपा और भाजपा के विधायकों ने कानून व्यवस्था और किसानों के मसले पर जोरदार हंगामा किया था, जिसके बाद मार्शलों की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया था।