बिहार के अतीत को संजोने के लिए अभी और बनेंगे संग्रहालय

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पटना। किसी भी राष्ट्र या राज्य के गौरवशाली इतिहास का ज्ञान लोगों को इतिहास के किताबों, अभिलेखों या फिर पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में प्राप्त अवशेषों के द्वारा ही होता है। प्राप्त और उपलब्ध अभिलेखों और अवशेषों को सुरक्षित और सिलसिलेवार ढंग से रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संग्रहालयों की होती है। दूसरी ओर संग्रहालयों को सुरक्षित, सुसज्जित और आधुनिक तकनीकी से सुदृढ़ करने की जिम्मेदारी संबंधित सरकार की होती है। बिहार के गौरवशाली इतिहास और धरोहरों को संग्रहालय में सुरक्षित रखने के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं। साथ ही नए संग्रहालयों के निर्माण और पुराने के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

बिहार में नव संग्रहालयवाद के सिद्धांतों के अनुरूप संग्रहालय निर्माण एवं पूर्व से संचालित संग्रहालयों को पुनर्संयोजित किया जा रहा है। वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह- स्मृति स्तूप के निर्माण के लिए 72 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। लोक नायक जय प्रकाश नारायण जी के पैतृक गाँव- सिताब दियारा (सारण) में स्मृति भवन एवं पुस्तकालय भवन का निर्माण लगभग पूर्ण होने की स्थिति में हैं। साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चंपारण सत्याग्रह के क्रम में मुजफ्फरपुर प्रवास के दौरान रमना मोहल्ला स्थित स्वर्गीय गया बाबू के जिस माकन में महात्मा गाँधी जी ठहरे थे, की जमीन पर स्मारक संग्रहालय निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।

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अगस्त 2015 में बिहार संग्रहालय के बाल खंड सहित ओरिएंल गैलरी एवं प्री शो थिएटर दर्शकों के लिए माननीय मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित कर दिया गया है। संग्रहालय विकास योजना के अंतर्गत राज्य के संग्रहालयों के आधुनिक तकनीकी एवं नव संग्रहलायवाद की अवधारणा के अनुरूप पुनर्संयोजन के लिए संग्रहालयों को राशि उपलब्ध करायी गयी है।

पटना संग्रहालय को अन्तराष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय के रूप में बिहार संग्रहालय के अनुरूप अन्तराष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय के रूप विकसित करने की कार्यवाई की जा रही है। पटना संग्रहालय के निरीक्षण के क्रम में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में 1764 ई.तक के पुरावशेषों /कलाकृतियों के स्थानांतरण के उपरान्त शेष बचे पुरावशेषों/कलाकृतियों के साथ अन्तराष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय के रूप में विकसित किए जाने की कार्यवाई की जा रही है।

वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह-स्मृति भवन के निर्माण के लिए लगभग 72 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है और इस सन्दर्भ में परामर्शी द्वारा विस्तृत कार्य योजना (DPR) प्रतिवेदन अनुमोदन के लिए भवन निर्माण विभाग को दिया जा चुका है।

लोक नायक जय प्रकाश नारायण के पैतृक गाँव सिताब दियारा (सारण) में स्मृति भवन एवं पुस्तकालय भवन का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है। स्मारक भवन मुख्य पथ तक 1.10 कि.मी. पंहुच पथ के निर्माण के लिए भूमि अधिकरण का कार्य प्रक्रियाधीन है। साथ ही साथ पुस्तकों एवं स्मृति भवन के लिए सामग्रियों का संकलन भी किया जा रहा है।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चंपारण सत्याग्रह के क्रम में मुजफ्फरपुर प्रयास के दौरान रमना मोहल्ला स्थित स्वर्गीय गया बाबू के जिस मकान में महात्मा गाँधी जी ठहरे थे, उस जमीन पर महात्मा गाँधी स्मारक संग्रहालय निर्माण के लिए आवश्यक कार्यवाई की जा रही है। महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाई गयी दुर्लभ बौद्ध एवं संस्कृत पांडुलिपियों के अध्ययन ,शोध ,अनुवाद एवं प्रकाशन के लिए केन्द्रीय तिब्बती विश्वविद्यालय ,सारनाथ ,वाराणसी से MOU के अनुमोदन का कार्य प्रक्रियाधीन है।

राज्य के सभी संग्रहालयों में जनोपयोगी सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण,पुरावशेषों / कलाकृतियों के सुरुचिपूर्ण प्रदर्शन, आंतरिक एवं बाह्य प्रकाश व्यवस्था, आवश्यकतानुसार जीर्णोद्धार, सौन्दर्यीकरण आदि कार्य के लिए योजनान्तर्गत कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है।

राज्य के संग्रहालयों में उद्द्यान का विकास किया जा रहा है, ताकि संग्रहालय परिसर में दर्शकों के लिए सुखद वातावरण निर्मित किया जा सके। इस क्रम में गया संग्रहालय में परिसर के लैंडस्केपिंग एवं सुरुचिपूर्ण ढंग से उद्द्यान विकास का कार्य कराया जा रहा है।

पटना संग्रहालय सहित राज्य के अन्य संग्रहालयों में संग्रहित पुरावशेषों /कलाकृतियों के शत -प्रतिशत डिजिटल अभिलेखीकरण अभियान के अंतर्गत 80% कार्य पूरा किया जा चुका है तथा अभी तक के डिजीटाइज्ड डाटा को विभाग के वेबसाइट पर अपलोड करा दिया गया है।

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बिहारशरीफ संग्रहालय, जो वर्तमान में रेडक्रॉस भवन के एक हिस्से में संचालित है, के लिए भवन का निर्माण प्रस्तावित है। भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण भवन के निर्माण में देरी हो रही है। संग्रहालय के लिए वर्तमान में सरकारी बस स्टैंड की भूमि, जो कासी तकिया (भराव पर) मोहल्ले में स्थित है, पर संग्रहालय भवन निर्माण के लिए अनुकूल है और वर्मन सरकारी बस स्टैंड का कोई उपयोग भी नहीं हो रहा है। इस जमीन के लिए परिवहन विभाग से अनुरोध भी किया गया है और जमीन उपलब्ध होते ही भवन निर्माण का कार्य आरंभ हो जायेगा।

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