बिहार के किसी भी क्षेत्र से पटना 5 घंटे में पहुंचने के लक्ष्य पर काम

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कार्यशाला का उद्धाटन करते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव
कार्यशाला का उद्धाटन करते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव

पुल का डिजाइन बाढ़ का प्रभाव कम करने वाला होना चाहिएः सुशील 

पटना। बिहार के किसी भी क्षेत्र से राजधानी पटना पांच घंटे में पहुंचने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है, इसके लिए कई नए पुल-पुलियों व पथों का निर्माण हो रहा रहा है। विशेषज्ञों के सुझाव, सलाह एवं ज्ञान का लाभ बिहार को जरूर मिलेगा। ये बातें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहीं। ‘‘मेजर ब्रिजेज इन बिहार, इनोवेशन एण्ड चैलेंजेज’’ पर दो दिवसीय कार्यशाला में वे बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कार्यशाला का उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आई.एम.जी.-आई.ए.बी.एस.ई. एवं बी.आर.पी.एन.एन.एल. को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि यहां इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। पुलों के निर्माण, तकनीक, गुणवत्ता संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर इसमें चर्चा होगी और तत्पश्चात नई बातें सामने आएंगी, जिसका लाभ हम सबको मिलेगा। उन्होंने कहा कि यहां बाहर से भी विशेषज्ञ आए हुए हैं, लेकिन उनमें महिलाओं की संख्या कम दिख रही है। महिलाओं की भूमिका प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ी है। यहां भी अगर महिलाओं की संख्या बढ़ेगी तो उनके निर्देशन में पुल और बेहतर बनेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंडियन नेशनल ग्रुप के इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ब्रिज एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की स्थापना 1957 में हुई थी। यह देश एवं दुनिया में निर्माण कार्य पर चर्चा और अध्ययन करता है। इसको लेकर एक पत्रिका का भी प्रकाशन किया जाता है। जिससे लोगों को कई अहम जानकारियां मिलती हैं। कार्यशाला का विषय ‘‘मेजर ब्रिजेज इन बिहार, इनोवेशन एंड चैलेंजेज’’ रखा गया है, जिसमें चर्चा के दौरान कई नई बातें सामने आएंगी। उन्होंने कहा कि राज्य के किसी भी क्षेत्र से राजधानी पटना पांच घंटे में पहुंचने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है, इसके लिए कई नए पुल-पुलियों एवं पथों का निर्माण कराया जा रहा है। पर्यावरण में परिवर्तन होने से वर्षा की अनिश्चितता और अनिरंतरता से भी समस्याएं पैदा हो रही हैं।

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बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य रहा है जिसकी मुख्य वजह नेपाल में भारी वर्षा का होना है। वर्ष 2017 में ‘‘फ्लैश फ्लड’’ की स्थिति उत्पन्न हुयी थी, जिसके कारण राज्य की सड़कों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पुल एवं सड़क भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इस विषय पर भी चर्चा होनी चाहिए कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्यों में कैसे बेहतर तकनीक का प्रयोग किया जाय। उन्होंने कहा कि पुलों का निर्माण ऐसा हो कि नदियों के प्रवाह में अवरोध न हो। कोसी, गंडक, सोन, गंगा एवं अन्य नदियों पर पुलों का निर्माण बेहतर तकनीक के आधार पर कराया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि पुल का डिजाइन बाढ़ का प्रभाव कम करने वाला होना चाहिए। साथ ही नदी के निर्बाध बहाव को भी ध्यान में रखने की जरूरत है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार एक बाढ़ प्रभावित राज्य है। नदियों की धारा एवं दिशा को ध्यान में रखते हुए पुल का डिजाइन हो, ताकि पानी का अप्रत्याशित तेज बहाव बाधित हुए बिना प्रवाहित हो और बाढ़ का प्रभाव भी कम हो सके।

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उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बिहार में जहां गंगा पर राजेंद्र सेतु (मोकामा), सोन पर कोइलवर पुल और गंगा पर महात्मा गांधी सेतु जैसे मात्र 3-4 गिने-चुने पुलों का निर्माण हो सका था, वहीं एनडीए सरकार द्वारा आज सोन नदी पर 3, गंडक पर 5 और कोशी नदी पर 6 (जिसमें 1 का निर्माण हो चुका है) तथा गंगा नदी पर 12 नये मेगा पुलों का निर्माण हो रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की एनडीए सरकार ने बिहार में दीघा-सोनपुर रेल पुल, मुंगेर रेल पुल तथा कोशी नदी पर मेगा पुल का निर्माण कराया।

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एनडीए सरकार के 15 वर्षों के कार्यकाल में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने 2200 से ज्यादा पुल-पुलियों का निर्माण कर राज्य की बदहाल व बदनाम परिवहन व्यवस्था का कायाकल्प किया। सड़कों के जाल और पुलों के निर्माण से बिहारवासी को सुगम-सुलभ और बेहतरीन यातायात सुविधा मिली है।

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